1- 1999 के बाद इतना भयंकर चक्रवात
2- ओड़िशा & पं.बंगाल में हाई अलर्ट
3- NDRF बल क्या है ?
4- चक्रवातों का नामकरण ?
चक्रवात कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज़ आँधी को कहा जाता है |
भूमध्य रेखा से ऊपर बनने वाले चक्रवात, घड़ी की विपरीत दिशा में घूमते हैं वहीं भूमध्य रेखा से नीचे बनने वाले चक्रवात घड़ी की दिशा में घूमते हैं। इसकी वजह पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना है।
विज्ञान में इनका नाम उष्णकटिबंधीय चक्रवात है (ट्रॉपिकल साइक्लोन ) लेकिन बोलने की भाषा में इसके दो नाम हैं।
जो अटलांटिक या पूर्वी प्रशांत महसागर से उठते हैं उन्हें हरिकेन (तूफान) कहा जाता है और हिन्द महासागर से उठने वाले चक्रवातों को चक्रवात के नाम से ही बुलाया जाता है।
चक्रवात का नाम कैसे तय होता है –
हिन्द महासागर क्षेत्र के 8 देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाईलैंड) ने भारत की पहल पर 2004 से चक्रवाती तूफानों को नाम देने की व्यवस्था शुरू की थी।
जैसे ही चक्रवात इन 8 देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है, सूची में मौजूद अलग नाम इस चक्रवात को दिया जाता है। कोई भी नाम रिपीट नही किया जाता है |
NDRF Force की स्थापना 2005 में की गई थी|
इसको हिंदी में राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल कहते है|
NDRF एक Force होती है जो Natural Calamity आने पर काम करती है जैसे भूकम्प, बाढ़ जैसे हालत होने पर NDRF Force की Team को बनाकर लोगो की मदद के लिए काम पर भेजा जाता है |
यह गृह मंत्रालय के समर्थक में आती है|
NDRF Force पैरा-सैन्य लाइनों पर आयोजित 12 बटालियनों का एक बल है |
मौसम विभाग की चेतावनी को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है-
(1) येलो वार्निंग (Yellow Warning)
(2) ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert)
(3) रेड अलर्ट (Red Alert)
‘येलो वार्निंग’ अथवा ‘साईक्लोन अलर्ट’ - तटीय क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम की संभावना से कम-से-कम 48 घंटे पूर्व जारी की जाती है।
‘ऑरेंज अलर्ट’ अथवा ‘साईक्लोन वार्निग’- तटीय क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम की संभावना से कम-से-कम 24 घंटे पूर्व जारी किया जाता है।
‘रेड अलर्ट’ चक्रवात के लैंडफॉल के पश्चात् चक्रवात की गति की संभावित दिशा और भूभागीय क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की संभावना को दर्शाता है।