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बनारस के ‘तिरंगा बर्फी’ और काशीपुर मोहल्ले के ‘मेटल कास्टिंग क्राफ्ट’ को GI टैग का दर्जा मिला है।
प्राचीन समय में तिरंगी बर्फी में केसरिया रंग के लिए केसर, हरे रंग के लिए पिस्ता और बीच के सफेद रंग में खोए की सफेदी एवं काजू का प्रयोग किया जाता रहा है।
पूजन-अनुष्ठान से लेकर साज-सज्जा के सामान के तौर पर देश-विदेश में छाने वाली ढलुआ मूर्ति धातु शिल्प (मेटल कास्टिंग क्राफ्ट) बनारस की बौद्धिक संपदा के रूप में पंजीकृत हो गई है।
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