साहित्यिक रुप में हिन्दी का स्वीकार्य रुप
केवल लिखने - पढने की हिन्दी
साधारण बोलचाल की हिन्दी
मध्यकालीन साहित्यिक पुस्तकों की हिन्दी
हिन्दी भाषा का बोलचाल के स्तर से ऊपर उठकर मानक रुप ग्रहण कर लेना उसका मानकीकरण कहलाता है। मानक हिन्दी से तात्पर्य है कि साहित्यिक रुप में हिन्दी का स्वीकार्य रुप।
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