14 अगस्त
12 अगस्त
13 अगस्त
11 अगस्त
13 अगस्त को प्रतिदिन विश्व अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य अंगदान के बारे में जागरूकता फैलाना हैं। भारत में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु ऑर्गन फेलियर के कारण होती, यदि समय पर इस तरह के रोगियों को स्वस्थ अंग का प्रत्यारोपण किया जाए, तो उनका जीवन बच सकता है। मानव अपने विभिन्न अंगों जैसे गुर्दा, फेफड़े, ह्रदय, नेत्र, यकृत, अग्नाशय, कॉर्निया, छोटी आंत, त्वचा उत्तक, हड्डी के उत्तक इत्यादि का दान कर सकता है। विश्वभर में 5 लाख से अधिक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें विभिन्न अंगों की आवश्यकता है। भारत में अंगदान के लिए काफी संतुलित प्रोग्राम है, परन्तु मृत्यु के बाद भारत में अंगदान की दर बहुत कम है। मानव अंग व्यापार को रोकने तथा मृत्यु के बाद अंगदान को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने ‘मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994’ पारित किया था। वर्ष 2011 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था। विश्व संदर्भ में देखें तो अंगदान करने के मामले में भारत दुनिया में बेहद पिछड़ा हुआ देश है। यहाँ प्रति दस लाख की आबादी पर केवल 0.16 लोग अंगदान करते हैं। जबकि प्रति दस लाख की आबादी पर स्पेन में 36 लोग, क्रोएशिया में 35 और अमेरिका में 27 लोग अंगदान करते हैं। वर्ष 2018 में महाराष्ट्र में 132, तमिलनाडु में 137, तेलंगाना में 167 और आंध्रप्रदेश में 45 और चंडीगढ़ में केवल 35 अंगदान हुए। तमिलनाडु ने बीते कुछ समय में इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है। यहाँ प्रत्येक वर्ष लगभग 80 हजार कॉर्निया का अंगदान होता है।
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