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हाल ही चर्चा में रहा पोलर वर्टेक्स क्या है ? और ओज़ोन छिद्र चर्चा में क्यों ?

  • वातावरण की असामान्य परिस्थितियों के कारण आर्कटिक के ऊपर तैयार हुआ ओजोन का सबसे बड़ा होल भर गया है।
  • इसकी पुष्टि यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्ट (ECMWF) की दो मौसम संबंधी सेवाओं ने की है।
  • कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) और कॉपरनिकस एटमॉसफेयर मॉनिटरिंग सर्विस (CAMS) ने ताजा गतिविधियों पर कहा कि यह अभूतपूर्व है। 

क्‍यों जरूरी है ओजोन परत ?

  • यह ओजोन लेयर पृथ्‍वी के ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है। इसे स्‍ट्रैटोस्‍फीयर कहा जाता है, पृथ्‍वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर के बीच।
  • ओजोन की परत के कारण धरती पर सूरज की अल्ट्रावॉयलट किरणें नहीं आ पाती हैं।
  • यह मंडल धरती को हानिकारक रेडिएशन से बचाता है।
  • यह रेडिएशन स्किन कैंसर की वजह बनता है।

महत्वपूर्ण बिंदु –

  • जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (German Aerospace Center) के वैज्ञानिकों के अनुसार, फरवरी 2020 में उत्तरी ध्रुव की ओज़ोन परत में छिद्र का पता लगाया गया था जो लगभग 1 मिलियन वर्ग किमी में फैला था।
  • कोपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 की वज़ह से दुनियाभर में किये गए लॉकडाउन से प्रदूषण में गिरावट इसका प्रमुख कारण नहीं है।
  • आर्कटिक के ऊपर बने ओज़ोन छिद्र के ठीक होने की वजह पोलर वर्टेक्स (Polar Vortex) है।

क्या आप जानते हैं ? पोलर वर्टेक्स क्या है ? 

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स पर चर्चा करने से पहले, यह जान लें कि- भंवर क्या है?

  • भंवर का शाब्दिक अर्थ होता है द्रव या वायु का एक चक्करदार द्रव्यमान, विशेष रूप से एक भँवर या बवंडर। 
  • इसे "हवा के काउंटर-क्लॉकवाइज प्रवाह" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ध्रुवों के पास ठंडी हवा को बनाए रखने में मदद करता है।

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स – 

  • ध्रुवीय इलाकों में उपरी वायुमंडल में चलने वाली तेज़ चक्रीय हवाओं को बोलते हैं।
  • कम दबाव वाली मौसमी दशा के कारण स्थायी रूप से मौजूद ध्रुवीय तूफ़ान उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडी हवाओं को आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं। 
  • पृथ्वी के वायुमंडल में दो ध्रुवीय भंवर हैं, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर निर्भर हैं।
  • प्रत्येक ध्रुवीय भंवर व्यास में 1,000 किलोमीटर (620 मील) से कम एक निरंतर, बड़े पैमाने पर, निम्न-दबाव क्षेत्र है, जो उत्तरी ध्रुव (जिसे एक चक्रवात कहा जाता है) और दक्षिण ध्रुव पर घड़ी की दिशा में, दक्षिणावर्त घूमता है, अर्थात ध्रुवीय भंवर ध्रुवों के चारों ओर पूर्व की ओर घूमते हैं। 

पोलर वर्टेक्स क्या है ?

इसकी वजह से कैसे ठीक हुआ ओजोन होल ? 

  • ध्रुवीय इलाकों में उपरी वायुमंडल में चलने वाली तेज़ चक्रीय हवाओं को पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय भंवर) बोलते हैं।
  • यह पृथ्वी के ध्रुवों के आस-पास कम दबाव और ठंडी हवा का एक बड़ा क्षेत्र है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियों के दौरान कई बार पोलर वर्टेक्स में विस्तार होता है जो जेट स्ट्रीम के साथ दक्षिण की ओर ठंडी हवा को भेजता है।
  • कम दबाव वाली मौसमी दशा के कारण स्थायी रूप से मौजूद ध्रुवीय तूफ़ान उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडी हवाओं को आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं।
  • इसे बेहद हल्‍का चक्रवात कह सकते हैं।
  • ध्रुवीय भंवर ध्रुवों के चारों ओर हवाओं का एक समूह है जो ध्रुवों के पास ठंडी हवा को बंद रखता है। 
  • ध्रुवीय भंवर का विस्तार ट्रोपोपॉज (ऊंचाई में 8-11 किमी) से स्ट्रैटोपॉज (ऊंचाई में 50-60 किमी) तक होता है।

ध्रुवीय भंवर जलवायु को कैसे प्रभावित करता है?

  • जब ध्रुवीय भंवर सबसे मजबूत होता है, तो ठंडी हवा के अमेरिका और यूरेशिया में बहने की संभावना कम होती है क्योंकि हवा उस भंवर में फंस जाती है, लेकिन कभी-कभी यह भंवर विघटित हो जाता है (सिस्टर वर्टेक्स में टूट जाता है) और यह दक्षिण की ओर खिसक जाती है। 
  • तरंग ऊर्जा के कारण हवा निचले वायुमंडल (क्षोभमंडल) से ऊपर की ओर फैलती है।
  • ध्रुवीय भंवर के दक्षिण की ओर स्थानांतरण के कारण अमेरिका/यूरेशिया में अचानक ठंडी और बर्फीली हवा चलती है।

कैसे बना ओजोन होल?

  • यूरोपियन स्पेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार आर्कटिक ओजोन परत के क्षरण के लिए ठंडे तापमान (-80 डिग्री सेल्सियस से कम), सूर्य के प्रकाश, पवन क्षेत्र और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ जिम्मेदार थे।
  • मुख्‍य तौर पर बादल, क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स।
  • इन तीनों की मात्रा स्ट्रेटोस्फेयर (10 से 50 किलोमीटर ऊपर) में बढ़ गई थी।
  • इनकी वजह से स्ट्रेटोस्फेयर में जब सूरज की अल्ट्रवायलेट किरणें टकराती हैं तो उनसे क्लोरीन और ब्रोमीन के एटम निकल रहे थे।
  • यही एटम ओजोन लेयर को पतला कर रहे थे।
  • जिससे उसका छेद बड़ा होता जा रहा था. 



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