रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया गया - 1773 में B.P.S.C. (Pre) 1994
- ब्रिटिश सरकार ने कंपनी में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुप्रशासन को दूर करने के लिए 1773 ई. का रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया।
- इसके तहत मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसियों को कलकत्ता प्रेसीडेंसी के अधीन कर दिया गया।
- बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल कहा गया।
- बंगाल का प्रथम गवर्नर हेस्टिंग्स को बनाया गया।
किस साल रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया गया था - ई.स. 1773 B.P.S.C. (Pre) 2015
रेग्यूलेटिंग एक्ट किस वर्ष पारित किया गया था - 1773 M.P.P.C.S. (Pre) 2015
अधिनियमों में से प्रथम बार किसमें गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल के पद हेतु प्राविधान किया गया था - रेग्यूलेटिंग अधिनियम, 1773 U.P.P.C.S. (Mains) 2013
रेग्युलेटिंग एक्ट के प्रावधानों के अंतर्गत, बिहार के लिए एक प्रांतीय सभा की स्थापना हुई - 1774 में B.P.S.C. (Pre) 1995
- रेग्युलेटिंग एक्ट का उद्देश्य भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की गतिविधियों को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में लाना था।
- इसके अतिरिक्त, कंपनी की संचालक समिति में आमूल-चूल परिवर्तन करना और कंपनी के राजनीतिक अस्तित्व को स्वीकार कर उसके व्यापारिक ढांचे को राजनीतिक कार्यों के योग्य बनाना भी इसके उद्देश्यों में शामिल था।
- 1773 ई. में ब्रिटिश ने इसे पास किया तथा 1774 ई. में लागू किया गया। इस एक्ट के प्रावधानों के अंतर्गत 1774 में बिहार के लिए एख प्रांतीय सभा की स्थापना हुई।
किसके अंतर्गत भारत में सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना हुई - रेग्युलेटिंग अधिनियम 1773 U.P.P.C.S. (Pre) 1998
- रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 के द्वारा सर्वप्रथम कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई, इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और 3 अन्य न्यायाधीशों की व्यवस्था की गई।
- इस सर्वोच्च न्यायालय को सामान्य न्यायालय एवं देश विधि के न्यायालय, नौसेना विधि के न्यायालय तथा धार्मिक न्यायालय के रुप में कार्य करना था।
- यह उच्चतम न्यायालय 1774 में गठित किया गया और एलिजा इम्पे इसके मुख्य न्यायाधीश तथा चेम्बर्ज, लिमेस्टर एवं हाइड अन्य न्यायाधीश नियुक्त हुए।
ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित उच्चतम न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे - एलिजाह इम्पे P.C.S. (Pre) 2012
भारत के गवर्नर जनरल को किस एक्ट के द्वारा अपनी समिति के निर्णय को अस्वीकार करने का अधिकार मिला - 1786 ई. का एक्ट U.P.P.C.S. (Pre) 1990
- 1786 में एक अधिनियम ब्रिटिश संसद के सम्मुख इस भावना से रखा गया ताकि कॉर्नवालिस को भारत के गवर्नर जनरल का पद स्वीकार करने के लिए मना लिया जाए।
- वह गवर्नर जनरल तथा मुख्य सेनापति दोनों की शक्तियां लेना चाहता था।
- नए अधिनियम के अनुसार यह सब स्वीकार हो गया तथा उसे विशेष अवस्था में अपनी परिषद के निर्णयों को रद्द करने तथा अपने निर्णयों को लागू करने का अधिकार भी दे दिया गया।
किस अधिनियम के तहत लॉर्ड कार्नवालिस को अपनी काउंसिल के फैसलों को रद्द करने का अधिकार मिला था - 1786 का एक्ट B.P.S.C. (Pre) 2000
1793 में एक विनियम द्वारा जिला कलेक्टर को उसकी न्यायिक शक्तियों से वंचित कर दिया गया और केवल संग्राहक अभिकर्ता बना दिया गया। ऐसे विनियमन का कारण क्या था - लॉर्ड कॉर्नवालिस जिला कलक्टर में संकेंद्रित इतनी विस्तृत शक्ति से सतर्क हो गया था और महसूस करता था कि एक व्यक्ति में इतनी परम शक्ति का होना अवांछनीय है। I.A.S. (Pre) 2010
- कॉर्नवालिस, जिला कलक्टरों को अधिक शक्तिशाली नहीं बनने देना चाहता था, अतः उसने शक्ति के पृथक्करण सिद्धांत को अपनाया।
भारतीय व्यापार में ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार समाप्त किया गया - 1813 में U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- 1813 ई. के चार्टर एक्ट द्वारा कंपनी का भारतीय व्यापार का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
- उसके चीन के व्यापार तथा चाय के व्यापार का एकाधिकार चलता रहा।
- इस चार्टर कानून के कंपनी के भारतीय क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों को प्रवेश की अनुमति दे दी।
चार्टर अधिनियम 1813 भारत के लिए महत्वपूर्ण समझे जाने का कौन - सा एक कारण है - इसके द्वारा भारतीयों की शिक्षा के लिए वित्तीय प्रावधान किया गया U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- चार्टर अधिनियम 1813 को भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाने हेतु प्रावधान यह था कि एक लाख रुपया वार्षिक विद्वान भारतीयों के प्रोत्साहन और साहित्य के सुधार तथा पुनरुत्थान के लिए तथा भारतीय प्रदेशों में विज्ञान की उन्नति तथा आरंभ करने के लिए पृथक रख दिया गया।
- इस धारा के अनुसार सरकार ने जनता में शिक्षा प्रसार का बीड़ा उठाया।
लोक सेवाओं की परीक्षा इंग्लैंड तथा भारत में एक साथ करने की संस्तुति किसके द्वारा की गई थी - माण्टेग्यू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट द्वारा U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl) (Mains) 2010
- माण्टेग्यू चेम्सफोर्ड ने 1918 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में अनुशंसा की थी कि प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए।
- रिपोर्ट में यह भी अनुशंसा की गई थी कि सिविल सेवा परीक्षा इंग्लैंड एवं भारत में एक साथ आयोजित की जानी चाहिए तथा उच्च भारतीय सिविल सेवा के एक तिहाई पद भारतीयों के लिए आरक्षित होने चाहिए।
- माण्टेग्यू - चेम्सफोर्ड की संस्तुति के आधार पर ही 1922 से सिविल सेवा परीक्षा इंग्लैंड एवं भारत में एक साथ आयोजित की जाने लगी।
- एचिसन आयोग ने 1887 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा की थी सिविल सेवा परीक्षा इंग्लैंड एवं भारत में एक साथ नहीं आयोजित की जानी चाहिए।
नागरिक सेवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली को सिद्धांततः स्वीकार किया गया - 1853 में B.P.S.C. (Pre) 2013
- 1853 के चार्टर एक्ट में यह व्यवस्था की गई कि नियंत्रण बोर्ड और उसके अन्य पदाधिकारियों का वेतन सरकार निश्चित करेगी, परंतु धन कंपनी देगी।
- डायरेक्टरों की संख्या 24 से घटाकर 18 कर दी गई, उसमें 6 क्राउन द्वारा मनोनीत किए जाने थे।
- इसमें प्रावधानित था कि नियुक्तियां अब प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा की जाएंगी जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
किस कानून ने पहली बार भारत में एक क्रियाशील विधान परिषद का सृजन किया - चार्टर एक्ट, 1853 U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- 1853 के चार्टर एक्ट द्वारा कार्यपालिका और विधायी शक्तियों को पृथक करने का एक निश्चित कदम उठाया गया।
- भारत के लिए पहली बार एक पृथक विधान परिषद की स्थापना की गई।
- विधान परिषद में 12 सदस्य होते थे।
किस एक वर्ष में ब्रिटिश सरकार अंतिम रुप से भारत एवं इंग्लैंड में एक ही समय साथ-साथ इंडियन सिविल सर्विसेज (आई.सी.एस.) की परीक्षा आयोजित करने हेतु सहमत हुई थी - 1922 U.P.P.C.S. (Mains) 2014
- वर्ष 1922 से इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा भारत में भी आयोजित होने लगी।
- इसके पूर्व यह केवल इंग्लैंड में आयोजित होती थी।
- 1926 में भारत में एक लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।
- 1935 अधिनियम के तहत लोक सेवा आयोग के स्थान पर संघीय लोक सेवा आयोग का गठन हुआ।
- 1937 से संघीय लोक सेवा आयोग ने ब्रिटिश लोक सेवा आयोग से स्वतंत्र परीक्षा आयोजित करना प्रारंभ किया।
- 1950 में संविधान के लागू होने के बाद संघीय लोक सेवा आयोग (FPSC) का नाम बदलकर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) कर दिया गया।
बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना किस अधिनियम के अंतर्गत की गई - पिट्स इंडिया अधिनियम, 1784 U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- पिट्स इंडिया एक्ट, 1784 द्वारा इंग्लैंड में सरकार का विभाग बनाया गया, जिसे नियंत्रण बोर्ड (बोर्ड ऑफ कंट्रोल) कहते थे, जिसका मुख्य कार्य डायरेक्टर्स की नीतियों को नियंत्रित करना था।
किस अधिनियम के द्वारा ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी का चाय व चीन के व्यापार का एकाधिकार समाप्त किया - चार्टर एक्ट - 1833 M.P.P.C.S. (Pre) 2013
- 1757 और 1764 के युद्धों (क्रमशः प्लासी एवं बक्सर) के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो इस प्रकार हैं - 1773 ई. का रेग्युलेटिंग एक्ट, 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट।
- 1793 ई. का चार्टर अधिनियम - इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन आदि को भारतीय राजस्व में से देने की व्यवस्था की गई।
- 1813 ई. का चार्टर अधिनियम - (1) प्रमुख प्रावधान निम्नवत हैं - (1) कंपनी के अधिकार-पत्र को 20 सालों के लिए बढ़ाना। (2) कंपनी के भारत के साथ व्यापार करने के एकाधिकार को छीन लिया गया। लेकिन उसे चीन के साथ व्यापार और पूर्वी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 सालों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा।
- 1833 ई. का चार्टर अधिनियम - इसके द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णतः समाप्त कर दिए गए। अब कंपनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना रह गया।
भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित किया गया - 1858 के भारत सरकार अधिनियम के अंतर्गत U.P.P.C.S. (Mains) 2007/ U.P.P.C.S. (GIC) 2010
- 1858 के भारत सरकार अधिनियम (गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858) द्वारा भारतीय प्रशासन का नियंत्रण कंपनी से छीनकर ब्रिटिश राजमुकुट को सौंप दिया गया।
- इंग्लैंड में इस अधिनियम द्वारा एक भारतीय राज्य सचिव का प्रावधान किया गया और उसकी सहायता के लिए एक 15 सदस्यों की मंत्रणा परिषद (Advisory Council) गठित होनी थी जिसमें आठ सरकार द्वारा मनोनीत होने थे और शेष सात कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा चुने जाने थे।
- अब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और बोर्ड ऑफ कंट्रोल के समस्त अधिकार भारत सचिव को सौंप दिए गए।
किस एक्ट के द्वारा भारत के गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई - इंडियन काउंसिल एक्ट, 1861 U.P.P.C.S. (Pre) 1997/U.P.U.D.A/L.D.A. (Pre) 2001
- इंडियन काउंसिल एक्ट, 1861 के द्वारा गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान कर दी गई।
- ये अध्यादेश अधिकाधिक 6 माह तक लागू रह सकते थे।
ब्रिटिश इंडिया के किस एक अधिनियम ने सामूहिक कार्यचालन के स्थान पर विभाग या विभागीय पद्धति द्वारा वायसराय की कार्यकारी परिषद पर उनके प्राधिकार को और बल प्रदान किया - इंडियन काउंसिल एक्ट, 1861 I.A.S. (Pre) 2002
- 1861 के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा वायसराय की परिषद को कानून बनाने की शक्ति प्रदान की गई, जिसके तहत लॉर्ड कैंनिग ने विभागीय प्रणाली की शुरुआत की।
- लार्ड कैनिंग ने भिन्न - भिन्न सदस्यों को अलग - अलग विभाग सौंप कर एक प्रकार से मंत्रिमंडलीय व्यवस्था की नींव डाली।
- इस व्यवस्था के अनुसार प्रशासन का प्रत्येक विभाग एक व्यक्ति के अधीन होता था।
किस अधिनियम के अंतर्गत भारतीय विधान परिषद को बजट पर बहस करने की शक्ति प्राप्त हुई - भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 U.P.U.D.A/L.D.A. (Pre) 2002
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 के अनुसार विधानमंडलों के सदस्यों के अधिकार दो क्षेत्रों में बढ़ा दिए गए -
- (1) बजट पर उन्हें अपने विचार प्रकट करने का अधिकार दिया गया यद्यपि इस विषय पर कोई प्रस्ताव रखने अथवा सदन में मत विभाजन कराने का अधिकार उन्हें नहीं था।
- (2) सार्वजनिक हित के मामलों में 6 दिन की सूचना देकर प्रश्न पूछने का भी अधिकार दिया गया।
किस अधिनियम के द्वारा अंग्रेजों ने भारत में सर्वप्रथम परोक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की - 1892 U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- 1892 के अधिनियम द्वारा अंग्रेजों ने भारत में सर्वप्रथम परोक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की।
भारत में मीडिया को नियंत्रित करने के लिए एक्ट कब पारित किए गए थे - 1835, 1867, 1878, 1908 B.P.S.C. (Pre) 2015
- विधानों की दमनकारी नीतियों को उजागर करने के कारण सर्वप्रथम 1835 ई. में प्रेस एक्ट का एलान किया गया।
- प्रेस और पुस्तकों का पंजीकरण अधिनियम 1867 ई. पारित किया गया।
- गवर्नर जनरल लॉर्ड लिटन ने 1878 ई. में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया जिसके तहत बिना सरकार के इजाजत के कोई पत्र नहीं निकाला जा सकता जिसमें अंग्रेजी सरकार की आलोचना हो।
- इसके अतिरिक्त प्रेस पर नियंत्रण का एक्ट लॉर्ड मिंटो ने 1908 ई. में पारित किया जिसके तहत ऐसी किसी भी प्रकाशन को जब्त करने का अधिकार सरकार को होगा जिसमें सरकार के खिलाफ जन भावना को भड़काने का आरोप हो।
बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता में उच्च न्यायालयों की स्थापना कब हुई - 1861 U.P.P.C.S. (Pre) 2013/U.P.U.D.A/L.D.A. (Spl) (Pre) 2010
- बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों की स्थापना ब्रिटिश संसद द्वारा पारित 1861 ई. के भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम के तहत 1862 ई. में की गई।
भारत में ब्रिटेन के सभी संवैधानिक प्रयोगों में से सबसे कम समय तक चला - 1909 का इंडियन काउंसिल एक्ट I.A.S. (Pre) 1999
- भारत में ब्रिटेन के सभी संवैधानिक प्रयोगों में सबसे कम समय तक 1909 का इंडियन काउंसिल एक्ट चला।
- रैम्जे मैक्डोनॉल्ड के शब्दों में ये सुधार प्रजातंत्रवाद और नौकरशाही के मध्य एक अधूरा और अल्पकालीन समझौता था।
20 अगस्त, 1917 के सुधारों की घोषणा को जाना जाता है - मांटेग्यू घोषणा के नाम से P.C.S. (Pre) 2011
- 20 अगस्त, 1917 के सुधारों की घोषणा को तत्कालीन भारत सचिव एडविन मांटेग्यू के नाम पर मांटेग्यू घोषणा के नाम से जाना जाता है।
मांटेग्यू - चेम्सफोर्ड की रिपोर्ट - भारत सरकार अधिनियम, 1919 का आधार बनी P.C.S. (Pre) 2011/B.P.S.C. (Pre) 2011
- तत्कालीन भारत सचिव एडविन मांटेग्यू और वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड की रिपोर्ट भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 का आधार बनी थी।
प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली (Dyarchy) किस अधिनियम के अंतर्गत लागू की गयी थी - 1919 U.P.P.C.S. (Pre) 2004/U.P.P.C.S. (Pre) 2005
- मांटेग्यू - चेम्सफोर्ड प्रस्ताव ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में संविधानिक सुधार से संबंधित है।
- भारत में प्रांतों में द्वैध शासन का प्रारंभ मांट-फोर्ड (मांटेग्यू चेम्सफोर्ड) सुधारों 1919 से प्रारंभ किया गया, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1919 भी कहा जाता है।
- इस अधिनियम ने पहली बार उत्तरदायी शासन शब्दों का स्पष्ट प्रयोग किया था।
- इस अधिनियम के तहत प्रांतों में विषयों को आरक्षित एवं हस्तांतरित दो भागों में बांटा गया।
- इनमें हस्तांतरित विषयों का प्रशासन विधायिका के चयनित सदस्यों को सौंपा गया जबकि आरक्षित विषय गवर्नर की कार्यकारिणी के पास ही रहे।
- यह दोहरी शासन प्रणाली 1921 से 1937 तक 9 प्रांतों में चलता रहा, केवल बंगाल में 1924 से 1927 और मध्य प्रांत में 1924 से 1926 तक निलम्बित रहा।
मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड प्रस्ताव किससे संबंधित थे - सांविधानिक सुधार I.A.S. (Pre) 2016
भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने किसको स्पष्ट रुप से परिभाषित किया - केंद्रीय एवं प्रांतीय सरकारों की अधिकारिता I.A.S. (Pre) 2015
द्वैध शासन प्रणाली लागू करने वाला एक्ट आया था - 1919 में P.C.S. (Mains) 2002
भारत सरकार अधिनियम, 1935 किसकी रिपोर्ट पर आधारित था - साइमन कमीशन U.P.U.D.A/L.D.A. (Pre) 1998
- 1919 में यह प्रावधान था कि राजनैतिक परिस्थिति का प्रत्येक दस वर्ष के पश्चात पुनरावलोकन किया जाए।
- 1927 से ही यह प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई और साइमन आयोग नियुक्त किया गया।
- सर्वदलीय कॉन्फ्रेंस ने नेहरु रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- साइमन आयोग रिपोर्ट एवं गोलमेज सम्मेलनों और अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रस्तुत श्वेत पत्र, ये सभी 1935 के भारत सरकार अधिनियम के आधार बने।
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने समाप्त की - प्रांतीय द्वैध शासन व्यवस्था B.P.S.C. (Pre) 1997
1935 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट क्यों महत्वपूर्ण है - यह भारतीय संविधान का प्रमुख स्त्रोत है U.P. Lower Sub. (Pre) 2015
- भारत का वर्तमान संवैधानिक ढांचा बहुत कुछ 1935 के अधिनियम पर आधारित है।
- 1935 के मुख्य उपबंध इस प्रकार हैं - 1. संघात्मक सरकार की स्थापना, 2. केंद्र में द्वैध शासन की स्थापना, 3. प्रांतों में द्वैध शासन के स्थान पर स्वायत्त शासन की स्थापना, 4. द्विसदनीय केंद्रीय विधानमंडल, 5. प्रांतीय शासन व्यवस्था, 6. प्रांतीय विधानमंडल, 7. केंद्र एवं प्रांतों में शक्तियों का विभाजन, 8. फेडरल न्यायालय की स्थापना आदि।
1935 के भारत अधिनियम द्वारा प्रस्तावित फेडरल यूनियन में राजसी प्रांतों को शामिल करने के पीछे अंग्रेजों की असली मंशा थी - राष्ट्रवादी नेताओं के साम्राज्यवाद-विरोधी सिद्धांतों को व्यर्थ करने के लिए राजाओं का इस्तेमाल करना I.A.S. (Pre) 2002
- 1935 के भारत अधिनियम द्वारा प्रस्तावित संघ में राजसी प्रांतों को शामिल करने के पीछे अंग्रेजों की असली मंशा भारत के राष्ट्रवादी नेताओं के साम्राज्यवाद विरोधी सिद्धातों को व्यर्थ करने के लिए राजाओं का इस्तेमाल करना था।
- देशी रियासतें भारत की लगभग 25 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती थीं जबकि 1935 के अधिनियम के तहत प्रस्तावित केंद्रीय विधानमंडल के उच्च सदन में उन्हें 40 प्रतिशत (260 में से 104) सीटें तथा निचले सदन में 33 प्रतिशत (375 में से 125) सीटें प्रदान की गई थीं जिन्हें इन रियासतों के राजाओं द्वारा नामित किया जाना था।
- इस प्रकार केंद्रीय विधानमंडल में कांग्रेस पर अंकुश लगाना इसका प्रमुख उद्देश्य था तथा राजाओं का उपयोग ब्रिटिश शासन राष्ट्रीय नेताओं साम्राज्यवाद - विरोधी सिद्धातों की काट के रुप में करना चाहता था।
किसने 1935 के अधिनियम के बारे में कहा था, एक कार जिसमें ब्रेक तो है पर इंजन नहीं - जवाहरलाल नेहरु U.P.P.C.S. (Mains) 2007
- 1935 के अधिनियम के बारे में जवाहरलाल नेहरु ने कहा था- एक कार जिसमें ब्रेक तो है पर इंजन नहीं। वे 1947 से 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
- वे पंचशील के प्रणेता तथा गुट-निरपेक्षता में विश्वास रखने वाले थे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने किस अधिवेशन में भारत सरकार अधिनियम, 1935 को अस्वीकार किया था - लखनऊ अधिवेशन, 1936 U.P.U.D.A/L.D.A. (Pre) 2013
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लखनऊ अधिवेशन, 1936 में भारत सरकार अधिनियम, 1935 को अस्वीकार किया था।
- इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरु ने की थी।
निम्नलिखित में से किसने भारत सरकार अधिनियम, 1935 को गुलामी का अधिकार - पत्र कहा था - जवाहरलाल नेहरु U.P.U.D.A/L.D.A. (Spl)(Pre) 2010
- पंडित जवाहरलाल नेहरु ने भारत सरकार अधिनियम, 1935 को गुलामी का अधिकार या दासता का आज्ञापत्र बताते हुए उसकी कठोर आलोचना की।
- ब्रिटिश शासन के पूरे इतिहास में 1935 का अधिनियम सबसे लंबा - चौड़ा प्रलेख था।
- इसमें 14 भाग, 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थी।
भारत सरकार अधिनियम, 1935 में अंतर्विष्ट अनुदेश - प्रपत्र (इंस्टूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस) को वर्ष 1950 में भारत के संविधान में किस रुप में समाविष्ट किया गया - राज्य की नीति के निदेशक तत्व I.A.S. (Pre) 2010
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 में अंतर्विष्ट अनुदेश-प्रपत्र को वर्ष 1950 में भारत के संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व के रुप में समाविष्ट किया गया है।
- आलोचकों ने इसे केवल पवित्र लोकोक्तियां कहा है।
यह किसने कहा - मुझे इस आरोप के संबंध में कोई क्षमा नहीं मांगनी है कि संविधान के प्रारुप में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 के एक बड़े भाग को पुनः उत्पादित कर दिया गया है - डॉ.बी.आर. अम्बेडकर U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- 29 अगस्त, 1947 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सभापतित्व में प्रारुप समिति नियुक्त की गई।
- प्रारुप समिति द्वारा तैयार किया गया भारत के संविधान का प्रारुप 21 फरवरी, 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष को पेश किया गया।
- 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा में संविधान के प्रारुप को विचार के लिए पेश करते समय डॉ. अंबेडकर ने प्रारुप की कुछ आम आलोचनाओं का उत्तर देते हुए कहा कि संविधान के प्रारुप में भारत शासन एक्ट, 1935 के अधिकांश प्रावधान को ज्यों का त्यों शामिल कर लिया गया है, मैं उसके बारे में कोई क्षमा याचना नहीं करता।
- किसी से उधार लेने में कोई शर्म की बात नहीं है।
- इसमें कोई चोरी नहीं है।
- संविधान के मूल विचारों के बारे में किसी का कोई पेटेंट अधिकार नहीं है।