महामारी रोग अधिनियम, 1897
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005
आईपीसी,1860
इनमें से कोई नहीं
(Epidemic diseases act 1897) इस विधेयक के जरिए 123 साल पुराने कानून में बदलाव किया जा रहा है, जिसमें हमला होने पर दोषी को सात साल तक की जेल और पांच लाख तक का जुर्माना हो सकता है। इस साल अप्रैल में देश के स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हमलों के लिए कड़ी सजा देने के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने के लिए सरकार अध्यादेश लाई थी। अब इसे कानून बनाने के लिए संसद में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विधेयक पेश किया। इस तरह का अपराध संज्ञेय (नॉन बेलेबल) होगा, संज्ञेय यानी बिना वॉरंट के गिरफ्तारी हो सकती है। बिना अदालत की मंजूरी के जांच शुरू हो सकती है। अपराध गैर-जमानती भी होगा & गैर-जमानती यानी जमानत सिर्फ अदालत से ही मिलेगी। जांच अधिकारी को 30 दिन के भीतर जांच पूरी करनी होगी & एक साल में अदालत को फैसला देना होगा। डॉक्टर्स-हेल्थ वर्कर्स पर हमले के दोषी पाए गए तो 3 महीने से 5 साल तक की सजा होगी। 50 हजार से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर हमले में गंभीर चोट आई है तो 6 महीने से 7 साल तक की सजा और एक लाख से 5 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है। दूसरा - अगर आदेश के उल्लंघन से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा, को खतरा हुआ तो कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
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