विजयनगर साम्राज्य
विजयनगर राज्य की स्थापना की थी - हरिहर और बुक्का ने P.C.S. (Pre) 2004
- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का ने 1336 ई. में की थी।
- उनके पिता संगम के नाम पर उनका वंश संगम वंश कहलाया।
- हरिहर और बुक्का काम्पिली राज्य में मंत्री थे।
- मुहम्मद तुगलक ने जब काम्पिली को विजित किया तब हरिहर और बुक्का को बंदी बना लिया।
- इन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।
- बाद में उन्हें दक्षिण के विद्रोह को शांत करने के लिए भेजा गया। वे उस कार्य में सफल नहीं हुए और अंत में एक संत विद्यारण्य के प्रभाव में आकर पुनः हिन्दू बन गए।
- विजयनगर को संस्थापित करने के लिए हरिहर एवं बुक्का ने अपने गुरु विद्यारण्य तथा वेंदो के प्रसिद्ध भाष्यकार सायण से शिक्षा ली थी।
- इस साम्राज्य के चार राजवंश - (1) संगम वंश (1336 - 1485) (2) सालुव वंश (1485 - 1505) (3) तुलुव वंश (1505 - 1570) (4) अरावीडु वंश (1570 - 1650) ने लगभग 300 वर्षो तक शासन किया।
- विजयनगर साम्राज्य की राजधानियाँ क्रमशः - (1) अनेगोंडी - संगम वंश - (1336 - 1485) (2) विजयनगर - सालुव वंश (1485 - 1505) (3) वेनुगोंडा - तुलुव वंश (1505 - 1570) (4) चंद्रगिरि - अरावीडु वंश (1570 - 1650)
किसने कृष्णा नदी की सहायक नदी के दक्षिणी तट पर एक नए नगर की स्थापना की और उस देवता के प्रतिनिधि के रुप में अपने इस नए राज्य पर शासन करने का दायित्व लिया जिसके बारे में माना जाता था कि कृष्णा नदी से दक्षिण की समस्त भूमि उस देवता की है - हरिहर प्रथम I.A.S. (Pre) 2015
- हरिहर प्रथम ने कृष्णा नदी की सहायक नदी (तुंगभद्रा) के दक्षिणी तट पर एक नए नगर (विजयनगर) की स्थापना की और उस देवता के प्रतिनिधि के रुप में अपने इस नए राज्य पर शासन करने का दायित्व लिया जिसके बारे में माना जाता था कि कृष्णा नदी से दक्षिण की समस्त भूमि उस देवता (भगवान विरुपाक्ष) की है।
अपनी मदुरा विजय कृति में अपने पति के विजय अभियानों का वर्णन करने वाली कवयित्रि थी - गंगादेवी U.P.P.C.S. (Pre) 2000
- 1352 - 53 ई. में हरिहर प्रथम ने मदुरा विजय हेतु दो सेनाएं भेजी - एक कुमार सवल के नेतृत्व में तथा दूसरी कुमार कंपन के नेतृत्व में।
- कुमार कंपन अडयार ने मदुरा को जीतकर उसे विजयनगर में शामिल कर लिया।
- उसकी पत्नी गंगादेवी ने अपने पति की विजय का अपने ग्रंथ मदुरा विजयम् में सजीव वर्णन किया है।
- कुमार कंपन बुक्का राय प्रथम का पुत्र था।
विजयनगर के उस पहले शासक की पहचान करे जिसने बहमनियों से गोवा को छीना - हरिहर द्वितीय B.P.S.C. (Pre) 1995
- 1377 ई. में बुक्का की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हरिहर द्वितीय (1377 - 1404 ई. सिंहासन पर बैठा)।
- उसने महाराजधिराज की उपाधि धारण की।
- उसने कनारा, मैसूर, त्रिचनापल्ली, कांची आदि प्रदेशों को जीता और श्री लंका के राजा से राजस्व वसूल किया।
- बहमनी राज्य से भी उसका संघर्ष हुआ। 1377 ई. में सुल्तान मुजाहिद ने उसके राज्य पर आक्रमण किया किंतु सफल नहीं हुआ।
- हरिहर द्वितीय की सबसे बड़ी सफलता पश्चिम में बहमनी राज्य से बेलगांव और गोवा छीनना था। वह शिव के विरुपाक्ष रुप का उपासक था।
विजयनगर की राजा कृष्णदेव राय ने गोलकुंडा का युद्ध किस राजा के साथ लड़ा था - कुली कुतुबशाह B.P.S.C. (Pre) 1999
- विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय ने गोलकुंडा का युद्ध गोलकुंडा के सुल्तान कुली कुतुबशाह के साथ लड़ा था।
- गोलकुंडा में कुतुबशाही वंश की स्थापना कुली कुतुबशाह ने की थी।
- जब कृष्णदेव राय उड़ीसा के साथ युद्ध में व्यस्त था, तब कुतुबशाह ने विजयनगर की सीमा पर स्थित पांगल और गुंटूर के दुर्ग पर आक्रमण किया तथा वारंगल, कोंडविदु आदि के किले जीत लिए।
- इसके बाद उसने विजयनगर पर आक्रमण करने का प्रयास किया।
- कृष्णदेव राय और कुतुबशाह के बीच संघर्ष हुआ जिसमें कुतुबशाही सेना पराजित हुई।
कृष्णदेव राय के दरबार में अष्ट दिग्गज कौन थे - आठ तेलुगू कवि U.P.D.A./L.D.A (Pre) 2001
- कृष्णदेव राय का शासनकाल विजयनगर में साहित्य का क्लासिकी युग माना जाता है।
- उसके दरबार को तेलगू के आठ महान विद्वान एवं कवि (जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता है) सुशोभित करते थे।
- इसलिए इसके शासनकाल को तेलुगू साहित्य का स्वर्ण युग भी कहा जाता है।
- कृष्णदेव राय ने आंध्र भोज की भी उपाधि धारण की थी।
- कृष्णदेव राय स्वयं एक उत्कृष्ट कवि और लेखक थे।
- उनकी प्रमुख रचना - अमुत्क्तमाल्यद थी, जो तेलुगू भाषा के पाँच महाकाव्यों में से एक है।
- इसके अतिरिक्त कृष्णदेव राय को कला और निर्माण कार्य में भी रुचि थी।
- उसने नागलपुर नामक नगर की स्थापना की।
- उसके समय में पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पायस ने विजयनगर साम्राज्य की यात्रा की।
- बाबर ने अपनी आत्मकथा में कृष्णदेव राय को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है।
अष्ट दिग्गज किस राजा से संबंधित थे - कृष्णदेव राय R.A.S./R.T.S. (Pre) 2010
किसे आंध्र भोज की कहा जाता है - कृष्णदेव राय P.C.S. (Pre) 2013
कृष्णदेव राय ने किस नगर की स्थापना की - नागलापुर U.P.P.C.S. (Pre) 2016
- कृष्णदेव राय का शासनकाल विजयनगर में साहित्य का क्लासिकी युग माना जाता है।
- कृष्णदेव राय ने आंध्र भोज, अभिनव भोज, आंध्र पितामह आदि उपाधियां धारण की।
- स्थापत्य कला के क्षेत्र में कृष्णदेव राय ने नागलापुर नामक नए नगर की स्थापना की थी।
- उसने हजारा एवं विट्ठलस्वामी नामक मंदिर का निर्माण भी करवाया था।
अब्दुल रज्जाक विजयनगर आया था - देवराय द्वितीय के राज्यकाल में U.P.UDA/LDA (Mains) 2010
- फारसी राजदूत अब्दुल रज्जाक संगम वंश के सबसे प्रतापी शासक देवराय द्वितीय (कार्यकाल - 1422 - 46) के शासनकाल में विजयनगर आया था।
विजयनगर का प्रसिद्ध हजारा मंदिर किसके शासनकाल में निर्मित हुआ था - कृष्णदेव राय M.P.P.C.S. (Pre) 2014
निकोलो कोंटी कौन था - इटली का एक यात्री, जिसने विजयनगर साम्राज्य की यात्रा की M.P.P.C.S. (Pre) 2016
- निकोलो कोंटी इटली का एक यात्री था जिसने देवराय प्रथम के शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य की यात्रा की थी।
- निकोलो कोंटी ने नगरों एवं मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहारों - दीपावली, नवरात्र आदि का वर्णन किया है।
- इसने दास प्रथा का विस्तृत विवरण दिया है।
- निकोलो कोंटी ने लिखा है - विजयनगर साम्राज्य में विशाल संख्या में दास है। जो कर्जदार अपना ऋण अदा नहीं कर पाते है, उन्हें ऋणदाता द्वारा अपना दास बना लिया जाता है।
वैदिक ग्रंथों के भाष्यकार सायण को आश्रय प्राप्त था - विजयनगर राजाओं का U.P.P.C.S. (Pre) 2008
- वैदिक ग्रंथों के भाष्यकार सायण को विजयनगर राजाओं का आश्रय मिला।
- संगम के पाँच पुत्रों ने जिनमें हरिहर और बुक्का सर्वाधिक प्रसिद्ध थे, तुंगभद्रा के उत्तरी तट पर स्थित अनेगोंडी दुर्ग के सम्मुख उसके दक्षिण तट पर विजयनगर शहर एवं राज्य की नींव डाली थी।
- अपने इस साहसिक कार्य में उन्हें तत्कालीन प्रसिद्ध ब्राह्मण साधु एवं विद्वान माधव विद्यारण्य तथा उनके भाई वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार सायण से प्रेरणा मिली थी।
1565 में कौन सा प्रसिद्ध युद्ध हुआ - तालीकोटा का युद्ध M.P.P.C.S. (Pre) 1997
- 1565 ई. में तालीकोटा के प्रसिद्ध युद्ध में बहमनी राज्यों की संयुक्त सेनाओं ने विजयनगर को पराजित किया।
- इस संयुक्त सेना में केवल बरार शामिल नहीं था।
- फरिश्ता के अनुसार यह युद्ध तालीकोटा में लड़ा गया, किंतु युद्ध का वास्तविक क्षेत्र राक्षसी एवं तंगड़ी नामक दो ग्रामों के बीच स्थित था।
- तालीकोटा के युद्ध के समय विजयनगर का शासक सदाशिव राय (1542 - 1572 ई.) था, किंतु वास्तविक शक्ति उसके मंत्री रामराय के हाथों में थी। रामराय एक योग्य शासक था।
- उसने बहमनी राज्यों के मुस्लिम शासकों के मध्य फूट डालने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुआ।
- तालीकोटा के इसी युद्ध में हुसैन निजामशाह ने अपने हाथ से रामराय का वध कर दिया।
जब राजा वोडियार ने मैसूर राज्य की स्थापना की तब विजयनगर साम्राज्य का शासक कौन था - वेंकट द्वितीय I.A.S. (Pre) 2006
- अराविडु वंश (1570 - 1650) की स्थापना 1570 के लगभग तिरुमाल ने सदाशिव को अपदस्थ कर पेनुकोंहा में की थी।
- इसका उत्तराधिकारी रंग प्रथम हुआ।
- रंग प्रथम के बाद वेंकट द्वितीय शासक हुआ।
- उसने चंद्रगिरि को अपना मुख्यालय बनाया।
- विजयनगर के महान शासकों की श्रृखंला में यह अंतिम वंश था।
- वेंकट द्वितीय राजा वोडियार का समकालीन था, जिन्होंने 1612 में मैसूर राज्य की स्थापना की थी।
किस स्थान के खंडहर विजयनगर की प्राचीन राजधानी का प्रतिनिधित्व करते है - हम्पी U.P.P.C.S. (Mains) 2007/U.P.P.C.S. (Mains) 2008
- हम्पी के खंडहर (वर्तमान उत्तरी कर्नाटक में अवस्थित) विजयनगर साम्राज्य की प्राचीन राजधानी का प्रतिनिधित्व करते है।
- विजयनगर काल में बना विरुपाक्ष मंदिर यहीं पर अवस्थित है। हम्पी यूनेस्कों की विश्व विरासत स्थलों की सूची में भी शामिल है।
विजयनगर के किस शासक ने चीन के सम्राट के पास अपना राजदूत भेजा - बुक्का प्रथम P.C.S. (Pre) 2008
- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर एवं बुक्का ने 1336 ई. में की थी।
- अपने इस साहसिक कार्य में हरिहर एवं बुक्का ने अपने गुरु विद्यारण्य तथा वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार सायण से प्रेरणा ली थी।
- विजयनगर साम्राज्य में कुल चार राजवंश हुए - संगम वंश, सालुव वंश. तुलुव वंश, अरावीडु वंश।
- संगम वंशी शासक बुक्का प्रथम (1356 - 77) ने 1374 ई. में चीन के सम्राट के पास अपना दूतमंडल भेजा था।
प्रसिद्ध विजय विट्ठल मंदिर जिसके 56 तक्षित स्तंभ संगीतमय स्वर निकालते है, कहाँ अवस्थित है - हम्पी I.A.S. (Pre) 2007
- विट्ठल मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के तुलुव वंश के महाप्रतापी राजा कृष्णदेव राय (1509 - 29) ने करवाया था।
- इस मंदिर में स्थित 56 तक्षित स्तंम्भ संगीतमय स्वर निकालते है।
- इस मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में किया गया था।
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