तुगलक वंश
अलाउद्दीन खिलजी के सेनाध्यक्षों में से कौन सा तुगलक वंश का प्रथम सुल्तान बना - गयासुद्दीन तुगलक U.P.P.C.S. (Pre) 1999
- अलाउद्दीन के सेनापतियों में गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक तुगलक वंश का प्रथम शासक था।
- उसकी माता हिंदू जाट महिला थी तथा पिता एक करौना तुर्क था।
- जो बलबन का दास था।
- गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में कई महत्वपूर्ण अभियानों का अध्यक्ष था तथा उसे दीपालपुर का राज्यपाल नियुक्त किया था।
- 29 अवसरों पर उसने मंगोलों के विरुद्ध युद्ध किया, उन्हें भारत से बाहर खदेड़ा, इसलिए वह मलिक - उल - गाजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- खुसरो शाह को समाप्त करके उसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार कर लिया और 8 सितंबर, 1320 ई. को सुल्तान बना।
- इसका एक नाम गाजी बेग तुगलक या गाजी तुगलक भी था।
- इसी कारण इतिहास में उसके उत्तराधिकारियों को भी तुगलक पुकारा जाने लगा और उसका वंश तुगलक वंश कहलाया।
किसने सल्तनतकाल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण दिया है - इब्नबतूता U.P.P.C.S. (Pre) 1999/P.C.S. (Pre) 2002
- सल्तनतकाल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण हमें इब्नबतूता के यात्रा वृतांत द्वारा प्राप्त होता है।
- यह मोरक्को के तानजीर प्रदेश का निवासी था और मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में भारत आया था।
- किताब - उल - रेहला उसकी प्रसिद्ध पुस्तक है।
अमीर - ए - कोही एक नया विभाग किस सुल्तान द्वारा शुरु किया गया था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Spl) (Mains)2004/P.C.S. (Pre) 2003
- मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नए विभाग दीवान - ए - अमीर - ए - कोही की स्थापना की।
- इस विभाग का मुख्य कार्य कृषकों को प्रत्यक्ष सहायता देकर अधिक भूमि कृषि कार्य के अधीन लाना था।
- 60 वर्ग मील की भूमि का एक लंबा टुकड़ा इस कार्य के लिए चुना गया।
- भूमि पर कृषि सुधार किए गए और फसल चक्र के अनुरुप हेर - फेर के साथ विभिन्न फसलों की खेती की गई।
दिल्ली के किस सुल्तान ने एक पृथक कृषि विभाग की स्थापना की एवं फसल चक्र की योजना बनाई थी - मुहम्मद बिन तुगलक U.P. Lower Sub. (pre) 2004/U.P. Lower Sub. (pre) 2008
दिल्ली सल्तनत का सर्वाधिक विद्वान शासक जो खगोलशास्त्र गणित, आयुर्विज्ञान सहित अनेक विद्याओं में माहिर था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S (Mains)2012
- दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक (1325 - 1351) सर्वाधिक विद्वान एवं शिक्षित शासक था।
- वह खगोलशास्त्र, गणित एवं आयुर्विज्ञान सहित अनेक विद्याओं में निपुण था।
मुहम्मद बिन तुगलक अपनी राजधानी दिल्ली से ले गया - दौलताबाद U.P.P.C.S.(Pre)2002
- मुहम्मद बिन तुगलक के प्रयोगों में एक सबसे महत्वपूर्ण था, राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) ले जाना।
- मुहम्मद तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन के विभिन्न कारण बताए गए है।
- बरनी के अनुसार, साम्राज्य के केंद्र में होने के कारण देवगिरि को राजधानी बनाया गया।
- इब्नबतूता के अनुसार, सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, इसलिए उन्हें दंड देने के लिए उसने देवगिरि को राजधानी बनाने का निर्णय लिया।
- इस प्रकार मुहम्मद तुगलक दिल्ली का प्रथम सुल्तान था जिसने उत्तरी एवं दक्षिणी भारत की प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता को स्थापित करने का प्रयत्न किया।
- देवगिरि को राजधानी बनाने में संभवतया, उसका मूल अभिप्राय यही था। डॉ. के ए निजामी के अनुसार, सुल्तान कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतबाबाद रखा और मुहम्मद तुगलक ने दौलताबाद।
- देवगिरि को कुव्वत - उल - इस्लाम भी कहा गया।
भारत में सर्वप्रथम सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया था - मुहम्मद बिन तुगलक ने U.P.P.C.S. (Mains)2004/U.P. Lower Sub. (pre) 2004
- मुहम्मद तुगलक ने अपने समय में विभिन्न प्रकार के सिक्के चलाए और उन सभी का उचित मूल्य निश्चित किया लेकिन सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन उसकी एक विशिष्टता रही।
- बरनी के अनुसार, खजाने में धन की कमी और साम्राज्य विस्तार की नीति को कार्यरुप में परिणत करने की वजह से मुहम्मद बिन तुगलक को सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी।
- ईरान में कैरवात खां के समय में सांकेतिक मुद्रा चलाई गई थी और वहां यह प्रयोग असफल हुआ था।
- लेकिन चीन में कुबलाई खां के समय में सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया था।
- संभवतया नवीन अन्वेषणों का प्रयोग करने वाले मुहम्मद तुगलक ने उन देशों से प्रेरणा प्राप्त की।
- आधुनिक इतिहासकारों का यह भी कहना है कि उसके समय में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गयी थी। और भारत में तो बहुत ही कमीं थी, इस कारण उसने सांकेतिक मुद्रा चलाई।
मुहम्मद बिन तुगलक ने सैन्य शक्ति में अभिवृद्धि के लिए क्या किया - स्वर्ण सिक्का जारी किया U.P. Lower Sub. (pre) 2005
- मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा जारी स्वर्ण सिक्कों को इब्नबतूता द्वारा दीनार की संज्ञा दी गई थी।
- मुहम्मद बिन तुगलक अपनी सैन्य शक्ति में अभिवृद्धि के लिए स्वर्ण सिक्कों की टोकन मुद्रा जारी किया।
भारत में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन लाया था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Mains)2004/U.P. Lower Sub. (pre) 2004
- बरनी, मुहम्मद तुगलक की पांच मुख्य योजनाओं का विशेष रुप से उल्लेख करता है ---
- (1) दोआब में कर वृद्धि (2) देवगिरि को राजधानी बनाना (3) सांकेतिक मुद्रा जारी करना (4) खुरासान पर आक्रमण (5) कराचिल की ओर अभियान
- सांकेतिक मुद्रा या प्रतीक मुद्रा योजना की असफलता का मुख्य कारण सिक्का ढ़ालने पर राज्य का नियंत्रण न होना।
- प्रतीक मुद्रा का मूल्य चांदी के मुद्रा के मूल्य के बराबर रखा गया।
- जिसके कारण अनेक जाली टकसाल बन गये।
- लगान जाली सिक्कों से दिया जाने लगा।
दीवाने - कोही किससे संबंधित है - मुहम्मद तुगलक M.P.P.C.S. (Pre)1991
मूर देश का यात्री इब्नबतूता किसके शासनकाल में भारत आया - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Pre)1994/P.C.S. (Pre) 2013
- इब्नबतूता (1333 - 1347) मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
- यह मुहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल (1325 - 51) में भारत आया।
- मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
- बाद में 1342 ई. में उसे सुल्तान का राजदूत बनाकर चीन भेजा गया।
- इब्नबतूता ने किताब - उल - रेहला नामक अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया है।
होली त्यौहार के सार्वजनिक उत्सव में भाग लेने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान कौन था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Spl) (Mains)2004
- दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक प्रथम सुल्तान था जो हिंदुओं के त्यौहारों, मुख्यतया होली में भाग लेता था।
- उसने गैर - तुर्कों और भारतीय मुसलमानों को भी सरकारी पदों पर नियुक्त किया था।
- जिसके कारण बरनी ने उसकी कटु आलोचना की और ऐसे व्यक्तियों को छिछोरा, माली, जुलाहा नाई रसोइया आदि कहा।
दिल्ली के किस मुस्लिम शासक के निधन पर एक इतिहासकार ने कहा, राजा को प्रजा से मुक्ति मिली व उन्हें राजा से - मुहम्मद बिन तुगलक M.P.P.C.S. (Pre)1997
अलाउद्दीन खिलजी के सेनाध्यक्षों में से कौन सा तुगलक वंश का प्रथम सुल्तान बना - गयासुद्दीन तुगलक P.C.S. (Pre) 2004
- अलाउद्दीन के सेनापतियों में गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक तुगलक वंश का प्रथम शासक था।
- उसकी माता हिंदू जाट महिला थी तथा पिता एक करौना तुर्क था।
- जो बलबन का दास था।
- गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में कई महत्वपूर्ण अभियानों का अध्यक्ष था तथा उसे दीपालपुर का राज्यपाल नियुक्त किया था।
- 29 अवसरों पर उसने मंगोलों के विरुद्ध युद्ध किया, उन्हें भारत से बाहर खदेड़ा, इसलिए वह मलिक - उल - गाजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- खुसरो शाह को समाप्त करके उसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार कर लिया और 8 सितंबर, 1320 ई. को सुल्तान बना।
- इसका एक नाम गाजी बेग तुगलक या गाजी तुगलक भी था।
- इसी कारण इतिहास में उसके उत्तराधिकारियों को भी तुगलक पुकारा जाने लगा और उसका वंश तुगलक वंश कहलाया।
किसने सल्तनतकाल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण दिया है - इब्नबतूता U.P.P.C.S. (Pre) 2000/P.C.S. (Pre) 2002
- सल्तनतकाल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण हमें इब्नबतूता के यात्रा वृतांत द्वारा प्राप्त होता है।
- यह मोरक्को के तानजीर प्रदेश का निवासी था और मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में भारत आया था।
- किताब - उल - रेहला उसकी प्रसिद्ध पुस्तक है।
अमीर - ए - कोही एक नया विभाग किस सुल्तान द्वारा शुरु किया गया था - मुहम्मद बिन तुगलक P.C.S. (pre) 2003/ U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004
- मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नए विभाग दीवान - ए - अमीर - ए - कोही की स्थापना की।
- इस विभाग का मुख्य कार्य कृषकों को प्रत्यक्ष सहायता देकर अधिक भूमि कृषि कार्य के अधीन लाना था।
- 60 वर्ग मील की भूमि का एक लंबा टुकड़ा इस कार्य के लिए चुना गया।
- भूमि पर कृषि सुधार किए गए और फसल चक्र के अनुरुप हेर - फेर के साथ विभिन्न फसलों की खेती की गई।
दिल्ली के किस सुल्तान ने एक पृथक कृषि विभाग की स्थापना की एवं फसल चक्र की योजना बनाई थी - मुहम्मद बिन तुगलक U.P. Lower Sub. (pre) 2004/U.P. Lower Sub. (Pre) 2008
दिल्ली सल्तनत का सर्वाधिक विद्वान शासक जो खगोलशास्त्र गणित, आयुर्विज्ञान सहित अनेक विद्याओं में माहिर था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक (1325 - 1351) सर्वाधिक विद्वान एवं शिक्षित शासक था।
- वह खगोलशास्त्र, गणित एवं आयुर्विज्ञान सहित अनेक विद्याओं में निपुण था।
मुहम्मद बिन तुगलक अपनी राजधानी दिल्ली से ले गया - दौलताबाद U.P.P.C.S. (Pre) 2002
- मुहम्मद बिन तुगलक के प्रयोगों में एक सबसे महत्वपूर्ण था, राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) ले जाना।
- मुहम्मद तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन के विभिन्न कारण बताए गए है।
- बरनी के अनुसार, साम्राज्य के केंद्र में होने के कारण देवगिरि को राजधानी बनाया गया।
- इब्नबतूता के अनुसार, सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, इसलिए उन्हें दंड देने के लिए उसने देवगिरि को राजधानी बनाने का निर्णय लिया।
- इस प्रकार मुहम्मद तुगलक दिल्ली का प्रथम सुल्तान था जिसने उत्तरी एवं दक्षिणी भारत की प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता को स्थापित करने का प्रयत्न किया।
- देवगिरि को राजधानी बनाने में संभवतया, उसका मूल अभिप्राय यही था। डॉ. के ए निजामी के अनुसार, सुल्तान कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतबाबाद रखा और मुहम्मद तुगलक ने दौलताबाद।
- देवगिरि को कुव्वत - उल - इस्लाम भी कहा गया।
भारत में सर्वप्रथम सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया था - मुहम्मद बिन तुगलक ने U.P.P.C.S. (Mains) 2004/U.P Lower Sub. (Pre) 2004
- मुहम्मद तुगलक ने अपने समय में विभिन्न प्रकार के सिक्के चलाए और उन सभी का उचित मूल्य निश्चित किया लेकिन सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन उसकी एक विशिष्टता रही।
- बरनी के अनुसार, खजाने में धन की कमी और साम्राज्य विस्तार की नीति को कार्यरुप में परिणत करने की वजह से मुहम्मद बिन तुगलक को सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी।
- ईरान में कैरवात खां के समय में सांकेतिक मुद्रा चलाई गई थी और वहां यह प्रयोग असफल हुआ था।
- लेकिन चीन में कुबलाई खां के समय में सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया था।
- संभवतया नवीन अन्वेषणों का प्रयोग करने वाले मुहम्मद तुगलक ने उन देशों से प्रेरणा प्राप्त की।
- आधुनिक इतिहासकारों का यह भी कहना है कि उसके समय में संपूर्ण विश्व में चांदी की कमी हो गयी थी। और भारत में तो बहुत ही कमीं थी, इस कारण उसने सांकेतिक मुद्रा चलाई।
मुहम्मद बिन तुगलक ने सैन्य शक्ति में अभिवृद्धि के लिए क्या किया - स्वर्ण सिक्का जारी किया U.P. Lower Sub. (pre) 2005
- मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा जारी स्वर्ण सिक्कों को इब्नबतूता द्वारा दीनार की संज्ञा दी गई थी।
- मुहम्मद बिन तुगलक अपनी सैन्य शक्ति में अभिवृद्धि के लिए स्वर्ण सिक्कों की टोकन मुद्रा जारी किया।
भारत में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन लाया था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Mains) 2004/U.P. Lower Sub. (Pre) 2004
- बरनी, मुहम्मद तुगलक की पांच मुख्य योजनाओं का विशेष रुप से उल्लेख करता है ---
- (1) दोआब में कर वृद्धि (2) देवगिरि को राजधानी बनाना (3) सांकेतिक मुद्रा जारी करना (4) खुरासान पर आक्रमण (5) कराचिल की ओर अभियान
- सांकेतिक मुद्रा या प्रतीक मुद्रा योजना की असफलता का मुख्य कारण सिक्का ढ़ालने पर राज्य का नियंत्रण न होना।
- प्रतीक मुद्रा का मूल्य चांदी के मुद्रा के मूल्य के बराबर रखा गया।
- जिसके कारण अनेक जाली टकसाल बन गये।
- लगान जाली सिक्कों से दिया जाने लगा।
दीवाने - कोही किससे संबंधित है - मुहम्मद तुगलक M.P.P.C.S. (Pre) 1991
मूर देश का यात्री इब्नबतूता किसके शासनकाल में भारत आया - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Pre) 1994/P.C.S. (Pre) 2013
- इब्नबतूता (1333 - 1347) मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था।
- यह मुहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल (1325 - 51) में भारत आया।
- मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
- बाद में 1342 ई. में उसे सुल्तान का राजदूत बनाकर चीन भेजा गया।
- इब्नबतूता ने किताब - उल - रेहला नामक अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया है।
होली त्यौहार के सार्वजनिक उत्सव में भाग लेने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान कौन था - मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004
- दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक प्रथम सुल्तान था जो हिंदुओं के त्यौहारों, मुख्यतया होली में भाग लेता था।
- उसने गैर - तुर्कों और भारतीय मुसलमानों को भी सरकारी पदों पर नियुक्त किया था।
- जिसके कारण बरनी ने उसकी कटु आलोचना की और ऐसे व्यक्तियों को छिछोरा, माली, जुलाहा नाई रसोइया आदि कहा।
दिल्ली के किस मुस्लिम शासक के निधन पर एक इतिहासकार ने कहा, राजा को प्रजा से मुक्ति मिली व उन्हें राजा से - मुहम्मद बिन तुगलक M.P.P.C.S. (Pre) 1997
- मुहम्मद बिन तुगलक जब दौलताबाद में था तभी तागि के नेतृत्व में गुजरात में एक विद्रोह हुआ।
- सुल्तान स्वयं इस विद्रोह को दबाने के लिए गुजरात गया।
- तागि पराजित हुआ और भागकर सिंध चला गया।
- सुल्तान गुजरात में शांति - व्यवस्था स्थापित कर तागि को समाप्त करने के लिए सिंध की ओर रवाना हुआ।
- मार्ग में ही सुल्तान बीमार पड़ा और थट्टा के निकट 20 मार्च, 1351 को उसकी मृत्यु हो गई। उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुल्तान से मुक्ति मिल गई।
किस सुल्तान ने बेरोजगारों को रोजगार दिलवाया - फिरोज तुगलक B.P.S.C. (Pre) 2001
- फिरोज शाह तुगलक ने सामान्य लोगों की भलाई के लिए कुछ उपकार के कार्य किए।
- नियुक्ति के लिए एक दफ्तर (रोजगार दफ्तर) खोलकर तथा प्रत्येक मनुष्य के गुण एवं योग्यता की पूरी जांच - पड़ताल के बाद यथासंभव अधिक से अधिक लोगो को नियुक्ति देकर उसने बेकारी की समस्या को हल करने का प्रयास किया।
दिल्ली से दौलताबाद राजधानी के स्थानांतरण का आदेश दिया था - सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक U.P.P.C.S. (Pre) 2004
दिल्ली का सुल्तान जो दान - दक्षिणा के बारे में काफी ध्यान रखता था और इसके लिए एक विभाग दीवान - ए - खैरात स्थापित किया, वह था - फिरोज तुगलक R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999
- फिरोज शाह तुगलक संतों एवं धार्मिक व्यक्तियों को जागीर एवं संपत्ति दान करता था।
- उसने एक विभाग दीवान - ए - खैरात स्थापित किया था, जो गरीब मुसलमानों, अनाथ स्त्रियों एवं विधवाओं को आर्थिक सहायता देता था और निर्धन मुसलमान लड़कियों के विवाह की व्यवस्था करता था।
किस सुल्तान के दरबार में सबसे अधिक गुलाम थे - फिरोज तुगलक B.P.S.C. (Pre) 2001
- फिरोज शाह तुगलक को दासों का बहुत शौक था।
- उसके दासों की संख्या संभवतः एक लाख अस्सी हजार तक पहुँच गई थी।
- उनकी देखभाल के लिए एक पृथक विभाग (दीवान - ए - बंदगान) का गठन किया गया था।
- उन दासों की शिक्षा का पूर्ण ध्यान रखा जाता था।
- प्रत्येक दास को 10 से 100 टंके के बीच वेतन मिलता था।
- कभी - कभी जागीरें भी मिलती थी।
- फिरोज का यह शौक राज्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ।
सर्वप्रथम लोक निर्माण विभाग की स्थापना की थी - फिरोज शाह तुगलक ने U.P.P.C.S. (Pre) 2004/U.P.D.A./L.D.A. (Pre) 2006
- सल्तनत काल में सर्वप्रथम फिरोज शाह तुगलक ने ही लोक निर्माण विभाग की स्थापना की थी।
- कहा जाता है कि फिरोज ने 300 नवीन नगरों का निर्माण कराया।
- उसके द्वारा बसाए नगरों में फतेहबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद प्रमुख थे।
- फरिश्ता के अनुसार फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 साराएं, 200 नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरे, 100 सार्वजनिक स्नानागृह, 10 स्तंभ और 150 पुलों का निर्माण कराया था।
- अपने बंगाल अभियान के दौरान उसने इकदला का नया नाम आजादपुर तथा पंडुआ का नया नाम फिरोजाबाद रखा।
- उसके राज्य का मुख्य वास्तुकार मलिक गाजी राहना था।
- प्रत्येक भवन की योजना को उसके व्यय अनुमान के साथ दीवान - ए - विजारत के सम्मुख रखा जाता था तभी उस पर धन स्वीकार किया जा सकता था।
हक्क - ए - शर्ब अथवा सिचांई कर लगाने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान कौन था - फिरोज तुगलक U.P. Lower Sub. (Pre) 2008/U.P.P.C.S. (Mains) 2010
दिल्ली का जो सुल्तान भारत में नहरों के सबसे बड़े जाल का निर्माण करने के लिए प्रसिद्ध है, वह था - फिरोज शाह तुगलक I.A.S. (Pre) 1998
- फिरोज तुगलक का शासनकाल भारत में बड़े जाल का निर्माण करने के कारण प्रसिद्ध रहा।
- सिंचाई की सुविधा के लिए उसने पांच बड़ी नहरों का निर्माण कराया।
- (1) प्रथम नहर 150 मील लंबी थी जो यमुना नदी का पानी हिसार तक ले जाती थी।
- (2) दूसरी 96 मील लंबी थी जो सतलज से घाघरा नदी तक जाती थी।
- (3) तीसरी सिरमौर की पहाड़ियों से निकल कर हांसी तक जाती थी।
- (4) चौथी घाघरा से फिरोजाबाद तक थी।
- (5) पांचवी यमुना नदी से फिरोजाबाद तक थी।
- फिरोज तुगलक ने सिंचाई और यात्रियों की सुविधा के लिए 150 कुएं भी खुदवाए।
- फरिश्ता के अनुसार - फिरोज ने सिंचाई की सुविधा के लिए विभिन्न स्थानों पर 50 बांधों और 30 झीलों अथवा जल को संग्रह करने के लिए तालाबों का निर्माण करवाया।
- फिरोज तुगलक उलेमा वर्ग की स्वीकृति के बाद हक्क - ए - शर्ब नामक सिंचाई कर लगाने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान था।
- उन किसानों को, जो सिचाई के लिए शाही नहरों का पानी प्रयोग में लाते थे, अपनी पैदावार का 1/10 भाग सरकार को देना पड़ता था।
दिल्ली का कौन सा सुल्तान अशोक स्तंभ को दिल्ली लाया था - फिरोजशाह तुगलक U.P.P.C.S. (Mains) 2009
टोपरा तथा मेरठ से दो अशोक स्तंभ लेख दिल्ली कौन लाया था - फिरोज शाह तुगलक U.P.P.C.S. (Pre) 1996
- फिरोज शाह तुगलक की विशिष्टता यह थी कि उसने अपने पूर्ववर्ती राजाओं और कुलीन पुरुषों के भवनों की मरम्मत कराने एवं उन्हें पुनः निर्मित कराने पर बहुत ध्यान दिया।
- उसने अपने निर्माण से भी अधिक महत्व उन भवनों को पुनः स्थापित करने में दिया।
- उसके द्वारा अशोक के दो स्तंभों को मेरठ एवं टोपरा (अब अम्बाला जिले में) से दिल्ली लाया गया।
- टोपरा वाले स्तंभ को महल तथा फिरोजाबाद की मस्जिद के निकट पुनः स्थापित कराया गया।
- मेरठ वाले स्तंभ को दिल्ली के वर्तमान बाड़ा हिंदू राव अस्पताल के निकट एक टीले कश्के - शिकार या आखेट - स्थान के पास पुनः स्थापित कराया गया।
दिल्ली के किस सुल्तान ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया था - फिरोज तुगलक ने U.P.P.C.S. (Pre) 2011
- फिरोज तुगलक द्वारा ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया गया था।
- उस समय तक ब्राह्मण इस कर से मुक्त रखे गए थे। (लिखा है)
- फिरोज के इस कदम के विरुद्ध दिल्ली के ब्राह्मणों ने भूख हड़ताल की थी और अंत में दिल्ली के अन्य हिन्दुओं ने ब्राह्मणों के हिस्से का जजिया स्वयं देने का निर्णय लिया था।
किस सुल्तान ने फलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए उपाय किए - फिरोज तुगलक B.P.S.C. (Pre) 2000
- फिरोज शाह तुगलक ने बागवानी में अपनी अभिरुचि के कारण दिल्ली के निकट 1200 नए फलों के बाग लगाए तथा अलाउद्दीन के तीस पुराने बागों को फिर से लगवाया।
- उसने अपने बागो में फलों की गुणवत्ता सुधारने के भी उपाय किए थे।
दिल्ली के किस सुल्तान ने इस उद्देश्य से एक अनुवाद विभाग की स्थापना की, कि उससे दोनों संप्रदायों के लोगों में एक - दूसरे के विचारों की समझ बेहतर हो सके - फिरोज तुगलक U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004
- दिल्ली के सुल्तान फिरोज तुगलक ने इस उद्देश्य से एक अनुवाद विभाग की स्थापना की थी।
- कि उससे हिंदू एवं मुस्लिम दोनों संप्रदायों के लोगों में एक दूसरे के विचारों की समझ बेहतर हो सके।
- उसने कुछ संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद भी करवाया।
राज्य के खर्च पर हज की व्यवस्था करने वाला पहला भारतीय शासक था - फिरोज तुगलक U.P.P.C.S. (Pre) 1998/I.A.S. (Pre) 1994
- राज्य के खर्च पर हज की व्यवस्था करने वाला पहला भारतीय शासक फिरोज तुगलक था।
- इसने अनेक जन - कल्याणकारी कार्यों को संपन्न किया, यथा - उसने रोजगार दफ्तर खुलवाया और एक दानशाला खोली जो दीवाने - खैरात के नाम से विख्यात था।
- साथ ही उसने दारुल - शफा नामक एक खैराती अस्पताल की स्थापना भी की और उसमें कुशल हकीम रखे।
दिल्ली सल्तनत के तुगलक राजवंश का अंतिम शासक कौन था - नासिर - उद - दीन - महमूद I.A.S. (Pre) 2004
- नासिर - उद - दीन - महमूद (1394 - 1412) तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
- इसके शासनकाल में ख्वाजा जहाँ ने जौनपुर के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- पंजाब का सूबेदार खिज्र खां स्वतंत्र होकर दिल्ली को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करने लगा।
- फिरोज के एक अन्य पुत्र नुसरत शाह ने नासिरुद्दीन को चुनौती दी।
- फलस्वरुप तुगलक वंश दो भागों में विभाजित हो गया और दोनों शासकों ने एक ही साथ दिल्ली के छोटे से राज्य पर शासन किया।
- नासिरुद्दीन दिल्ली में रहा और नुसरत शाह फिरोजाबाद में।
- नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मध्य - एशिया के महान मंगोल सेनानायक तैमूर ने भारत पर आक्रमण (1398 ई.) किया।
- यह कथन इसी शासक के लिए प्रचलित था - शंहशाह की सल्तनत दिल्ली से पालम तक फैली हुई है।
तैमूर लंग ने किस वर्ष भारत पर आक्रमण किया - 1398 ई. M.P.P.C.S. (Pre) 2005
- भारत पर तैमूर का आक्रमण वस्तुतः तुगलक शासक नासिरुद्दीन महमूद (1394 - 1412 ई.) के काल में (1398 ई.) हुआ था।
- भारत पर आक्रमण करने के उद्देश्यों को तैमूर ने स्वयं स्पष्ट किया था।
- उनमें से एक या काफिरों से युद्ध तथा उनका विनाश तथा दूसरा था धन प्राप्ति।
- जनवरी 1399 ई. को तैमूर फिरोजाबाद, मेरठ, हरिद्वार, कांगड़ा और जम्मू होता हुआ वापस लौटा।
- जाने से पहले उसने खिज्र खां को मुल्तान, दीपालपुर और लाहौर का सुबेदार नियुक्त किया।
तैमूर के आक्रमण के बाद भारत में किस वंश का राज स्थापित हुआ - सैय्यद वंश B.P.S.C. (Pre) 2001
- तैमूर के आक्रमण (1398) ने दिल्ली सल्तनत एवं तुगलक वंश दोनों को ही नष्ट कर दिया।
- 1412 ई. में नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के साथ ही तुगलक वंश का अंत हो गया।
- 1413 ई. में सरदारों ने दौलत खां को दिल्ली का सुल्तान चुना।
- लेकिन उसे खिज्र खाँ ने पराजित कर दिया।
- वह तैमूर द्वारा नियुक्त लाहौर का सूबेदार था।
- तैमूर के आक्रमण के बाद 1414 ई. में उसने दिल्ली पर अधिकार कर एक नए वंश सैय्यद वंंश की नीवं डाली।
तैमूर ने किसके शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया - नासिरुद्दीन महमूद U.P.P.C.S. (Pre) 2002
फिरोज तुगलक द्वारा स्थापित दार - उल - शफा क्या था - एक खैराती अस्पताल U.P.P.C.S. (Pre) 2013/B.P.S.C. (Pre) 2011
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