हाल ही में चर्चित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, (Information Technology Act), 2000 की धारा 66 A के संबंध में असत्य कथन है -
1. धारा 66A के इस्तेमाल पर केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसे कई वर्ष पहले खत्म कर दिया गया था।
2. वर्ष 2015 में न्यायालय ने श्रेया सिंघल मामले में दिये गए अपने निर्णय में आईटी एक्ट के प्रावधानों को असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया।
3. इसमे कंप्यूटर या किसी अन्य संचार उपकरण जैसे- मोबाइल फोन या टैबलेट के माध्यम से संदेश भेजने पर सज़ा को निर्धारित किया है जिसमें दोषी को अधिकतम दो वर्ष की जेल हो सकती है।
4. धारा 66A संविधान के अनुच्छेद 19 (भाषण की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) दोनों के विपरीत थी।

  • 1

    कथन 1 असत्य है।

  • 2

    कथन 2 असत्य है।

  • 3

    कथन 3 असत्य है।

  • 4

    कथन 4 असत्य है।

Answer:- 3
Explanation:-

साल 2015 के मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66A को खत्म कर दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, लिहाजा इसे 'रूल बुक' से फौरन बाहर करें। धारा 66A क्या है → अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया साइट पर ‘आपत्तिजनक सामग्री’ (offensive content) पोस्ट करता है, तो आईटी एक्ट की धारा 66A उस व्यक्ति की गिरफ्तारी की इजाजत देती है। साधारण शब्दों में कहें तो अगर कोई यूजर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस को इसका अधिकार मिला हुआ है। यह धारा शुरू से विवादों में रही है क्योंकि पूर्व में कई घटनाएं सामने आई हैं जब पोस्ट करने वाले यूजर को गिरफ्तार किया गया है और जेल में डाला गया है। बाद में कोर्ट की दखलंदाजी के बाद उसकी रिहाई हो पाई है। सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट की गई सामग्री अगर कानून की नजर में ‘आपत्तिजनक’ है तो संबंधित यूजर को 3 साल की जेल हो सकती है। क्यों है विवाद → नागरिक अधिकारों से जुड़े संगठनों, एनजीओ और विपक्ष की शिकायत रही है कि सरकार लोगों की आवाज दबाने के लिए आईटी एक्ट की इस धारा का दुरुपयोग करती है। ऐसा देखा गया है कि कई प्रदेशों की पुलिस मशीनरी ने वैसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आलोचनात्मक टिप्पणियां (critical comments) करते हैं। राजनीतिक मुद्दों के अलावा कई बार टिप्पणी के केंद्र में राजनेता भी रहे हैं। इस कृत्य के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है और तर्क देती है कि ऐसी टिप्पणियों से सामाजिक सौहार्द्र, शांति, समरसता आदि-आदि को नुकसान पहुंचता है। पुलिस और राजनीतिक दलों के तर्क से इतर अदालत का विचार कुछ और है। अदालत का कहना है कि लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी का संविधान के तहत अधिकार मिला हुआ है। अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया में अपनी बात रखता है और उसके खिलाफ कार्रवाई होती है, तो यह ‘आजादी की जड़’ (root of liberty) पर हमला है। देश की सर्वोच्च अदालत अभिव्यक्ति की आजादी को लोकतंत्र का आधार स्तंभ मानती है। इस पर कुठाराघात का अर्थ है लोकतंत्र को चोट पहुंचाना। Study91 Special Current Affairs Fact → IT Act 2000 की धारा 66A को निरस्त करने का कारण है » संविधान के अनुच्छेद 19 (भाषण की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) दोनों के विपरीत थी। हाल ही में किस राज्य द्वारा 2021-30 के लिए जनसंख्या नियंत्रण पर नई नीति लांच कर रहा है » उत्तर प्रदेश हाल ही के केंद्र सरकार द्वारा किस विभाग को वित्त मंत्रालय के अधीन लाए जाने का फैसला किया गया » सार्वजनिक उद्यम विभाग हाल ही में किस राज्य ने विधान परिषद (Legislative Council) बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया » पश्चिम बंगाल सुप्रीम कोर्ट (SC) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को 31 जुलाई, 2021 तक किस योजना के विस्तार का निर्देश दिया » वन नेशन, वन राशन कार्ड किस राज्य ने अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन (incentives) की घोषणा की » मिजोरम ने राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के तहत कितने जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है » 111 किस राज्य में GDP के तर्ज पर GEP का आकलन होगा » उत्तराखंड

Post your Comments

Your comments will be displayed only after manual approval.

Test
Classes
E-Book