DSDBO लद्दाख में भारतीय क्षेत्र का सबसे उत्तरी इलाका है, जिसे सेना के बीच सब-सेक्टर नॉर्थ के नाम से जाना जाता है।
इस सड़क का निर्माण कार्य लगभग दो दशकों के बाद वर्ष 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इस सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 2000 में शुरू किया गया था जिसे वर्ष 2012 तक पूरा किया जाना था।
उपर्युक्त सभी से
'दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी' एक सड़क है जो लद्दाख में भारतीय क्षेत्र का सबसे उत्तरी इलाका है जिसका निर्माण कार्य लगभग 2 दशकों के बाद 2020 में पूरा होने की उम्मीद है। यह सड़क दारबुक से अंतिम भारतीय ग्राम श्योक तक लगभग 255 किमी. लंबी सड़क है। श्योक तथा काराकोरम दर्रे के बीच दौलत बेग ओल्डी (DBO) 16,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक पठार है। यह अवस्थिति वायुसेना के लिये बहुत अधिक सामरिक महत्त्व रखती है क्योंकि यह अवस्थिति वायु सेना के लिये आपूर्ति सामग्री गिराने के लिये उन्नत लैंडिंग ग्राउंड है।
'दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी' एक सड़क है जो लद्दाख में भारतीय क्षेत्र का सबसे उत्तरी इलाका है जिसका निर्माण कार्य लगभग 2 दशकों के बाद 2020 में पूरा होने की उम्मीद है।
यह सड़क दारबुक से अंतिम भारतीय ग्राम श्योक तक लगभग 255 किमी. लंबी सड़क है।
श्योक तथा काराकोरम दर्रे के बीच दौलत बेग ओल्डी (DBO) 16,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक पठार है।
यह अवस्थिति वायुसेना के लिये बहुत अधिक सामरिक महत्त्व रखती है क्योंकि यह अवस्थिति वायु सेना के लिये आपूर्ति सामग्री गिराने के लिये उन्नत लैंडिंग ग्राउंड है।
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यह सड़क दारबुक से अंतिम भारतीय ग्राम श्योक तक लगभग 255 किमी. लंबी सड़क है।
श्योक तथा काराकोरम दर्रे के बीच दौलत बेग ओल्डी (DBO) 16,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक पठार है।
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