चौथ और सरदेशमुखी
भू-राजस्व
आयात एवं निर्यात कर
चुंगी
मुद्रा व्यापारिक कर और भूमि से लगान शिवाजी के आय के स्थायी साधन थे परंतु ये उनकी सेना और शासन के व्यय के लिए पर्याप्त न थे। इस कारण शिवाजी ने अपनी आय का मुख्य साधन चौथ और सरदेशमुखी को बनाया था। ये कर पड़ोसी राज्यों की सीमाओं और नगरों से अथवा अपने प्रभाव क्षेत्र के नागरिकों से वसूल किया जाते थे। ‘चौथ’ उस प्रदेश की वार्षिक आय का एक चौथाई भाग तथा ‘सरदेशमुखी’ उस प्रदेश के कुल भू-राजस्व की आय का 1/10 भाग होता था। शिवाजी उन प्रदेशों का उत्तरदायित्व अपने ऊपर नहीं लेते थे और न ही ये प्रदेश उनके राज्य की सीमाओं के अंतर्गत आते थे।
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