केंद्र - राज्य सम्बन्ध
केंद्र राज्य संबंध -
- भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन विधाई प्रशासनिक तथा वित्तीय क्षेत्र में किया गया है।
वित्तीय संबंध -
- भारतीय संविधान के भाग 11 के अंतर्गत अनुच्छेद 245 से 255 तक केंद्र राज्य विधाई संबंधों का उल्लेख किया गया है।
प्रशासनिक संबंध -
- भारतीय संविधान के भाग 11 के अंतर्गत ही अनुच्छेद 256 से 263 तक केंद्र राज्य प्रशासनिक संबंधों का उल्लेख किया गया है।
वित्तीय संबंध -
- संविधान के भाग 12 के अंतर्गत अनुच्छेद 268 से 293 तक केंद्र राज्य वित्तीय संबंधों का उल्लेख किया गया है।
केंद्र और राज्यों के बीच वैधानिक शक्तियों का वितरण अनुच्छेद 248 में संविधान की सातवीं अनुसूची में दिया गया है।
शक्तियों का बंटवारा तीन सूचियों में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है वर्तमान में संघ सूची में 97 विषय राज्य सूची में 66 विषय और समवर्ती सूची मे हैं 47 विषय हैं।
- संघ सूची - इसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार संघ अर्थात संसद को है। इस सूची में मूलतः 97 विषय हैं जिनमें रक्षा डाक बैंक विदेश व्यापार विदेशी मामले संचार रेल जल परिवहन वायु परिवहन नागरिकता आदि प्रमुख हैं।
- राज्य सूची - इसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य विधान मंडलों को है इस सूची में मूलतः अच्छा छत विषय शामिल हैं इसमें कृषि भू राजस्व व्यवस्था पुलिस स्वास्थ्य स्थानीय स्वशासन कारागार आदि सम्मिलित है।
- समवर्ती सूची - इस सूची में शामिल विषयों पर केंद्र तथा राज्य दोनों कानून बना सकते हैं दोनों कानूनों में गतिरोध होने पर केंद्र द्वारा निर्मित कानून मान्य होगा इसमें मूल्य तहत 47 विषय हैं जिनमें जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन शिक्षा सामाजिक एवं आर्थिक योजनाएं आदि शामिल हैं।
- राज्य सूची के विषयों पर संसद की शक्ति - अनुच्छेद 249 के तहत यदि राज्यसभा अपने उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय हित का घोषित कर दे तो संसद उस पर विधि बना सकती है परंतु इस प्रकार की विधि मात्र 1 वर्ष तक प्रभावी रहती है परंतु इसे बाद में 1 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है ऐसा बारंबार किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 250 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल अथवा राष्ट्रपति शासन के समय संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
अंतर राज्य संबंध -
- अनुच्छेद 253 के अंतर्गत संसद को अंतर्राष्ट्रीय अधिकारों, संधियों आदि को प्रभावी बनाने के लिए भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए कोई विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है।
- अनुच्छेद 262 के अंतर्गत दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य अंतर राज्य नदियों के जल बंटवारे से संबंधित विवादों के निपटारे के बारे में बताया गया है।
- अनुच्छेद 263 के अंतर्गत राष्ट्रपति अंतर राज्य परिषद का गठन कर सकता है इसका मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों और अन्य राज्यों के मध्य संबंध में स्थापित करना होता है।
- प्रधानमंत्री की तथा उसके द्वारा मनोनीत 6 कैबिनेट स्तर के मंत्री सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री इसके सदस्य होते हैं|
- परिषद की बैठक वर्ष में कम से कम 3 बार आयोजित की जाती है बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री अथवा उसकी उपस्थिति में प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत कोई कैबिनेट स्तर का मंत्री करता है।
संचित निधि -
- अनुच्छेद 266 के अंतर्गत संचित निधि की व्यवस्था की गई है। संचित निधि से धन की निकासी संसद की अनुमति के बाद ही की जा सकती है।
- राष्ट्रपति समेत कई अन्य पदाधिकारियों के वेतन और भत्ते संचित निधि पर ही भारित होते हैं।
आकस्मिक निधि -
- अनुच्छेद 268 के अनुसार एक आकस्मिक निधि की भी व्यवस्था की गई है।
- राष्ट्रपति की अनुमति से विशेष परिस्थितियों में आकस्मिक निधि से धन की निकासी की जा सकती है।
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