आगे नाथ न पीछे पगहा - बन्धनहीन
तीन तेरह होना - संगठित होना
एक टकसाल के ढले हैं - सब एक जैसे हैं
आँख के अन्धे गाँठ के पूरे - मूर्ख लेकिन धनवान
दिए गए विकल्प में से ‘तीन-तेरह होना - संगठित होना’ लोकोक्ति अर्थ की दृष्टि से गलत है। ‘तीन-तेरह होना’ लोकोक्ति का सही अर्थ - ‘तितर-बितर होना’ होता है।
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