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वर्ष 2009 से आंध्रप्रदेश तथा ओडिशा राज्य के मध्य उत्पन्न ‘वंशधारा जल विवाद’ के समाधान को लेकर शीघ्र ही आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा ओडिशा सरकार से वार्ता की बात की गई है। 2009 में ओड़िशा द्वारा केंद्र सरकार को शिकायत दर्ज की गयी जिसमे ओडिशा सरकार का पक्ष था कि आंध्र प्रदेश के कटरागार में वंशधारा नदी पर निर्मित तेज़ बहाव वाली नहर के निर्माण के कारण नदी का विद्यमान तल सूख जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भूजल और नदी का बहाव प्रभावित होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में एक ‘जल विवाद अधिकरण’ का गठन किया गया। अधिकरण द्वारा दिया गया निर्णय के विरुद्ध वर्ष 2013 ओडिशा सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जो अभी लंबित है। यह नदी ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच प्रवाहित होती है। नदी का उद्गम ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के थुआमुल रामपुर से होता है। लगभग 254 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह आंध्र प्रदेश के कालापटनम ज़िले से बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर जाती है।
वर्ष 2009 से आंध्रप्रदेश तथा ओडिशा राज्य के मध्य उत्पन्न ‘वंशधारा जल विवाद’ के समाधान को लेकर शीघ्र ही आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा ओडिशा सरकार से वार्ता की बात की गई है।
2009 में ओड़िशा द्वारा केंद्र सरकार को शिकायत दर्ज की गयी जिसमे ओडिशा सरकार का पक्ष था कि आंध्र प्रदेश के कटरागार में वंशधारा नदी पर निर्मित तेज़ बहाव वाली नहर के निर्माण के कारण नदी का विद्यमान तल सूख जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भूजल और नदी का बहाव प्रभावित होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में एक ‘जल विवाद अधिकरण’ का गठन किया गया।
अधिकरण द्वारा दिया गया निर्णय के विरुद्ध वर्ष 2013 ओडिशा सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जो अभी लंबित है।
यह नदी ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच प्रवाहित होती है।
नदी का उद्गम ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के थुआमुल रामपुर से होता है।
लगभग 254 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह आंध्र प्रदेश के कालापटनम ज़िले से बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर जाती है।
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2009 में ओड़िशा द्वारा केंद्र सरकार को शिकायत दर्ज की गयी जिसमे ओडिशा सरकार का पक्ष था कि आंध्र प्रदेश के कटरागार में वंशधारा नदी पर निर्मित तेज़ बहाव वाली नहर के निर्माण के कारण नदी का विद्यमान तल सूख जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भूजल और नदी का बहाव प्रभावित होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में एक ‘जल विवाद अधिकरण’ का गठन किया गया।
अधिकरण द्वारा दिया गया निर्णय के विरुद्ध वर्ष 2013 ओडिशा सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जो अभी लंबित है।
यह नदी ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश राज्यों के बीच प्रवाहित होती है।
नदी का उद्गम ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के थुआमुल रामपुर से होता है।
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