17 August 2024 Current Affairs in Hindi
हाल ही में किस देश की संवैधानिक अदालत ने अपने प्रधानमंत्री को पद से बर्खास्त कर दिया – थाईलैंड
- थाईलैंड की शीर्ष संवैधानिक अदालत ने नैतिकता का उल्लंघन करने के आरोप में देश की प्रधान मंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से बर्खास्त कर दिया है। 14 अगस्त 2024 को दिए गए 5-4 बहुमत के फैसले में, न्यायालय ने प्रधान मंत्री को एक मंत्री-पिचित चुएनबान, जो जेल की सजा काट चुका था, को नियुक्त करके नैतिकता का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया। फैसले के बाद प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- प्रधान मंत्री श्रेथा थाविसिन पिछले 16 वर्षों में थाईलैंड के चौथे प्रधान मंत्री हैं जिन्हें थाईलैंड के संवैधानिक न्यायालय के फैसले द्वारा पद से हटाया गया है।
- मई के आम चुनाव के बाद अगस्त 2023 में श्रेथा थावसिन प्रधान मंत्रीबने थे। उनकी पार्टी फू थाई पार्टी, चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सरकार बनाए के लिए उन्होंने 11 पार्टियों का एक गठबंधन बनाया था ।
- थाईलैंड में आगे क्या होगा है?
- जब तक थाईलैंड की संसद द्वारा नए प्रधान मंत्री को मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक वर्तमान कैबिनेट यथावत बनी रहेगी और वह कार्यवाहक कैबिनेट के रूप में कार्य करेगी।
- थाईलैंड की संसद द्विसदनीय है, जिसमें 500 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) और 250 सदस्यीय सीनेट (उच्च सदन) शामिल है।
- प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार को संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
- नए प्रधान मंत्री का चुनाव करने के लिए संसद के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
- थाइलैंड का राजतंत्र
- थाईलैंड साम्राज्य, जिसे पहले सियाम के नाम से जाना जाता था, 'सफेद हाथियों' की भूमि के देश के नाम से भी प्रसिद्ध है।
- यह दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है।
- हाथी थाईलैंड का राष्ट्रीय पशु है।
- अपने आधुनिक इतिहास में थाईलैंड कभी भी किसी यूरोपीय शक्ति का उपनिवेश नहीं रहा।
- मुद्रा: बहत (baht)
- राजधानी: बैंकॉक
- राजा: वजिरालोंगकोर्न
हाल ही में, किस हवाई अड्डे को भारत का पहला नेट जीरो कार्बन एमिशन एयरपोर्ट का दर्जा मिला - इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- दिल्ली एयरपोर्ट ने नेट जीरो कार्बन एमिशन (Net Zero Carbon Emission) का दर्जा हासिल कर लिया है. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (IGIA) भारत का भारत का पहला एयरपोर्ट है जिसे नेट जीरो कार्बन एमिशन का दर्जा हासिल हुआ है।
- इस सर्टिफिकेशन को एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) एयरपोर्ट कार्बन एक्रिडिटेशन (ACA) कार्यक्रम के तहत लेवल 5 के रूप में जाना जाता है।
- नेट जीरो कार्बन एमिशन का क्या मतलब है?
- नेट जीरो कार्बन एमिशन का मतलब है कि एक एयरपोर्ट ने अपने द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा को हटाने या कम करने के लिए कदम उठाए हैं। इन कदमों में पेड़ लगाना या नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (Renewable energy projects) में निवेश करना शामिल है।
- 2016 में मिला कार्बन न्यूट्रल स्टेटस
- दिल्ली एयरपोर्ट को पहली बार 2016 में कार्बन-न्यूट्रल स्टेटस मिला था. 2020 तक, एयरपोर्ट एमिशन को कम करने के लिए अलग-अलग प्रयास कर रहा था। तभी उसे लेवल 4+ सर्टिफिकेशन भी मिल चुका था।
संदीप पौंड्रिक, गोविंद मोहन, अमित सिंह नेगी एवं मनीष गर्ग को नियुक्त किया गया है क्रमशः- इस्पात मंत्रालय में सचिव, गृह सचिव, PMO में अतरिक्त सचिव, चुनाव आयोग में उप चुनाव आयुक्त
- महत्वपूर्ण नियुक्तियां -
- संदीप पौंड्रिक - इस्पात मंत्रालय में सचिव
- गोविंद मोहन - गृह सचिव
- अमित सिंह नेगी - PMO में अतरिक्त सचिव
- मनीष गर्ग - चुनाव आयोग में उप चुनाव आयुक्त
- संजय कुमार - चुनाव आयोग में उप चुनाव आयुक्त
- अजीत कुमार - चुनाव आयोग में उप चुनाव आयुक्त
- समीर अश्विन वकील - कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत SFIO में डायरेक्टर
- मनीषा सक्सेना - कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में अतिरिक्त सचिव
हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नए डायरेक्टर के रूप में किसे नियुक्त किया गया - राहुल नवीन
प्रवर्तन निदेशालय यानी की एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) के नए डायरेक्टर के तौर पर IRS राहुल नवीन को नियुक्त किया गया है। उनकी तैनाती केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति की ओर से की गई है। इससे पहले भी राहुल ED में कार्यवाहक निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं. उनकी नियुक्ति संजय कुमार मिश्रा के स्थान पर की गई है।
- ED हमेशा चर्चा में रहने वाला विभाग है। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच प्रवर्तन निदेशालय ही करता है. राहुल नवीन मौजूदा समय में ईडी में विशेष निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति दो साल या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी।
- IRS Rahu Navin : कौन हैं राहुल नवीन?
- राहुल नवीन 1993 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं। 57 वर्षीय नवीन नवंबर 2019 में विशेष निदेशक (ओएसडी) के रूप में ईडी में शामिल हुए थे। इससे पहले वह इनकम टैक्स कमीश्नर भी रह चुके हैं. साथ ही उन्होंने चीफ विजिलेंस अधिकारी पद पर भी काम किया है। वह अपने कामकाज के सख्त तरीकों के कारण भी जाने जाते हैं। ईडी मे रहते हुए उन्होंने कई बड़े मामले की जांच की है।
हाल ही में, महाराष्ट्र ने किसे प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया - रत्नागिरी रॉक कला
- संस्कृति विभाग की एक अधिसूचना के अनुसार , रत्नागिरी के देउद में शैलचित्रों का समूह मध्यपाषाण युग (लगभग 20,000-10,000 साल पहले) का है। इसे जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफमहाराष्ट्र सरकार ने रविवार को महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1960 के तहत रत्नागिरी में भू-आकृतियों और शैलचित्र को 'संरक्षित स्मारक' के रूप में अधिसूचित किया है । के तहत 'संरक्षित स्मारक' यानी प्रोटेक्टेड मॉन्यूमेंट घोषित किया है।
- जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफ क्या हैं?
- जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफ धरती की सतह पर पाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की प्राचीन कलाएं हैं। इन दोनों में चट्टान सतहों पर डिजाइन या चित्र बने होते हैं।
- पेट्रोग्लिफ्स: ये चट्टान की सतहों पर नक्काशी है। इनमें जानवरों, मनुष्यों या अलग-अलग पैटर्न बनाए गए हैं। रत्नागिरी में, पेट्रोग्लिफ में गैंडे, हिरण, बंदर, गधे और यहां तक कि पैरों के निशान जैसे जानवरों का चित्रण शामिल है। इस नक्काशी में प्राचीन काल के लोगों के जीवन की झलक दिखाई गई है।
- जियोग्लिफ्स: ये जमीन पर बने बड़े डिजाइन हैं। इनमें अक्सर ऊपर से दिखाई देने वाले पैटर्न चट्टानों पर बने हैं।
- भारत की नॉर्मल रॉक पेंटिंग से है अलग
- भारत की नॉर्मल रॉक पेंटिंग से रत्नागिरी की कलाकृतियां काफी अलग हैं। इनमें समुद्री जीवों की छवियां, नदी के जानवरों का चित्रण, अलग-अलग जानवर (जो कभी इस क्षेत्र में मौजूद होंगे), सांप और मेंढक जैसे जीवों की छवियां और पक्षियों का चित्रण शामिल है।
हाल ही में, महाराष्ट्र ने किसे प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया - रत्नागिरी रॉक कला
- संस्कृति विभाग की एक अधिसूचना के अनुसार , रत्नागिरी के देउद में शैलचित्रों का समूह मध्यपाषाण युग (लगभग 20,000-10,000 साल पहले) का है। इसे जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफमहाराष्ट्र सरकार ने रविवार को महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1960 के तहत रत्नागिरी में भू-आकृतियों और शैलचित्र को 'संरक्षित स्मारक' के रूप में अधिसूचित किया है । के तहत 'संरक्षित स्मारक' यानी प्रोटेक्टेड मॉन्यूमेंट घोषित किया है।
- जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफ क्या हैं?
- जियोग्लिफ और पेट्रोग्लिफ धरती की सतह पर पाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की प्राचीन कलाएं हैं। इन दोनों में चट्टान सतहों पर डिजाइन या चित्र बने होते हैं।
- पेट्रोग्लिफ्स: ये चट्टान की सतहों पर नक्काशी है। इनमें जानवरों, मनुष्यों या अलग-अलग पैटर्न बनाए गए हैं। रत्नागिरी में, पेट्रोग्लिफ में गैंडे, हिरण, बंदर, गधे और यहां तक कि पैरों के निशान जैसे जानवरों का चित्रण शामिल है। इस नक्काशी में प्राचीन काल के लोगों के जीवन की झलक दिखाई गई है।
- जियोग्लिफ्स: ये जमीन पर बने बड़े डिजाइन हैं। इनमें अक्सर ऊपर से दिखाई देने वाले पैटर्न चट्टानों पर बने हैं।
- भारत की नॉर्मल रॉक पेंटिंग से है अलग
- भारत की नॉर्मल रॉक पेंटिंग से रत्नागिरी की कलाकृतियां काफी अलग हैं। इनमें समुद्री जीवों की छवियां, नदी के जानवरों का चित्रण, अलग-अलग जानवर (जो कभी इस क्षेत्र में मौजूद होंगे), सांप और मेंढक जैसे जीवों की छवियां और पक्षियों का चित्रण शामिल है।
हाल ही में, भारत ने 3 नए रामसर स्थल जोड़े, इसी के साथ भारत में कुल कितने रामसर स्थल हैं – 85
- भारत के रामसर आर्द्रभूमि क्षेत्र 18 राज्यों में फैले देश के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र का लगभग 10% है; किसी भी अन्य दक्षिण एशियाई देश में इतने अधिक स्थल नहीं हैं।
- अगस्त में, 3 और वेटलैंड्स को 'रामसर साइट' का दर्ज़ा प्राप्त हुआ। इससे भारत में ऐसे स्थलों की कुल संख्या 85 हो गई है।
- 3 नए स्थल हैं -
- 1. नंजरायण पक्षी अभयारण्य - तमिलनाडु में
- यह तमिलनाडु के तिरुपुर जिले के उथुकुली तालुक में एक बड़ी उथली आर्द्रभूमि है। यूरोपियन विगॉन और रूडी शेल्डक सहित दुर्लभ जल पक्षी तमिलनाडु के नाजरायन टैंक पक्षी अभयारण्य में आते हैं।
- 2. काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य - तमिलनाडु में
- यह तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित आर्द्रभूमि है। यह ज्वारीय रूप से येदियांथिट्टू मुहाना से जुड़ा हुआ है।
- 3. तवा जलाशय - मध्य प्रदेश में
- तवा जलाशय मध्य भारत में तवा नदी पर एक जलाशय है। यह मध्य प्रदेश राज्य के होशंगाबाद जिले के इटारसी में स्थित है।
- रामसर स्थल -
- आर्द्रभूमि के ऐसे क्षेत्र होते हैं जिन्हें यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय संधि, वैटलैंड्स पर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलती है। इस संधि को रामसर कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम ईरान के शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां साल 1971 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि का मकसद आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके संसाधनों का तर्कसंगत इस्तेमाल करना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कितने जवानों को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया – 4
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के कर्मियों के लिए 103 वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दी। इनमें 4 कीर्ति चक्र और 18 शौर्य चक्र हैं। 9 पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए। वायु सेना केदु 2 बहार जवानों को शौर्य चक्र और 6 जवानों को वायु सेना मेडल दिया गया है।
- कीर्ति चक्र से सम्मानित 4 जवान
- 1. कर्नल मनप्रीत सिंह, सेना मेडल, सिख लाइट इन्फैंट्री/19वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स (मरणोपरांत)
- 2. मेजर मल्ला राम गोपाल नायडू, मराठा लाइट इन्फैंट्री/56वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स
- 3. राइफलमैन रवि कुमार, जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री/63वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स (मरणोपरांत)
- 4. पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट, जम्मू और कश्मीर पुलिस, सी/ओ 19वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स (मरणोपरांत)
- एयरफोर्स में शौर्य चक्र पाने वाले दो जवान -
- 1. वर्नोन डेसमंड कीन वीएम, विंग कमांडर
- विंग कमांडर वर्नोन डेसमंड कीन वीएम इस समय एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। 24 जुलाई 2023 को जगुआर फाइटर जेट ने उन्हें खराबी के संकेत दिए। इस बीच 2500 फीट की ऊंचाई पर दाहिना इंजन भी फेल हो गया। विमान तेजी से यूपी के गोरखपुर शहर के पास पहुंच गया। एक इंजन के सहारे पायलट ने विमान को कंट्रोल करके गैर आबादी वाले क्षेत्र की ओर मोड़ दिया। इस तरह उन्होंने एक बड़ा हादसा टाल दिया था।
- 2. दीपक कुमार, स्क्वाड्रन लीडर
- स्क्वाड्रन लीडर दीपक कुमार इस समय एयर फोर्स स्टेशन हकीमपेट में तैनात हैं। उन्हें 25 अगस्त 2023 को उड़ान के दौरान उनके विमान से पक्षी टकराया, जिससे इंजन में आग लग गई। उन्होंने तुरंत जेट की लैंडिग का निर्णय लिया। रात में सीमित संकेतों के बावजूद उन्होंने अपने सूझबूझ से विमान को छोटे रनवे पर जबरन उतारा।
- क्या है शौर्य चक्र?
- 4 जनवरी 1952 को अशोक चक्र श्रेणी-III अवॉर्ड की शुरुआत हुई थी। बाद में 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदलकर शौर्य चक्र कर दिया गया। शौर्य चक्र सेना, नौसेना और वायु सेना, किसी भी रिजर्व फोर्स, टेरिटोरियल सेना और किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के अधिकारियों को दिया जाता है। शौर्य चक्र में एक मेडल दिया जाता है और मॉनेट्री अलाउंस के रूप में 1500 रुपए की रकम दी जाती है।
- 1960 में वायु सेना मेडल की शुरुआत हुई थी -
- वायु सेना मेडल की शुरुआत 26 जनवरी 1960 को किया गया था। यह पुरस्कार वायु सैनिकों की वीरता, उनकी सेवा या कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए दिया जाता है। इसमें एक मेडल होता है, रिबन और बार समेत 500 रुपए का मॉनेट्री अलाउंस दिया जाता है।
इसरो अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-8 (EOS-8) कब लॉन्च किया - 15 अगस्त
- इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने देश के सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-8 (EOS-08) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया।
- यह सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा से बाहर करीब 475 किमी ऊपर स्थापित किया गया। यह एक साल तक काम करेगा। EOS-08 सैटेलाइट का मकसद पर्यावरण और आपदा को लेकर सटीक जानकारी देना है।
- EOS-08 सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं, सेंसर और नेविगेशन सिस्टम से लैस
- अंतरिक्ष में भेजे गए EOS-08 सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और SiC-UV डोसीमीटर शामिल हैं।
- 1. EOIR पेलोड : आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी जैसे काम के लिए तस्वीरें खींचने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पेलोड दिन और रात में भी तस्वीरें खींच सकता है।
- 2. GNSS-R पेलोड: समुद्र की सतह पर हवा का विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमता के लिए किया जाएगा।
- 3. SiC UV पेलोड: डोसीमीटर गगनयान मिशन के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों की निगरानी करेगा।
हाल ही में, DRDO और भारतीय सेना ने किस क्षेत्र में स्वदेशी रूप से निर्मित मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है - पोखरण, राजस्थान
- DRDO ने स्वदेशी रूप से विकसित मानव-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किया। डीआरडीओ अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में भारत में निर्मित मानव-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MP-ATGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
- एमपी-एटीजीएम एक कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसे दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है। स्वदेशी रूप से विकसित यह टैंक रोधी मिसाइल कम वजन वाली, दागो और भूल जाओ मिसाइल है, जिसे थर्मल साइट से एकीकृत मानव पोर्टेबल लांचर से प्रक्षेपित किया जाता है।
हाल ही में समाचारों में रही जियो पारसी योजना का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?- पारसी आबादी की घटती प्रवृत्ति को उलटनाजियो पारसी योजना
- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पारसी आबादी में गिरावट को रोकने के लिए 2013 में जियो पारसी योजना शुरू की थी ।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और संरचित हस्तक्षेप अपनाकर पारसी जनसंख्या की घटती प्रवृत्ति को रोकना था, ताकि उनकी जनसंख्या को स्थिर किया जा सके और इस प्रकार भारत में पारसियों की जनसंख्या में वृद्धि हो सके। इस योजना के तहत पारसी दम्पतियों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नकद सहायता भी दी जाती है। यह योजना सभी दम्पतियों पर लागू होती है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
- इसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) के माध्यम से 214 बच्चों को जन्म दिया गया है। यह 100% केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है।
- पारसी समुदाय
- पारसी समुदाय जोरोस्ट्रियन धर्म का पालन करता है, जो दुनिया के सबसे पुराने एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है। इसकी स्थापना पैगम्बर ज़ोरोस्टर (या ज़रथुस्त्र) ने 6 वीं -7 वीं शताब्दी के आसपास प्राचीन ईरान में की थी।
- पारसी लोग एक ईश्वर में विश्वास करते हैं जिसे अहुरा मज़्दा (बुद्धिमान भगवान) कहा जाता है जिसने दुनिया को बनाया है। उनके पवित्र धर्मग्रंथ को अवेस्ता कहा जाता है।
- पारसी समुदाय के लोग अग्नि मंदिर या अग्निस्थान में सामूहिक रूप से पूजा करते हैं। पारसी लोग अग्नि-पूजक नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि तत्व शुद्ध हैं और अग्नि ईश्वर के प्रकाश या ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है।
- 21 मार्च, नौरोज़ (जिसे नवरोज़ भी कहा जाता है), ईरानी नववर्ष भारत में पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
- पारसी दो समूहों में विभाजित हैं: ईरानी और पारसी।
- 7 वीं शताब्दी में ईरान से निर्वासित होकर इस धर्म के अनुयायी भारत के गुजरात क्षेत्र में आये ।
- केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, पारसियों की जनसंख्या 1941 में लगभग 114,000 से घटकर 2011 में 57,264 हो गयी है।
- जबकि भारत की जनसंख्या 60 वर्षों में तीन गुनी से अधिक हो गयी है, पारसी लोगों की संख्या में लगभग 50% की कमी आई है (जनगणना 2011)।
- देश में सबसे अधिक पारसी आबादी महाराष्ट्र में है, उसके बाद गुजरात का स्थान है।
- बांझपन और देर से विवाह पारसी जनसंख्या में तेजी से गिरावट के मुख्य कारणों में से हैं।
- फाउंडेशन के अनुसार, 30% पारसी आबादी ने कभी शादी नहीं की है।
- केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित छह धार्मिक समुदायों में पारसी भी शामिल हैं । अन्य पाँच हैं: मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन।
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