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जैव विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity)

  • जैव विविधता का अध्ययन प्रजाति, समुदाय और आनुवांशिकी के आधार पर तीन प्रकारों में विभाजित कर सकते हैं –

1. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)

2. प्रजातीय विविधता (Species Diversity)

3. सामुदायिक या पारितंत्र विविधता (Community or Ecosystem Diversity)

1) आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)

  • किसी भी लक्षण में उपस्थित विविधता का वह भाग जो कि आनुवंशिक कारणों से उत्पन्न होता है, आनुवंशिक विविधता कहलाता है।
  • आनुवंशिक विविधता एक जाति के सदस्यों में पाई जाने वाली जीन सम्बन्धी विविधता है।
  • आनुवंशिक विविधता कम होने की दशा में जातियों में अधिक समानता पायी जाती है।

2) प्रजातीय विविधता (Species Diversity)

  • यह विभिन्न जातियों के बीच पायी जाने वाली विविधता है।
  • प्रजातीय विविधता किसी समुदाय में प्रजाति की विभिन्न किस्म को बताता है।
  • भूमध्य रेखीय प्रदेश में प्रजातीय विविधता अन्य भौगोलिक प्रदेशों की अपेक्षा अधिक है।*
  • समुदाय में प्रजाति की संख्या क्षेत्र या स्थान के क्षेत्रफल के सापेक्ष बढ़ती है।
  • भारत का मानसूनी प्रदेश प्रजातीय जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध है।
  • सबसे अधिक प्रजातीय जैव विविधता भूमध्यरेखीय प्रदेश में और विषुवत रेखीय सदाबहार वन में पायी जाती है।
  • हिमाच्छादित तथा मरु प्रदेश जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत निर्बल हैं।

3) सामुदायिक या पारितंत्र विविधता (Community or Ecosystem Diversity)

  • विश्व में विभिन्न प्रकार के आवास पाए जाते हैं, जैसे – घास का मैदान, पर्वतीय आवास क्षेत्र, झील, मरुस्थल क्षेत्र, तालाब पारितंत्र, टुण्ड्रा पारितंत्र।
  • एक समुदाय के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों एवं दूसरे समुदाय के जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के मध्य पाई जाने वाली विविधता सामुदायिक विविधता या पारितंत्र विविधता कहलाती है।
  • सामुदायिक जैव विविधता ज्यादा उत्पादक और स्थिर पारितंत्र का निर्माण करती है।

जैव विविधता का मापन (Measurment of Biodiversity)

  • जैव विविधता का मापन का प्रथम प्रयास ब्रिटेन के पॉल विलियम्स तथा डिकवेन राइट ने ‘वर्ल्ड मैप’ नामक एक सॉफ्टवेयर विकसित करके किया।
  • जैव विविधता के मापन की तीन विधियाँ है –

1. अल्फा विविधता (Alpha Diversity)

2. बीटा विविधता (Beta Diversity)

3. गामा विविधता (Gama Diversity)

1) अल्फा विविधता (Alpha Diversity)

  • किसी क्षेत्र विशेष में प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की अल्फा विविधता को प्रदर्शित करती है।
  • अल्फा मापन से यह पता चलता है कि प्रजातियों की संख्या बढ़ रही है या नहीं।

2) बीटा विविधता (Beta Diversity)

  • बीटा विविधता वह है जो किसी क्षेत्र विशेष में उपस्थित प्रजातियों की संरचनात्मक विविधता प्रकट करती है।
  • इसके अंतर्गत प्रजातियों के पलायन को देखा जाता है।

3) गामा विविधता (Gama Diversity)

  • गामा विविधता वह दर है जिस पर एक ही आवासीय प्रकार के विभिन्न स्थानों में भौगोलिक विस्थापितों के रुप में अतिरिक्त जातियाँ पायी जाती हैं।
  • गामा विविधता भौगोलिक कारकों पर निर्भर करती है।

जैव विविधता का महत्व (Important of Biodiversity)

  • जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन का आधार है।
  • यह पृथ्वी पर पर्यावरण और मानव के लिए महत्वपूर्ण है।

वैश्विक जैव विविधता

  • वर्तमान समय में पृथ्वी पर लगभग 1.9 मिलियन विद्यमान प्रजातियों का वर्णन किया जा चुका है।
  • दस लाख प्रजातियों में एक प्रजाति हर वर्ष विलुप्त हो रही है।
  • पृथ्वी पर जैव विविधता दिन-ब-दिन अजैविक तत्वों के द्वारा कम हो रही है।
  • पूरे पृथ्वी पर जैव विविधता में भिन्नता पायी जाती है।
  • पृथ्वी तल पर स्थलाकृति विभिन्नता के साथ-साथ जलवायुवीय विभिन्नता भी है। इस विभिन्नता के साथ ही जैव विविधता को विश्व स्तर पर निम्नलिखित वर्गो में बाँटा जा सकता है –

1. अत्यधिक जैव विविधता वाला जोन

2. अधिक जैव विविधता वाला जोन

3. कम जैव विविधता वाला जोन

4. निम्न जैव विविधता वाला जोन

1) अत्यधिक जैव विविधता वाला जोन

  • इस प्रकार के जैव विविधता वाले जोन में उष्णकटिबंधीय, स्थलीय एवं जलीय भाग को सम्मिलित किया गया है।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में उच्चतर चोटियों की तुलना में निम्नतर घाटियों में जैव विविधता सामान्यतः अधिक होती है।*
  • इन्हें निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है –

A. उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन

B. प्रवाल भित्तियाँ

C. आर्द्र भूमियाँ

D. उष्ण कटिबन्धीय सागरीय क्षेत्र

  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन जो विश्व के लगभग 13% भू-भाग पर फैला है।*
  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन में विश्व की 80 प्रतिशत ज्ञात प्रजातियाँ विद्यमान हैं।
  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन क्षेत्र में संसार की 50 प्रतिशत से अधिक ज्ञात पादप जातियाँ उपलब्ध हैं।*
  • प्राणियों, जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों को जैव विविधता का भण्डार कहा जाता है।*
  • प्रवाल भित्तियाँ वर्तमान में लगभग 100 से भी अधिक देशों में पायी जाती है।
  • प्रवाल भित्तियाँ ‘समुद्रों के वर्षा वन’ उपमा से सम्बोधित की जाती है।
  • विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में है।*
  • इस समय लगभग 109 देशों में प्रवाल भित्तियाँ पायी जाती हैं।
  • जल एवं स्थल दोनों के गुणों से सम्पन्न जोन आर्द्र भूमि कहलाती है।
  • आर्द्र भूमियाँ जल विविधता की दृष्टि से मजबूत होती हैं।
  • सागर तटीय आर्द्र भूमि में वन्य जीवों और पक्षियों का अधिक संख्या में विकास होता है।
  • भारत में सुन्दर वन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव है जिसमें सुन्दरी नाम वाले वृक्ष पाये जाते हैं।*
  • उष्ण कटिबन्धीय सागरीय क्षेत्र में तापमान अधिक और वर्षा भी अधिक होती है।
  • उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की जैव विविधता कम होती है।

2) अधिक जैव विविधता वाला जोन

  • इस जोन के अंतर्गत पश्चिमी यूरोप, मानसूनी प्रदेशों, घास के मैदानों आदि को सम्मिलित किया गया है।
  • जलीय और सागरीय क्षेत्रों में भी अनेक वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
  • हम जैसे-जैसे तटों के आन्तरिक भागों में जाते हैं, वर्षा की मात्रा में कमी की वजह से घास के मैदानों का विकास सम्भव हुआ। प्रेयरीज, वेल्ड, पम्पास, स्टेपी, डाउन्स आदि छोटे पादप भी मिलते हैं।
  • उत्तरी अटलांटिक महासागर का सारगैसो सागर अपनी वनस्पति ‘सारगेसम’ नामक घास के लिए विख्यात है।
  • जापान का तटीय क्षेत्र, डागर बैंक आदि प्लैंकटन वनस्पति हेतु भिन्न-भिन्न मछलियाँ आदि अन्य जन्तुओं का निवास स्थान है।

3) कम जैव विविधता वाला जोन

  • कम जैव विविधता वाले जोन में जलवायु प्रतिकूल होने के कारण संसार का वृहद् क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से बहुत कमजोर है।
  • इस जोन में कोणधारी वन पाये जाते हैं। इसमें उपध्रुवीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
  • सहारा मरुस्थल (गर्म), अरब-ईरान-तुरान मरुस्थल (गर्म), थार मरुस्थल (गर्म), पेरागोणीया मरुस्थल (शीत), गोबी (मरुस्थल) आदि इस जोन में शामिल हैं।

4) निम्न जैव विविधता वाला जोन

  • निम्न जैव विविधता वाला जोन वर्षा बर्फ के रुप में जन्तु एवं वनस्पति विज्ञान के लिए प्रतिकूल माना जाता है।

Exam Special Fact

भारतीय जैव विविधता वाले विभिन्न क्षेत्र

1 - जैव भौगोलिक क्षेत्र – ट्रान्स हिमालय (5.6%), हिमालय (7.2%), मरुस्थल (6.9%), अर्द्धशुष्क क्षेत्र (15.6%), पश्चिमी घाट (5.8%), दक्कन प्रायद्वीपीय क्षेत्र (43%), गंगा का मैदान (11%), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (5.2%), द्वीप समूह (0.03%)

2 - समुद्री जैव विविधता क्षेत्र

3 - प्रमुख हॉटस्पॉट क्षेत्र – इण्डो-म्यांमार क्षेत्र, हिमालयन क्षेत्र, सुण्डालैण्ड, पश्चिमी घाट एवं लंका।

Exam Special Fact

पृथ्वी पर जैव विविधता

जानवर - 12.72 लाख प्रजातियाँ

कीट        - 15.33 लाख प्रजातियाँ

पादप - 2.70 लाख प्रजातियाँ

कवक - 0.72 लाख प्रजातियाँ

शैवाल - 0.40 लाख प्रजातियाँ

प्रोटोजोआ        - 30,800 हजार प्रजातियाँ

जीवाणु - 4,800 हजार प्रजातियाँ

विषाणु - 1,500 हजार प्रजातियाँ

Exam Special Fact

  • जैव विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया – रेमण्ड एफ. दासमान
  • जीवीय विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था – ई. ए. नोर्स एवं आई. ई. मैकमेनस
  • समान जैविक तथा अजैविक दशाओं वाले प्राकृतिक परितन्त्र को कहा जाता है – बायोम
  • भारत का प्रजाति विविधता की दृष्टि से समृद्ध है – मानसूनी प्रदेश
  • जैव विविधता दिवस कब मनाया जाता है – 29 दिसंबर को
  • कहाँ पर प्रजाति विविधता अन्य भौगोलिक प्रदेशों की अपेक्षा अधिक है – भूमध्य रेखीय प्रदेश
  • भारत के किस क्षेत्र को पारिस्थितिक उष्ण स्थल की संज्ञा प्रदान की जाती है – पश्चिमी घाट को
  • जैव विविधता शब्द का अर्थ है – एक निर्धारित क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पादप एवं जन्तु
  • जैव-विविधता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है – पारिस्थितिक तन्त्र का निर्वहन
  • जैव विविधता के कम होने का मुख्य कारण है – आवासीय विनाश
  • कौन-सी ड्रग गिद्धों की समष्टि में ह्रास के लिए उत्तरदायी प्रतिवेदित की गयी है – डिक्लोफिनेक सोडियम
  • डुगोन्ग नामक समुद्री जीव जो कि विलोपन के कगार पर है, क्या है – स्तनधारी (मैमल)
  • भारत में जैव विविधता की दृष्टि से संतृप्त क्षेत्र है – पश्चिमी घाट
  • ‘रेड डाटा बुक’ का सम्बन्ध है – विलुप्ति के संकट से ग्रस्त जीव-जन्तुओं से



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