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मध्यकालीन इतिहास की शुरुआत भारत में अरबों के आक्रमण से शुरू होता है।इतिहास इसका गवाह है कि उस दौर में भारत किसी सोने की चिड़िया से कम नहीं था।पूरे दुनिया की हमारे देश की आर्थिक समृद्धि पर थी।आस पास के जितने भी देश थे उनकी आंखों में हमारे देश की ताकत,एकता,अखंडता, सुख समृद्धि, धन-दौलत सब गड़ रहा था।सभी लालचवश इसे पाना चाहते थे।इसी वजह से एक एक करके विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे देश पर आक्रमण करना शुरू किया याद रखें सभी का एक मात्र उद्देश्य था – धन दौलत लूटकर अपने देश ले जाना।शुरुआत में मुहम्मद बिन क़ासिम और महमूद ग़ज़नवी भारत से अपार धन दौलत ले गया।आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि इन्होंने कितना लूटा ? फिर गौरी आया उसे लगा कि धन दौलत लूटकर ले जाने से अच्छा है यही शासन किया जाए।पृथ्वीराज चौहान को धोखे से मारकर उसने दिल्ली सल्तनत को जीत लिया।फिर उसके मरने के बाद उसके गुलामों ने अपनी सत्ता स्थापित कर लिया।
इस तरह से भारत पर विदेशी शक्तियों ने अपना अधिकार कर लिया।आपको ये पढ़कर बहुत मज़ा आएगा लेकिन जरा ये सोचिए कि चंद विदेशी व्यक्तियों ने भारत को कैसे जीत ? हमारे अपने ही लोगों में एकता नहीं थी।जब विदेशियों ने एक राज्य पर हमला किया तो दूसरा चुप था कि मैं क्यों रोकूँ? और जब उसके ऊपर हमला हुआ तो तीसरा चुप था। धीरे-धीरे सभी ने अपने राज्य गवाँ दिए।दिल्ली सल्तनत पर 5 वंशो ने राज किया और अंत में सुदूर देश से एक और व्यक्ति भारत आया और यहाँ के लोगों की कमजोरी देखकर यहां अपना ऐसा सिक्का जमाया जिसे हम 300 साल तक झेलते रहें।
वो था बाबर ।
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