मराठा राज्य और संघ
शिवाजी ने मुगलों को किस युद्ध में हराया था - सलहार U.P.P.C.S.(Mains) 2005
- शिवाजी ने 1659 ई. में सलहार के युद्ध में मुगलों को हराया था, शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था।
- शिवाजी ने 1674 ई. में राज्यभिषेक के बाद छत्रपति की उपाधि धारण की।
- 53 वर्ष की आयु में 1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई।
वह कौन सेनानायक था जिसे बीजापुर के सुल्तान ने 1659 ई. में शिवाजी को दबाने के लिये भेजा था - अफजल खां U.P.P.C.S.(Pre) 1999
- बीजापुर के सुल्तान ने 1659 ई. में अफजल खां नामक अनुभवी और विश्वस्त सेनानायक को शिवाजी की महत्वकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए भेजा था, लेकिन कूटनीतिज्ञ शिवाजी ने उसका वध कर दिया।
शिवाजी का जन्म कब हुआ तथा कब उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की - 1627, 1674 U.P.P.C.S.(Mains) 2015
शिवाजी मुगलों की कैद से भागने के समय कौन से नगर में कैद थे - आगरा M.P.P.C.S.(Pre) 2005
- शिवाजी मुगलों की कैद से भागने के समय आगरा नगर के जयपुर भवन में कैद (नजरबंद) थे।
- शिवाजी को औरंगजेब ने आगरा में 1666 ई. में कैद कर दिया था।
शिवाजी की राजधानी कहां पर थी - रायगढ़ U.P.P.C.S.(Pre) 1990
- 1674 ई. में शिवाजी ने अपना राज्यभिषेक कराया तथा छत्रपति की उपाधि धारण की एवं रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
- उस युग के महान विद्वान बनारस के पंडित विश्वेश्वर उर्फ, गंगाभट्ट ने उन्हें क्षत्रिय घोषित करते हुए उनका राज्यभिषेक कराया।
शिवाजी का छत्रपति के रुप में औपचारिक राज्यभिषेक कहां पर हुआ था - रायगढ़ U.P.P.C.S.(Mains) 2016
- शिवाजी का छत्रपति के रुप में औपचारिक राज्यभिषेक जून, 1674 में रायगढ़ में हुआ था।
- काशी के पंडित गंगा भट्ट ने उनका राज्यभिषेक किया था।
शिवाजी के अष्ट प्रधान का जो सदस्य विदेशी मामलो की देखरेख करता था, वह था - सुमंत I.A.S. (Pre) 1996/U.P.P.C.S.(Mains) 2013
अष्ट प्रधान नाम की मंत्रिपरिषद थी - मराठा प्रशासन में I.A.S. (Pre) 1998
- शिवाजी ने राज्य के प्रशासन के लिये केंद्रीय स्तर पर अष्ट प्रधान की व्यवस्था की थी, जिसके अंतर्गत आठ मंत्रियों को नियुक्त किया गया था।
- इसमें पेशवा, अमात्य, मंत्री, सचिव, सुमंत, सेनापति, पंडितराव एवं न्यायधीश शामिल थे।
- ये शिवाजी के राज्य प्रशासन में आधुनिक काल के सचिवों की भांति कार्य करते थे।
- इनका कार्य राजा को परामर्श देना मात्र था।
- इसे किसी भी अर्थ में मंत्रिमंडल नहीं कहा जा सकता।
- प्रत्येक मंत्री राजा के प्रति उत्तरदायी था।
- (1) पेशवा - राजा का प्रधान मंत्री।
- (2) अमात्य - वित्त एवं राजस्व मंत्री।
- (3) वाकिया नवीस या मंत्री - राजा के दैनिक कार्यों तथा दरबार की प्रतिदिन की कार्यवाहियों का विवरण रखता था।
- (4) सचिव - राजकीय पत्र व्यवहार का कार्य देखना।
- (5) सुमंत या दबीर - विदेशी मंत्री।
- (6) सेनापति या सर - ए - नौबत - सेना की भर्ती, संगठन, रसद आदि का प्रबंध करना।
- (7) पंडित राव - विद्वानों और धार्मिक कार्यों के लिए अनुदानों का दायित्व निभाना।
- (8) न्यायाधीश - मुख्य न्यायाधीश।
शिवाजी के समय सरनोबत का पद संबद्ध था - सैन्य प्रशासन से U.P.P.C.S.(R.I.) 2014
शिवाजी के शासनकाल में विदेशी मंत्री को कहा जाता था - सुमंत M.P.P.C.S.(Pre) 2015
अष्ट प्रधान मंत्रिपरिषद किसके राज्य प्रबंध में सहायता करती थी - शिवाजी U.P.P.C.S.(Pre) 1991/U.P.P.C.S.(Pre) 1995
शिवाजी के गुरु का नाम क्या था - रामदास M.P.P.C.S.(Pre) 2016
- शिवाजी के गुरु रामदास थे।
- इन्हें समर्थ रामदास कहा जाता है।
- इन्होंने 12 वर्ष तक पूरे भारत का भ्रमण किया।
- इनकी महत्वपूर्ण रचना दासबोध में आध्यत्मिक जीवन के समन्वयवादी सिद्धांत का वर्णन मिलता है।
शंभाजी के बाद मराठा शासन को किसने सरल और कारगर बनाया - बालाजी विश्वनाथ I.A.S. (Pre) 2000
- शंभाजी के बाद मराठा शासन को पेशवा बालाजी विश्वनाथ ने सरल एवं कारगर बनाया।
- मराठा छत्रपति शाहू ने बालाजी को पेशवा के पद पर नियुक्त किया।
- 17 नवंबर, 1713 का दिन केवल बालाजी तथा उसके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण मराठा जाति के लिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि इस दिन से सत्ता छत्रपति के हाथों से निकलकर पेशवा के हाथों में स्थानांतरित हो गई।
- बालाजी विश्वनाथ की सबसे बड़ी उपलब्धि मुगलों तथा मराठों के मध्य एक स्थायी समझौते की व्यवस्था थी जिसमें दोनों पक्षों के अधिकारों तथा प्रभाव क्षेत्र की विधिवत व्यवस्था की गई।
औरंगजेब की मृत्यु के समय मराठा नेतृत्व किसके हाथों में था - ताराबाई U.P.P.C.S.(Pre) 2011/U.P.R.O/A.R.O. (Mains) 2013
- राजाराम 1689 - 1700 ई. तक शाहू के प्रतिनिधि के रुप में मराठों का नेतृत्व करता रहा।
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र को शिवाजी द्वितीय के नाम से गद्दी पर बैठाया और मुगलों से स्वतंत्रता संघर्ष जारी रखा।
- औरंगजेब की मृत्यु के समय मराठा नेतृत्व ताराबाई के ही हाथों में था।
किसके समय से मराठा राजा नाचीज हो गया और पेशवा वास्तविक शासक - बालाजी बाजीराव U.P.P.C.S.(Mains) 2007
- 1740 ई. में बाजीराव की मृत्यु होने पर शाहू ने बालाजी बाजीराव को पेशवा पद पर नियुक्त किया।
- बालाजी बाजीराव के समय तक पेशवा पद पैतृक बन गया था।
- इससे पूर्व ही शक्ति छत्रपति के हाथों में केंद्रींत न रहकर पेशवा के हाथों वाली संगोला की संधि के अनुसार, संवैधानिक क्रांति द्वारा यह प्रक्रिया पूरी हो गई।
- इसके बाद मराठा छत्रपति केवल नाममात्र के राजा रह गये और महलों के महापौर बन गए।
- मराठा संगठन का वास्तविक नेता पेशवा बन गया।
मराठा देवियों में जिसने 1700 ई. से आगे मुगल साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष का नेतृत्व किया, वह कौन थी - ताराबाई U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2008
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसका अल्पवयस्क पुत्र शिवाजी द्वितीय शासक बना तथा राजाराम की पत्नी ताराबाई उसकी संरक्षिका बनी।
- ताराबाई एक तेजस्वी महिला थी।
- उसने मुगलों से संघर्ष जारी रखा तथा रायगढ़ सतारा और सिंहगढ़ के किलों को मुगलों से जीत लिया।
एक इतिहासकार ने पानीपत की तीसरी लड़ाई को स्वयं देखा, वह कौन था - काशीराज पंडित P.C.S.(Pre) 2003
- पानीपत की तीसरी लड़ाई 14 जनवरी, 1761 को सदाशिव भाऊ के नेतृत्व में मराठा सेना और अहमदशाह अब्दाली के नेतृत्व में अफगान सेना के बीच हुई, जिसमें मराठे बुरी तरह पराजित हुए।
- काशीपराज पंडित इस युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी थे, उनके अनुसार - पानीपत का तीसरा युद्ध मराठों के लिए प्रलयंकारी सिद्ध हुआ।
- इसी युद्ध में मराठों की हार की सूचना बालाजी बाजीराव को एक व्यापारी द्वारा कूट संदेश के रुप में पहुँचाई गई, जिसमें कहा गया कि दो मोती विलीन हो गए, बाईस सोने की मुहरें लुप्त हो गई और चांदी तथा तांबे के सिक्कों की तो पूरी गणना ही नहीं की जा सकती।
पानीपत के तीसरे युद्ध में किसने मराठों को हराया था - अफगानों ने U.P.P.C.S.(Pre) 1993/U.P.P.C.S.(Pre) 1994/P.C.S. (Pre) 2009/U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी, 1761 में मराठों तथा अहमद शाह अब्दाली (अफगानों) के बीच हुआ।
- मराठा सेना का नेतृत्व सदाशिव राव भाऊ ने किया।
- इस युद्ध में मराठें बुरी तरह पराजित हुए।
- युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी काशीराज पंडित के शब्दों में पानीपत का तृतीय युद्ध मराठों के लिए प्रलयंकारी सिद्ध हुआ।
मोडी लिपि का प्रयोग किसके विलेखों में किया जाता था - मराठों के I.A.S. (Pre) 1995
- मोडी लिपि का प्रयोग मराठा विलेखों (प्रपत्रों) में किया जाता था।
सरंजामी प्रथा किससे संबंधित थी - मराठा भू-राजस्व प्रथा B.P.S.C. (Pre) 1994
- मराठा काल में सरंजामी प्रथा भू-राजस्व प्रशासन से संबंधित थी।
- इस काल में मराठा जागीरदारों को सरंजामी भूमि उनके निर्वहन के लिए प्रदान की जाती थी।
कौन रुहेला सरदार अहमद शाह अब्दाली का विश्वासपात्र था - नजीब खान U.P.P.C.S.(Mains) 2006
- जनवरी, 1757 में अहमद शाह अब्दाली दिल्ली में प्रवेश कर गया और उसने मथुरा तथा आगरा तक लूटमार की।
- अपनी वापसी से पहले अब्दाली भारत में आलमगीर द्वितीय को सम्राट, इमादुलमुल्क को वजीर और रुहेला सरदार नजीबुद्दौला (नजीब खान) को साम्राज्य का मीर बख्शी और अपना मुख्य एजेंट बना कर वापस चला गया।
सतारा वंश
शिवाजी
1627 - 1680
|
सम्भाजी
1680 - 1689
|
राजाराम
1689 - 1700
|
ताराबाई
1689 - 1700
|
शाहू
1707 - 1749
|
रामराज
|
पेशवा
बालाजी विश्वनाथ
1713 - 1720
|
बाजीराव प्रथम
1720 - 1740
|
बालाजी बाजीराव
1740 - 1761
|
माधव राव पेशवा
1761 - 1772
|
नारायणराव
1772 - 1773
|
रघुनाथराव
1773 - 1774
|
सवाई माधवराव
1774 - 1795
|
बाजीराव द्वितीय
1796 - 1818
|
अमृतराव
|
नाना साहिब
|
शिवाजी के अष्ट प्रधान
पेशवा
|
अमात्य
|
मंत्री
|
सचिव
|
सुमंत
|
सेनापति
|
पंडितराव
|
न्यायाधीश
|
Show less