कृषि उपज (श्रेणीकरण और चिह्नित) अधिनियम, 1937
आवश्यक वस्तु अनिधियम, 1955
बीज अधिनियम 1983
मॉडल एपीएमसी अधिनियम, 2003
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत 15 मई 2020 को यह ऐलान किया। केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा कदम एग्रीकल्चर में प्रशासकीय सुधारों को लेकर उठाया है। तिलहन, दलहन और कुछ अनाज के इस कानून के बाहर हो जाने से इनकी खेती करने वाले किसानों को फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी। भंडारण के लिए कोई स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी। क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 सरकार इस कानून की मदद से आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को मुनासिब दाम पर उपलब्ध हों। सरकार अगर किसी चीज को आवश्यक वस्तु घोषित कर देती है तो सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड प्रॉडक्ट का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे। उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है। अभी तक इसके दायरे में अनाज, दलहन और तिलहनी फसल आ रहे हैं। माना जाता है कि इस वजह से किसानों को अधिकतर उत्पादों की सही कीमत नहीं मिल पाती है। अब कीमत बाजार में तय होगी। इसी कानून की वजह से किसानों को अपना उत्पाद एमएसपी पर बेचने को मजबूर होना पड़ता था। किसी वस्तु की असली कीमत तो बाजार में तय होती है। ऐसा होता है किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति पर। जब किसानों को पता चलेगा कि अमुक फसल की मांग ज्यादा है तो उसी को उगाएंगे। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्र में खुशहाली आएगी।
Post your Comments