70 डॉल्फिन
68 डॉल्फिन
86 डॉल्फिन
65 डॉल्फिन
मध्य प्रदेश वन विभाग की नवीनतम डॉल्फिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, 425 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में सिर्फ 68 डॉल्फिन बची हैं जो तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान) से होकर गुजरती हैं। डॉल्फिन जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में चंबल नदी में डॉल्फिन की संख्या में 13% की कमी आई है। वर्ष 2016 में चंबल में डॉल्फिन की संख्या 78 थी। चंबल नदी डॉल्फिन की एक दुर्लभ प्रजाति (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका- Platanista Gangetica) का निवास स्थान है और इसे IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। वर्ष 1985 में पहली बार इटावा (उत्तर प्रदेश) के पास चंबल नदी में डॉल्फिन को देखा गया था। उस समय इनकी संख्या 110 से अधिक थी । राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1979 में चंबल नदी की 425 किलोमीटर की लंबाई के साथ की गई थी। इसे राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है। यह उत्तर भारत में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ घड़ियाल, रेड क्राउन्ड रूफ कछुए (Red-Crowned Roof Turtle) और लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन (राष्ट्रीय जलीय पशु) के संरक्षण के लिये 5,400 वर्ग किमी. में फैला त्रिकोणीय राज्य संरक्षित क्षेत्र है।
Nice sir