एक
दो
तीन
चार
स्वर तंत्रियों के आधार पर व्यंजनों को दो वर्गों में बाँटा गाय है - सघोष तथा अघोष। नाद की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ झंकृत होती है, वे सघोष-और जिनमें यह झंकृत नहीं होती, वे अघोष व्यंजन कहलाते हैं। सघोष में नाद का प्रयोग होता है और अघोष में श्वास का उपयोग होता है। वर्गीय व्यंजन का पहला तथा दूसरा वर्ण,श,ष,स तथा सभी स्वर अघोष होते हैं, जबकि वर्गीय व्यंजन का तीसरा चौथा और पाँचवाँ तथा य,र,ल,व,ह सघोष/घोष ध्वनि होते हैं।
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