सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने कहा कि राज्यों को खानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का संवैधानिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि खनन संचालकों द्वारा केंद्र सरकार को दी जाने वाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है। इस फैसले से खनिज युक्त राज्यों, खासकर पूर्वी भारत के राज्यों के राजस्व में वृद्धि होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खनिजों पर कर लगाने के मामले में राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति के विभाजन पर भी स्पष्टता प्रदान की है।
पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्य विधानसभाओं के पास खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति है।
सुप्रीम कोर्ट निजी खनन कंपनियों द्वारा दायर 80 अपीलों पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राज्य सरकारों के अपने क्षेत्र में खनन पर उपकर लगाने के अधिकार को चुनौती दी गई थी।
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