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चीनी क्रांति
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चीनी क्रांति
चीनी क्रांति
चीन में मंचू राजवंश का पतन 1911 ई. मेँ हुआ।
डॉ. सन्यात सेन को 1911 ई. की क्रांति का जनक कहा जाता है।
डॉ सन्यात सेन का जन्म 1867 ई. मेँ हुआ था।
1905 मेँ सन्यात सेन ने तुंग-मेंग-हुई पार्टी का गठन किया था।
1911 ई. की क्रांति के बाद 1912 ई. मेँ सामंतों तथा प्रतिक्रियावादी तत्वोँ ने युआन-शी-काई नामक व्यक्ति को चीन का राष्ट्रपति बनाया।
डॉ. सन्यात सेन ने 1912 ई. में तुंग-मेंग-हुई पार्टी का नाम बदल कर कुओमितांग रखा।
माइकल बोरोबिन नामक रुसी व्यक्ति ने डॉ सन्यात सेन की कुओमितांग पार्टी के प्रमुख सिद्धांत राष्ट्रीयता, लोकतंत्र तथा समाजवाद बताए थे।
सन् 1925 मेँ डॉक्टर सन्यात सेन की मृत्यु हो गई।
डॉ सन्यात सेन की मृत्यु के बाद च्यांग-काई-शेक कुओमितांग दल का प्रधान बना।
चीन मेँ कम्युनिस्ट (साम्यवादी) पार्टी की स्थापना 1921 मेँ की गई थी।
डॉ सन्यात सेन के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर बहुत सारे कम्युनिस्ट कुओमितांग दल मेँ शामिल हो गए।
च्यांग-काई-शेक साम्यवादियो का विरोधी था। फलतः 1928 ई. मेँ चीन मेँ भयंकर गृह-युद्ध शुरु हुआ, जो 1936 ई. तक चलता रहा।
1934 ई. में कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग एवं चाऊ-एन-लाई के साथ भाग कर क्यांगसी प्रदेश चले गए।
गृह युद्ध में च्यांग-काई-शेक की हार हुई और वह फारमोसा भाग गया।
21 नवंबर, 1949 को माओत्से-तुंग के नेतृत्व मेँ चीन मेँ गणतंत्र राज्य की स्थापना हुई। माओत्से-तुंग राष्ट्रपति तथा चाऊ-एन-लाई इसके प्रधानमंत्री बने।
इस प्रकार एशिया मेँ एक नए साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।
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