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BANK MERGER  बैंको का महाविलय 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 बैंकों का विलय करने की घोषणा की है, जिसके बाद मौजूदा 27 बैंकों की जगह देश में केवल 12 सरकारी बैंक रह जाएंगे।

10 सरकारी बैंकों का विलय होकर 4 बड़े बैंक बनेंगे।

मर्जर का फैसला क्यों ?
1. सरकार को लगता है कि मर्जर से बैंकों के कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और उनकी बैलेंस शीट मजबूत होगी।
2. सरकार का कहना है कि बैंकों को अंतरराष्ट्रीय आकार का बनाने के लिए यह फैसला लिया गया। 
3. यह सही वक्त है कि बैंकों को इस लायक बनाया जाए कि वे 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लक्ष्य में भागीदार बन सकें। 
4. वित्त सचिव राजीव कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक के कर्मचारियों को किसी भी चरण में कोई नुकसान नहीं होगा। 
5. कोई छंटनी नहीं की जाएगी। मर्जर से कर्मचारियों की सुविधाएं बेहतर होंगी।
6. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- विलय से कर्ज देने की लागत कम होगी और सरकारी बैंकों की अर्थव्यवस्था में मौजूदगी मजबूत होगी।

2017 से बैंकों के मर्जर की प्रक्रिया जारी

1. 50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।
2. इस साल जनवरी में कैबिनेट ने देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का मर्जर मंजूर किया था। 
3. इससे पहले 2017 में सरकार ने एसबीआई में 5 सहयोगी बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर,स्टेट बैंक ऑफ मैसूर,
स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के साथ ही भारतीय महिला बैंक का भी विलय कर दिया था। 
4. 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है। 

देश में अब ये 12 सरकारी बैंक होंगे-
1. भारतीय स्टेट बैंक
2. पंजाब नेशनल बैंक
3. बैंक ऑफ बड़ौदा 
4. केनरा बैंक
5. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
6. बैंक ऑफ इंडिया
7. इलाहाबाद बैंक
8. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
9. इंडियन ओवरसीज बैंक
10. यूको बैंक
11. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
12. पंजाब और सिंध बैंक

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