हुमायूँ एवं शेरशाह

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हुमायूँ और शेरशाह

फरीद, जो बाद में शेरशाह सूरी बना, ने कहाँ से शिक्षा प्राप्त की थी - जौनपुर        R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013

  • फरीद, जो बाद में शेरशाह सूरी बना, ने अपनी शिक्षा जौनपुर से प्राप्त की थी।
  • 1494 ई. में फरीद ने घर छोड़ दिया तथा विद्याध्ययन के लिए जौनपुर चला आया जो पूर्व का सिराज नाम से प्रसिद्ध था।

किस सुल्तान ने पहले हजरते आला (Hazrat - E - Ala) की उपाधि अपनाई और बाद में सुल्तान की - शेरशाह सूरी        B.P.S.C. (Pre) 2000

  • 1529 ई. में बंगाल के शासक नुसरत शाह को पराजित करके शेर खां (शेरशाह सूरी) ने हजरते आला की उपाधि धारण की।
  • 1539 ई. में चौसा के युद्ध में हुमायूँ को पराजित करके उसने शेरशाह की उपाधि धारण की तथा अपने नाम का खुतबा पढ़वाया और सिक्का चलवाया।

शेरशाह सूरी द्वारा किए गए सुधारों में सम्मिलित थे - राजस्व सुधार, प्रशासनिक सुधार, सैनिक सुधार, करेंसी प्रणाली में सुधार        P.C.S. (Pre) 2003

हुमायूँ ने चुनार दुर्ग पर प्रथम बार आक्रमण कब किया - 1532 ई.        B.P.S.C. (Pre) 2008

  • हुमायूँ ने चुनार दुर्ग पर प्रथम बार आक्रमण 1532 ई. में किया।
  • इस किले को उसने चार महीने तक घेरे रखा जिसके बाद शेर खां ने हुमायूँ की अधीनता स्वीकार कर ली।
  • इसके अतिरिक्त 1531 ई. में उसने कालिंजर पर आक्रमण किया और 1532 ई. में रायसीन के महत्वपूर्ण किले को जीत लिया।

चांदी का सिक्का किसने शुरु किया - शेरशाह        M.P.P.C.S. (Pre) 1991

  • शेरशाह को ऐसी सुधरी हुई मुद्रा प्रणाली को स्थापित करने का सम्मान प्राप्त है, जो मुगल काल में चलती रही और जो ब्रिटिश मुद्रा का आधार बनी।
  • उसने अंत में मिश्रित धातु के सिक्के बंद कर शुद्ध सोने, चांदी एवं तांबे के सिक्कों का प्रचलन किया, जिनका तौल एवं आकार निश्चित था।
  • उसके चांदी के सिक्के (रुपया) का तौल 180 ग्रेन था जिसमें 173 ग्रेन विशुद्ध चांदी थी।
  • इस पर प्रायः अरबी एवं नागरी में सुल्तान का नाम अंकित रहता था।

शेरशाह सूरी की मृत्यु हुई - कालिंजर में        U.P.P.C.S. (Pre) 1993

  • कालिंजर विजय (1545 ई.) के दौरान, जब शेरशाह के सैनिक हुक्के (गोले) फेंकने में व्यस्त थे, तो बारुद से भरा हुआ एक गोला दुर्ग की दीवार से टकरा कर वहाँ गिरा जहाँ बारुद से भरे हुए बहुत से गोले रखे हुए थे, जिससे गोलों में आग लग गई और वे फट - फट कर सभी दिशाओं में विध्वंस करने लगे।
  • शेरशाह वहाँ से अधजला बाहर निकला, यद्यपि दुर्ग जीत लिया गया किंतु यही जीत शेरशाह के लिए अंतिम हो गई।
  • 22 मई, 1545 को 60 वर्ष की आयु में वह (कांलिजर) में ही मर गया।
  • कालिंजर का अभियान शेरशाह का अंतिम अभियान था।
  • उस समय वहाँ का राजा कीरत सिंह था।

मात्र एक मुठ्ठी बाजरे के चक्कर में मैंने अपना साम्राज्य खो दिया होता। इस कथन को आप किस मध्यकालीन शासक से संबंध करेंगें - शेरशाह        U.P.P.C.S. (Mains) 2007       

  • शेरशाह सूरी मारवाड़ के युद्ध में राजपूतों के शौर्य पराक्रम से इतना प्रभावित हुआ था कि उसके मुख से उक्त वाक्य फूट पड़ा।

शेरशाह को दफनाया गया था - सासाराम में        U.P.P.C.S. (Mains) 2015         

  • शेरशाह सूरी का जन्म 1472 ई. में हुआ था और इसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जौनपुर से पूरी की इसका बचपन का नाम फरीद था।
  • भारत में इसने 1540 से 1545 ई. तक शासन किया।
  • कालिंजर युद्ध के दौरान दुर्ग की दीवार से बारुद का गोला टकराकर फटने से इसकी मृत्यु हो गई थी।
  • इसे बिहार के सासाराम (रोहतास) में दफनाया गया है।
  • इसका मकबरा अफगान स्थापत्य का शानदार नमूना माना जाता है।

कृषकों की सहायता के लिए किस मध्यकालीन भारतीय शासक ने पट्टा एवं कबूलियत की व्यवस्था प्रारंभ की थी - शेरशाह        U.P.P.C.S. (Pre) 2008/U.P.P.C.S. (Mains) 2009/U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004

  • कृषकों की मदद के लिए शेरशाह ने पट्टा एवं कबूलियत की व्यवस्था प्रारंभ की थी।
  • किसानों को सरकार की ओर से पट्टे दिए जाते थे, जिनमें स्पष्ट किया गया होता था कि उस वर्ष उन्हें कितना लगान देना है।
  • किसान कबूलियत - पत्र के द्वारा इन्हें स्वीकार करते थे।
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Exam List

हुमायूँ एवं शेरशाह - 01
  • Question 20
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 20
  • language Hin & Eng.
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