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आप में से शायद बहुतों को नहीं पता होगा कि संसार की सबसे शुद्ध भाषा कौन सी है? जिसमें त्रुटियां है ही नहीं। उसका नाम है संस्कृत भाषा।आदिकाल में हमारे देश की भाषा संस्कृत ही थी।परंतु समय के साथ बदलाव हुआ और पाली भाषा का जन्म हुआ फिर प्रकृत भाषा का जन्म हुआ और फिर समय के साथ अपभ्रंश भाषा का विकास हुआ और उसी से हिंदी भाषा की भी उत्पत्ति हुई। हिंदी के अंतर्गत हमें व्याकरण पर विशेष ध्यान देना होता है क्यूंकि यही हमारी परीक्षाओं में पूछा जाता है।व्याकरण का तात्पर्य नियमों के उन समूहों से है जिनसे उस भाषा का जन्म हुआ है।उन नियमों को जानना पूरी भाषा को गहनता से जानने जैसा ही है।

हिंदी व्याकरण में सबसे पहले स्वर और व्यंजन आता है।यह दोनों मिलकर वर्णमाला बनाते है।

इन्हीं अक्षरों से शब्दों का निर्माण होता है और शब्दों का सार्थक स्वरूप ही वस्तुओं का नाम होता है जिसे जनसामान्य समझ सकता है ।फिर उन्ही शब्दों से वाक्यों का निर्माण होता है।संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया आदि के माध्यम से वाक्य के स्वरूपों का पता चलता है।रस, छंद और अलंकार इसकी शोभा बढ़ाते है।एक तरफ पर्यावाची एक ही शब्द के अनेक नाम का बोध कराती है दूसरी तरफ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द उसे छोटा रूप देता है। संधि विच्छेद जहां शब्दों को विस्तार देता है वहीं समास उन्हें संक्षेप में करता है। मुहावरा और लोकोक्ति तो हिंदी की जान है। तत्सम और तद्भव को तो आप जानते ही होंगे।

कुल मिला जुलाकर हिंदी पढ़ने में बड़ा ही आंनद आने वाला है।लेकिन कब …जब हमसे पढ़ेंगे तब….

हिंदी से संबंधित समस्त तथ्यों को बखूबी यूट्यूब के Study 91 चैनेल पर पढ़ाया गया है।आप इसे बिल्कुल मुफ्त में देख सकते हैं।

 



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