विद्या देवी भंडारी
केपी शर्मा ओली
मनीषा देवी भंडारी
गिरजा प्रसाद कोईराला
भारत के विरोध के बावजूद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने नेपाल के नए मानचित्र को अपनी स्वीकृति दे दी है, राष्ट्रपति की इस मंज़ूरी के साथ ही नेपाल का नया मानचित्र अब नेपाल के संविधान का हिस्सा बन गया है।
इससे पूर्व नेपाल की संसद के उच्च सदन और निचले सदन ने नेपाल के विवादीय मानचित्र को अपनी मंज़ूरी दी थी।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया था, जिसमें उत्तराखंड के कालापानी लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया गया था।
नेपाल के अनुसार, सुगौली संधि (वर्ष 1816) के तहत काली नदी के पूर्व में अवस्थित सभी क्षेत्र, जिनमें लिम्पियाधुरा और लिपुलेख शामिल हैं, नेपाल का अभिन्न अंग हैं, भारत इस क्षेत्र को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले का हिस्सा मानता है।
भारत ने नेपाल के नवीन मानचित्र को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि नेपाल के नए मानचित्र में देश के क्षेत्र का अनुचित रूप से विस्तार किया गया है, जो कि ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।
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