बंगाल विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन

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बंगाल विभाजन (1905) तथा स्वदेशी आंदोलन

बंग - भंग विरोधी आंदोलन का प्रारंभ किस तिथि से हुआ - 7 अगस्त, 1905        U.P.P.C.S. (Pre) 1994

  • ब्रिटिश सरकार ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा कर दी।
  • 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता के टाउनहाल में एक ऐतिहासिक बैठक में स्वदेशी आंदोलन की विधिवत घोषणा कर दी गई।
  • इसमें ऐतिहासिक बहिष्कार प्रस्ताव पारित हुआ।
  • इसी के बाद से बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में बंग - भंग विरोधी आंदोलन औपचारिक रुप से एकजुट होकर प्रारंभ हो गया।
  • 16 अक्टूबर, 1905 को बंगाल विभाजन प्रभावी हो गया।
  • इस दिन पूरे बंगाल में शोक दिवस के रुप में मनाया गया।
  • रबींद्रनाथ टैगोर के सुझाव पर संपूर्ण बंगाल में इस दिन को राखी दिवस के रुप में मनाया गया।
  • विभाजन के बाद बंगाल, पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में बट गया।
  • पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक नया प्रांत बनाया गया जिसमें - राजशाही , चटगांव, ढ़ाका आदि सम्मिलित थे।
  • इस प्रांत का मुख्यालय ढ़ाका में था।
  • विभाजन के दूसरे भाग में पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा और बिहार शामिल थे।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में 16 अक्टूबर, 1905 किसके लिए प्रसिद्ध है - बंगाल का विभाजन हुआ        I.A.S. (Pre) 2009

1905 में बंगाल विभाजन किस वायसराय ने किया - लॉर्ड कर्जन        B.P.S.C. (Pre) 1997/U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003

  • बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन (1899 - 1905) के काल में 1905 में किया गया था।
  • इसके निर्णय की घोषणा 19 जुलाई, 1905 को की गई थी तथा यह 16 अक्टूबर, 1905 से लागू हुआ।
  • 1911 के दिल्ली दरबार में बंगाल के विभाजन को निरस्त करने की घोषणा की गई।

बंगाल के विभाजन के समय बंगाल का लेफ्टिनेंट गवर्नर था - सर एन्ड्रूज फ्रेजर        U.P.P.C.S. (Mains) 2011

  • सर एन्ड्रूज हेंडरसन लीथ फ्रेजर भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे।
  • इन्होंने वर्ष 1903 से 1908 तक बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रुप में अपनी सेवाएं दी थी।
  • बंगाल विभाजन (1905) की योजना में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

किसने बंगाल के विभाजन (1905) के विरोध में हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था - सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने        U.P.P.C.S. (Pre) 2011        

  • बंगाल के विभाजन (1905) के विरोध में हुए प्रारंभिक आंदोलन का नेतृत्व सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने किया था।

बंग - भंग के बाद कौन - सा आंदोलन शुरु हुआ था - स्वदेशी आंदोलन        B.P.S.C. (Pre) 2015

कौन स्वदेशी आंदोलन का आलोचक था एवं पूर्ण तथा पाश्चात्य के मध्य एक बेहतर संबंध का समर्थक था - रबींद्रनाथ टैगोर        U.P. Lower Sub. (Pre) 2009

  • रबींद्रनाथ टैगोर स्वदेशी आंदोलन के आलोचक थे तथा पूर्व एवं पाश्चात्य सभ्यता के मध्य एक बेहतर समन्वय संबंध के समर्थक थे।
  • उनका मानना था कि पश्चिम ने पूर्व को समझने में गलती की है और यह दोनों के बीच असामंजस्य का मूल कारण है, परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि पूर्व भी पश्चिम को समझने में गलती करें।

बंगाल में ब्रिटेन की वस्तुओं के बहिष्कार का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था - कृष्ण कुमार मित्र ने        U.P.P.C.S. (Mains) 2011/U.P. Lower Sub. (Pre) 2004

  • बंगाल विभाजन के प्रस्ताव के विरोध में बंगाल पत्रिका, संजीवनी के संपादक कृष्ण कुमार मित्र ने अपनी पत्रिका के 13 जुलाई, 1905 के अंक में सर्वप्रथम सुझाव दिया था कि लोगों को सारे ब्रिटिश माल का बहिष्कार करना चाहिए, शोक मनाना चाहिए तथा सरकारी अधिकारियों एवं सरकारी संस्थाओं से सभी संपर्क तोड़ लेने चाहिए।
  • उनके इस सुझाव का समर्थन बागेरहाट (जिला - खुलना) की 16 जुलाई, 1905 की जनसभा द्वारा किया गया।

भारतीयों के विरोध के कारण बंगाल को फिर से कब एकीकृत किया गया - 1911        P.C.S. (Pre) 2010

ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार को राष्ट्रीय नीति के रुप में अपनाया गया था - 1905 में        U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014

  • लॉर्ड कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की जिसके परिणामस्वरुप 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता के टाउनहाल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गई।
  • इसी बैठक में ऐतिहासिक बहिष्कार प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार को राष्ट्रीय नीति के रुप में अपनाया गया।

बंगाल का विभाजन मुख्यतः किया गया था - बंगाली राष्ट्रवाद की वृद्धि को दुर्बल करने के लिए        U.P. Lower Sub. (Pre) 1998        

  • ऊपरी तौर पर यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने इसका उद्देश्य प्राशसनिक सुविधा बताया था लेकिन वास्तव में बंगाल विभाजन मुख्यतः बंगाली राष्ट्रवाद की वृद्धि को दुर्बल करने के लिए किया गया था।
  • तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन के अनुसार - अंग्रेजी हुकूमत का यह प्रयास कलकत्ता को सिंहासनाच्युत करना तथा बंगाली आबादी का बंटवारा करना था, एक ऐसे केंद्र को समाप्त करना था, जहां से बंगाल एवं पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का संचालन होता था और साजिशें रची जाती थीं।

स्वदेशी आंदोलन के प्रारंभ का तात्कालिक कारण क्या था - लॉर्ड कर्जन द्वारा किया गया बंगाल विभाजन        I.A.S. (Pre) 2010

  • स्वदेशी आंदोलन के प्रारंभ का तात्कालिक कारण बंगाल विभाजन था।
  • इस अवधारणा के मुख्य प्रस्तुतकर्ता अरबिंद घोष, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, तथा लाला लाजपत राय थे।
  • ये लोग स्वदेशी आंदोलन को पूरे देश में लागू करना चाहते थे किंतु उदारवादी गुट इसके विरुद्ध था।

बंगाल 1905 ई. में विभाजित हुआ जिसके विरोध के फलस्वरुप यह दुबारा विभाजित हुआ - 1911 ई. में        B.P.S.C. (Pre) 2003

  • दिसंबर, 1911 ई. में ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम और महारानी मेरी के भारत आगमन पर उनके स्वागत हेतु दिल्ली में एक दरबार का आयोजन किया गया।
  • दिल्ली दरबार में ही 12 दिसंबर, 1911 को सम्राट ने बंगाल विभाजन को रद्द घोषित किया, साथ ही कलकत्ता की जगह दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाए जाने की घोषणा की।
  • घोषणा के अनुरुप बंगाल को एक नए प्रांत के रुप में पुर्नगठित किया गया।
  • उड़ीसा तथा बिहार को इससे अलग कर दिया गया।
  • असम को एक नया प्रांत बनाया गया, जैसा कि उसकी स्थिति 1874 में थी तथा सिलहट को इसमें जोड़ दिया गया।

मद्रास में स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व किसने किया था - चिदंबरम पिल्लै        U.P. Lower Sub. (Pre) 2008         

  • बंगाल से प्रारंभ हुए स्वदेशी आंदोलन का लोकमान्य तिलक ने सारे देश विशेषकर बंबई और पुणें में अजीत सिंह और लाला लाजपत राय ने पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में, सैयद हैदर रजा ने दिल्ली में तथा चिदंबरम पिल्लै ने मद्रास प्रेसीडेंसी में नेतृत्व किया था।

1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा किया गया बंगाल का विभाजन कब तक बना रहा - सम्राट जॉर्ज पंचम द्वारा दिल्ली में 1911 के शाही दरबार में कर्जन के अधिनियम को निराकृत किए जाने तक        I.A.S. (Pre) 2014

  • बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई, 1905 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन द्वारा की गई थी।
  • विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 से प्रभावी हुआ था।
  • विभाजन के बाद बंगाल, पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में बंट गया था।
  • विभाजन के दिन 16 अक्टूबर, 1905 को पूरे बंगाल में राष्ट्रीय शोक दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई थी।
  • वर्ष 1911 में जॉर्ज पंचम भारत की यात्रा पर एक दरबार लगाने आए।
  • इसमें उन्होंने बंगाल विभाजन रद्द करने की घोषणा की, साथ ही यह घोषणा भी की कि कलकत्ता से राजधानी का स्थानांतरण दिल्ली के दक्षिण में नया शहर बनाकर किया जाएगा जो कि नई दिल्ली बना।

ब्रिटिश पत्रकार एच.डब्ल्यू. नेविन्सन जुड़े थे - स्वदेशी आंदोलन से        U.P.P.C.S. (Pre) 2014

  • ब्रिटिश पत्रकार एच.डब्ल्यू. नेविन्सन स्वदेशी आंदोलन से जुड़े थे।
  • इन्होंने चार महीने तक भारत में रहकर मानचेस्टर गार्जियन, ग्लास्गो हेराल्ड तथा डेली क्रॉनिकल के लिए रिपोर्टिंग की थी।
  • बाद में इन्होंनें इस रिपोर्ट को द न्यू स्पिरिट इन इंडिया नाम से पुस्तक के रुप में संपादित किया था।

कौन 1905 के स्वदेशी आंदोलन से मुख्यतः अप्रभावित रहा - कृषक, मुसलमान        B.P.S.C. (Pre) 1995

  • कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की जिसके परिणामस्वरुप 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता के टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गई।
  • इसी बैठक में ऐतिहासिक बहिष्कार प्रस्ताव पारित हुआ।
  • स्वदेशी आंदोलन के समय आंदोलन के प्रति जन समर्थन एकत्र करने के उद्देश्य से अश्विनी कुमार दत्त ने स्वदेश बांधव समिति की स्थापना की।
  • तिलक, लाला लाजपत राय तथा अरबिंद घोष ने पूरे देश में स्वदेशी एवं बहिष्कार का प्रचार किया।
  • इस आंदोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी महिलाओं का इसमें सक्रिय रुप से भाग लेना।
  • लेकिन किसान एवं बहुसंख्य मुस्लिम समुदाय स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन से अलग रहे।

किस आंदोलन के दौरान वंदे मातरम भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का शीर्षक गीत बना - स्वदेशी आंदोलन         U.P.P.C.S. (Mains) 2002/ U.P.P.C.S. (Pre) 2005/P.C.S. (Mains) 2006/ U.P.P.C.S. (GIC) 2010        

  • स्वदेशी आंदोलन के दौरान 16 अक्टूबर, 1905 का दिन (जिस दिन विभाजन प्रभावी हुआ) पूरे बंगाल में शोक दिवस के रुप में मनाया गया।
  • घरों में चूल्हा नहीं जला, लोगों ने उपवास रखा और कलकत्ता में हड़ताल घोषित कर दी।
  • जनता ने जुलूस निकाला।
  • सवेरे जत्थे  के जत्थे लोगों ने गंगा स्नान किया और फिर सड़कों पर वंदे मातरम गाते हुए प्रदर्शन करने लगे।
  • वंदे मातरम इस आंदोलन का शीर्षक गीत बना।
  • लोंगों ने एक - दूसरे के हाथ पर राखियां बांधी थीं - यह जताने के लिए कि बंगाल को बाटकर अंग्रेज उनकी एकता में दरार नहीं डाल सकते।

भारत की प्राचीन कला पंरपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक इंडियन सोसायटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट की स्थापना की थी - अवनींद्रनाथ टैगोर ने         U.P.P.C.S. (Mains) 2007

  • राष्ट्रीय आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के वातावरण में अवनींद्रनाथ टैगोर ने 1907 ई. में अपने बड़े भाई गगनेंद्रनाथ के साथ मिलकर इंडियन सोसायटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट की स्थापना की, जिसके द्वारा प्राच्य कला - मूल्यों का पुनर्जीवित एवं आधुनिक भारतीय कला में नई चेतना जागृत हुई।

बंगाल विभाजन के विरुद्ध राष्ट्रवादियों ने कौन - कौन से कार्यक्रम प्रांरभ किए - बायकाट, स्वदेशी, राष्ट्रीय शिक्षा        P.C.S. (Pre) 2014

  • कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन का निर्णय लिया।
  • इसके विरोध में राष्ट्रवादियों द्वारा आंदोलन की शुरुआत 7 अगस्त, 1905 को हुई।
  • कलकत्ता के टाउन हॉल में कृष्ण कुमार मित्र और सुरेंद्रनाथ बनर्जी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जहां स्वदेशी आंदोलन प्रारंभ करने और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का निर्णय लिया गया।
  • 16 अक्टूबर, 1905 को जब बंगाल विभाजन लागू हो गया उस दिन को शोक दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई।
  • रवींद्रनाथ टैगोर के सुझाव पर इसे राखी दिवस के रुप में भी मनाया गया।
  • यह दिवस राष्ट्रवादियों द्वारा बंगाल की अटूट एकता को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया।
  • टैगोर के शांतिनिकेतन के तर्ज पर बंगाल नेशनल कॉलेज की स्थापना की गई।
  • बहुत कम समय में पूरे देश में अनेक राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना हो गई।
  • अगस्त, 1906 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद का गठन हुआ।
  • स्वदेशी आंदोलन में आत्म निर्भरता, आत्मशक्ति का नारा दिया।
  • स्वावलंबन व आत्मनिर्भरता का प्रश्न राष्ट्रीय स्वाभिमान, आदर और आत्मविश्वास के साथ जुड़ा था।
  • कांग्रेस ने भी अपने कलकत्ता अधिवेशन (1906 ई.) में स्वदेशी आंदोलन, बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन से संबंद्ध चार प्रस्ताव पारित किए।
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Exam List

बंगाल विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन - 01
  • Question 20
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 20
  • language Hin & Eng.
बंगाल विभाजन एवं स्वदेशी आंदोलन - 02
  • Question 20
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 20
  • language Hin & Eng.
स्वाधीनता आन्दोलन के प्रारंभिक वर्ष
  • Question 28
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 50
  • language Hin & Eng.
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