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भारत में आखिरी जाति जनगणना 1931 में हुई थी। इसी आंकड़े के आधार पर बताया गया कि देश में ओबीसी आबादी 52 प्रतिशत है। जाति आधारित जनगणना न कराने से क्या नुकसान ? जातियों की गिनती न होने से यह पता नहीं लग पाता है कि देश में विभिन्न जातियों के कितने लोग हैं और उनकी शैक्षणिक-आर्थिक स्थति कैसी है। उनके बीच संसाधनों का बंटवारा किस तरह का है और इसके लिए किस तरह की नीतियों की जरूरत है। भारत जाति संबंधी नीतियां हैं, विभाग हैं, आयोग हैं, लेकिन ये सब बिना आंकड़ों के काम करते हैं।
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