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कब्र से निकाली जाती हैं लाशें, फिर जो होता है उस पर यकीन कर पाना मुश्किल STUDY91

  • The Untold Story : इंडोनेशिया में शव के साथ त्यौहार मनाने की परम्परा | Ma'nene in Indonesia, STUDY91

  • 🔴 क्यों इंडोनेशिया में हर 3 साल पर कब्रों से निकाली जाती हैं लाशें?

  • 🟠 आखिर हर 3 साल में इंडोनेशिया में कब्रों से क्यों निकाली जाती हैं

  • 🟡 इंडोनेशिया में मनाया गया 'मुर्दों का त्यौहार',

  • 🟢 ऐसा त्योहार और कहीं नहीं, यहां शवों को कब्र से निकालकर सजाया

  • 🔵 लाशों की सफाई का त्योहार : इंडोनेशिया की लोक-कथा 

  • 🟣 कब्र से निकाली जाती हैं लाशें, फिर जो होता है उसपर यकीन कर पाना

  • ⚫ कभी देखा है ऐसा त्योहार, जहां दफनाए हुए शवों को निकालकर पहनाए

  • ⚪ यहां मरे हुए लोगों के साथ रहते हैं लोग, खिलाते हैं खाना,

टाना टोराजा के पहाड़ों पर →

  • यह त्यौहार टाना टोराजा के पहाड़ों पर टोराजन जनजाति के द्वारा मनाया जाता है।

  • इस समुदाय के लोगों का मानना है कि इससे जिन्दगी और मौत के बीच का कनेक्शन चलता रहता है। ऐसा करने से मृतक की आत्मा को खुशी मिलती है, कि उसका परिवार मरने के बाद भी केयर करता है। ये रिवाज हर साल होता है। 

  • जिसमें हर साल कब्र खोद कर लाशें निकाली जाती हैं और फिर लाशों को सजाया जाता है। 

  • इस मौके पर परिवार अपने मृत प्रियजनों की कब्र को खोदते हैं और फिर लाशों को नहलाते हैं, नये कपड़े पहनाते हैं और अच्छी तरह सजाते हैं। 

  • उसके बाद लाश को सामने रख कर नाच-गाना होता है। और तो और इस पर्व पर अच्छे-अच्छे पकवान भी बनते हैं, जिन्हें उन लाशों के सामने रखने के बाद प्रसाद के रूप में खाया जाता है।

  • यह त्यौहार 100 से अध‍िक वर्ष पहले से मनाया जा रहा है। हर साल शव निकाले जाते हैं।


बरुप्पु से हुई थी शुरुआत →

  • कहा जाता है कि इस त्यौहार की शुरुआत बरुप्पु गांव से हुई थी, जब लाश का आशीर्वाद लेने के लिये ऐसा किया गया।

  • त्यौहार की प्रथा पूरी होने के बाद लोग वही कपड़े खुद पहनते हैं, जो लाश को पहनाये थे।


पेड़ की टहनियों में दफना दिए जाते हैं "गांव के सारे मृत बच्चे" →

  • क्या आपने कभी किसी ऐसी परंपरा के बारे में सुना है जिसमें पेड़ में बच्चों के मृत शरीर को दफन किया जाता है। ऐसी ही एक विचित्र परंपरा इंडोनेशिया के दक्षिण सुलावेसी प्रांत की है। 

  • जहां बच्चों के मरने के बाद पेड़ के टहनियों में दफन कर दिया जाता है।

  • बच्चे के शरीर को दफनाने के लिए लोग पेड़ के तने में गड्ढा करते हैं।

  • इसके बाद कपड़े में लपेटकर ताड़ के पेड़ से बने फाइबर से ढक देते हैं।

  • समय बीतने के साथ पेड़ों के ये गड्ढे भर जाते हैं।

  • दरअसल यहां के गांव वाले मानते हैं कि बच्चों की आत्मा को हवा अपने साथ बहा ले जाती है।

  • ये परंपरा सिर्फ ऐसे बच्चों के लिए होती है, जिनकी मौत दांत निकलने से पहले हो गई होती है।

  • वयस्क और युवाओं को जमीन के अंदर ही दफनाया जाता है।

  • इस परंपरा को निभाने वाले लोगों का मानना है कि इससे बच्चे मरने के बाद प्रकृति की गोद में समा जाते हैं।

  • जिस पेड़ की टहनियों में बच्चों को दफनाया जाता है वहां का इलाका बेहद डरावना बन चुका है।

  • यही नहीं यहां के वयस्क की अगर मौत होती है तो पहले उनके पूर्वज के शरीर को कब्र से निकालते हैं और उन्हें नए कपड़े पहना कर गांव में घूमाया जाता है उसके बाद ही उस मृत वयस्क की शरीर को दफनाया जाता है।
     

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