दिल्ली सल्तनत – प्रशासन, संस्कृति, साहित्य एवं स्थापत्य

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दिल्ली सल्तनत - प्रशासन, संस्कृति, कला, साहित्य एवं स्थापत्य

इतिहासकार बरनी ने दिल्ली के सुल्तानों के अधीन भारत में शासन को वास्तव में इस्लामी नहीं माना क्यों कि - अधिकत्तर आबादी इस्लाम का अनुसरण नहीं करती थी        I.A.S. (Pre) 2002

  • इतिहासकार बरनी ने दिल्ली के सुल्तानों के अधीन भारत में शासन को वास्तव में इस्लामी नहीं माना क्यों कि सल्तनत काल में अधिकत्तर आबादी इस्लाम का अनुसरण नहीं करती थी।

सल्तनत काल के अधिकांश अमीर एवं सुल्तान किस वर्ग के थे - तुर्क        U.P.P.C.S. (Pre) 1991

  • सल्तनत काल के अधिकांश अमीर एवं सुल्तान तुर्क वर्ग के थे। सुल्तान केंद्रीय शासन का प्रधान था।
  • इसी तरह सल्तनत काल में प्रायः सभी प्रभावशाली पदों पर नियुक्त व्यक्तियों को अमीर की संज्ञा दी जाती थी।
  • इन अमीरों का प्रभाव उस समय अधिक होता था जब सुल्तान अयोग्य और निर्बल अथवा अल्पवयस्क होता था।

भारत के किस मध्यकालीन शासक ने इत्क्ता व्यवस्था प्रारंभ की थी - इल्तुतमिश        U.P.P.C.S. (Pre) 2010

  • भारत में इत्क्ता व्यवस्था की शुरुआत इल्तुतमिश ने की थी।
  • यह भूमि का एक विशेष खंड होता था जो सैनिक या सैनिक अधिकारियों को प्रदान किया जाता था किंतु वे इस भू-भाग के मालिक नहीं होते थे।
  • वे केवल लगान का ही उपभोग कर सकते थे।

सल्तनत काल में भू-राजस्व का सर्वोच्च ग्रामीण अधिकारी था - चौधरी        I.A.S. (Pre) 2004

  • सल्तनत काल में शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी, जो स्वशासन तथा पैतृक अधिकारियों की व्यवस्था के अंतर्गत थी।
  • ग्राम स्तर पर चौधरी भू-राजस्व का सर्वोच्च अधिकारी था।
  • इस प्रकार राज्य के कर्मचारियों का किसानों से प्रत्यक्ष संपर्क न था बल्कि वे वंशानुगत और परंपरा से चले आ रहे गांव अथवा जिले के अधिकारियों से संपर्क रखते थे और किसानों से लगान वसूल कर उन्हें देते थे।
  • मुक्ति और बली के कार्यों की देखभाल के लिए सुल्तान ख्वाजा नामक एक अधिकारी की नियुक्ति करता था।

शर्ब कर लगाया जाता था - सिंचाई पर        U.P.P.C.S. (Pre) 1996        

  • फिरोज तुगलक ने कुरान के नियमों को दृष्टि में रखकर कर निर्धारण किया।
  • उसने कुरान में अनुमोदित चार कर लगाने की अनुमति दी - खराज, जजिया, खुम्स एवं जकात।
  • धार्मिक नियमों के विद्वानों से परामर्श कर उसने खेतों की उपज के दस प्रतिशत की दर से सिंचाई कर (शर्ब) भी लगाया।
  • फिरोज तुगलक ने अपने समय में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर दिया था।

हदीस है एक - इस्लामिक कानून        P.C.S. (Pre) 2014

  • हदीस एक इस्लामिक कानून है।
  • इस्लाम धर्म के मूल स्त्रोत कुरान के बाद दूसरा स्त्रोत हदीस है।
  • दोनों को मिलाकर इस्लाम धर्म की संपूर्ण व्याख्या और इस्लामी शरीअत की संरचना होती है।

जवाबित का संबंध किससे था - राज्य कानून से        B.P.S.C. (Pre) 1994/U.P.P.C.S. (Pre) 1997

  • सल्तनत कालीन प्रशासनिक शब्दावली में जवाबित का संबंध राज्य के कानून से है।

किसने टंका नामक चांदी का सिक्का चलाया था - इल्तुतमिश        U.P. Lower Sub. (Pre) 2008

  • सल्तनत कालीन दो प्रमुख मुद्राएं है - जीतल एवं टंका।
  • इल्तुतमिश पहला तुर्क शासक था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलाए।
  • मुद्रा प्रणाली में उसका योगदान दिल्ली सल्तनत के शासकों में सर्वाधिक है, क्योंकि उसी ने दो प्रमुख सिक्के मतलब चांदी का टंका और तांबे का जीतल प्रचलित किया।
  • सल्तनत काल में टंका चांदी एवं जीतल तांबे का बना होता था, ये दोनों सिक्के इल्तुतमिश द्वारा प्रचलित किए गए।
  • शशगनी भी चांदी का सिक्का था।
  • टंका एवं जीतल का अनुपात 1ः48 का था।

किसके सिक्कों पर बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम सर्वप्रथम अंकित हुआ - अलाउद्दीन मसूद शाह        U.P.P.C.S. (Pre) 2012        

  • अलाउद्दीन मसूद शाह (1242 - 46 ई.) के सिक्के पर सर्वप्रथम बगदाद के अंतिम खलीफा का नाम अंकित हुआ था।
  • बगदाद के अंतिम खलीफा अल मुस्तसीम थे।
  • यह 1242 - 58 तक खलीफा रहे।
  • इल्तुतमिश के सिक्के पर खलीफा अल मुस्तनसीर का नाम उल्लिखित था जो 1226 - 42 तक खलीफा रहे।

- महत्वपूर्ण तथ्य -

दीवान – ए – बंदगान

दासो की देख-रेख

फिरोज तुगलक

दीवान – ए – खैरात

दान विभाग

फिरोज तुगलक

दीवान – ए – मुस्तखराज

राजस्व विभाग

अलाउद्दीन खिलजी

दीवान – ए – कोही

कृषि विभाग

मुहम्मद तुगलक

दीवान – ए – अर्ज

सैनिक विभाग

बलबन

दीवान – ए - रियासत

बाजार नियंत्रण

अलाउददीन खिलजी


अलाई दरवाजा का निर्माण किस सुल्तान ने करवाया - अलाउद्दीन खिलजी        B.P.S.C. (Pre) 1997

  • अलाई दरवाजा का निर्माण सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुबमीनार के निकट करवाया था।
  • इसका निर्माण लाल पत्थरों तथा संगमरमर के द्वारा हुआ।
  • यह 1311 ई. में बनकर तैयार हुआ।
  • इल्तुतमिश के मकबरे की तरह इसमें एक चौकोर बड़ा कमरा है जिसकी छत पर एक गुम्बद है और इसकी चारों दीवारों में एक में मेहराबदार प्रवेशद्वार है।

भारत में प्रथम मकबरा जो शुद्ध इस्लामी शैली में निर्मित हुआ था - बलबन का मकबरा        U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2004 

  • भारत में शुद्ध इस्लामी शैली में निर्मित प्रथम मकबरा सुल्तान बलबन द्वारा दिल्ली में किला रायपिथौरा के समीप बनवाया गया स्वयं का मकबरा था।

कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता थे - अभिकवि        R.A.S/R.T.S. (Pre) 1999

  • मालवा विजय के उपलक्ष्य में मेवाड़ के राणा कुंभा ने कीर्ति स्तंभ का निर्माण कराया था।
  • कीर्ति स्तंभ का निर्माण जैता ने किया था।
  • जबकि कीर्ति स्तंभ के प्रशस्तिकार अभि और महेश थे।

चित्तौड़ का कीर्ति स्तंभ निर्मित हुआ था शासनकाल में - राणा कुंभा के        U.P.P.C.S. (Mains) 2008 /U.P.P.C.S. (Pre) 2010 /U.P.P.C.S. (Mains) 2011 

  • राणा कुंभा के शासनकाल में चित्तौड़ का कीर्ति स्तंभ निर्मित हुआ था।
  • यह स्तंभ उसकी उपलब्धियों का अद्वितीय स्मारक है।
  • इसका निर्माण राणा कुंभा ने महमूद खिलजी पर विजयश्री प्राप्त कर उसकी स्मृति में कराया था।
  • वह विद्वान के साथ - साथ एक महान संगीतकार एवं कुशल वीणावादक था।
  • उसने संगीतशास्त्र पर अनेक ग्रंथों की रचना की थी।

किताब - उल - हिंद रचना के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था - अलबरुनी        R.A.S/R.T.S. (Pre) 2010        

  • किताब - उल - हिंद की रचना अलबरुनी ने की थी।
  • अरब से आने वाले यात्रियों में अलबरुनी प्रमुख था, इसका वास्तविक नाम अबू रेहान था।
  • उसका भारत पदापर्ण महमूद गजनवी के समय हुआ था।
  • उसकी महत्वपूर्ण कृति तहकीके - हिंद अथवा किताब - उल - हिंद से तत्कालीन भारतीय सामाजिक - सांस्कृतिक व्यवस्था पर विशेष विवरण प्राप्त होता है।

नयी फारसी काव्य - शैली सबक - ए - हिंदी अथवा हिन्दुस्तानी शैली के जन्मदाता थे - अमीर खुसरो        R.A.S/R.T.S. (Pre) 1999

  • नयी फारसी काव्य शैली सबस - ए - हिंदी या हिन्दुस्तानी शैली का जन्मदाता अमीर खुसरो को माना जाता है।
  • वह स्वयं को तूती - ए - हिंद कहता है।
  • उसका कहना था - ना तफ्जें हिंदी अस्त्र आज फारसी कम अर्थात हिंदी का शब्द फारसी से कम नहीं है।

अमीर खुसरो का जन्म हुआ था - एटा में        P.C.S. (Pre) 2011

  • अबुल हसन यामिनुद्दीन खुसरो जिसे प्रायः अमीर खुसरो के नाम से जाना जाता है, का जन्म 1253 ई. (651 हिजरी) में उत्तर प्रदेश के वर्तमान कासगंज (काशीरामनगर) जिले के पटियाली नामक स्थान पर हुआ था।
  • खुसरो ने स्वयं को तूती - ए - हिंद कहा है।
  • वह 8 वर्ष की आयु में ही कविता रचने लगा था।
  • ऐतिहासिक विषय को लेकर उसकी पहली मनसवी किरान - उस - सादेन है।
  • उसकी अन्य रचनाओं में मिफता - उल - फुतूह, खजाइन - उल - फुतूह, आशिका, नूह सिपिहर तथा तुगलकनामा प्रमुख है।
  • तुगलकनामा अमीर खुसरों की अंतिम ऐतिहासिक मसनवी है।

हिन्दीं खड़ी बोली का जनक किसे माना जाता है - अमीर खुसरो        U.P.P.C.S. (Mains) 2012        

  • हिन्दी खड़ी बोली का जनक अमीर खुसरो को माना जाता है।
  • वे नई काव्य शैली सबक - ए - हिन्दी या हिन्दुस्तानी शैली के जन्मदाता थे।

अमीर खुसरो ने किसके विकास में अग्रगामी की भूमिका निभाई - खड़ी बोली        U.P.P.C.S. (Pre) 2008/U.P.P.C.S. (Pre) 2002

  • अबुल हसन यामिनुद्दीन खुसरो, जिसे साधारणतया अमीर खुसरो के नाम से जाना जाता था, का जन्म उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक स्थान पर हुआ था।
  • खुसरो ने विभिन्न भारतीय बोलचाल की भाषाओं को भी सीखा, विशेषतः हिन्दी जिससे वह सर्वाधिक प्रेम करता था।
  • खुसरो पहला मुसलमान था, जिसने भारतीय होने का दावा किया था।
  • वह स्वयं कहता है कि - मैं तुर्की भारतीय और हिन्दी बोलता हूँ। उसने खड़ी बोली के विकास में अग्रगामी भूमिका निभाई थी।

हिंदी और फारसी दोनों भाषाओं का विद्वान था - अमीर खुसरो        U.P.P.C.S. (Pre) 1990

  • अमीर खुसरो हिन्दी एवं फारसी दोनों भाषाओं का विद्वान था।
  • जियाउद्दीन सज्जादी के अनुसार - फारसी भाषा तथा साहित्य के भारत में विकास तथा इसके कारण दो देशों के मध्य निकट संबंध स्थापित होने का उल्लेख तब तक पूरा नहीं होता, जब तक अमीर खुसरो का उल्लेख न हो जो निश्चित रुप से इस अद्भुत घटना का मुख्य पात्र था।
  • अमीर खुसरो स्वयं कहता है - मै तुर्की, भारतीय और हिन्दी बोलता हूँ।

संगीत यंत्र तबला का प्रचलन किया - अमीर खुसरो ने        U.P.P.C.S. (Pre) 2009

  • अमीर खुसरो का पूरा नाम अबुल हसन यामिनुद्दीन खुसरो था।
  • अमीर खुसरो अपने समय का एक महान विद्वान और कवि था।
  • वह ऐसा प्रथम लेखक था जिसने हिन्दी शब्दों एवं मुहावरों का प्रयोग किया।
  • संगीत यंत्रों तबला तथा सितार का प्रचलन 13 वीं शताब्दी में अमीर खुसरो ने ही किया था।

दिल्ली का वह सुल्तान जिसने अपने संस्मरण लिखे, था - फिरोज तुगलक        U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2008

  • तुगलक वंशीय शासक फिरोजशाह तुगलक ने अपना संस्मरण फुतुहात - ए - फिरोजशाही के नाम से लिखा है।
  • इस पुस्तक को लिखने में सुल्तान का मुख्य उद्देश्य यह था कि वह अपने को एक आदर्श मुसलमान शासक सिद्ध करना चाहता था।
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Exam List

दिल्ली सल्तनत – प्रशासन, संस्कृति, साहित्य एवं स्थापत्य - 01
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दिल्ली सल्तनत – प्रशासन, संस्कृति, साहित्य एवं स्थापत्य - 02
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दिल्ली सल्तनत – प्रशासन, संस्कृति, साहित्य एवं स्थापत्य - 03
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01 दिल्ली सल्तन
  • Question 31
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  • Time 40
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02 दिल्ली सल्तन
  • Question 26
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 50
  • language Hin & Eng.
02 मध्यकालीन भारत
  • Question 32
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 30
  • language Hin & Eng.
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