यूरोपीय कंपनियों का आगमन

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आधुनिक भारतीय इतिहास -- यूरोपीय कंपनियों का आगमन

वास्कोडिगामा, कालीकट पर किस वर्ष में आया - 1498 AD        P.C.S (Pre) 2004

  • वास्कोडिगामा भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बंदरगाह कालीकट पर 20 मई, 1498 ई. को पहुँचा।
  • उसने यहां पहुँचकर भारत के नए समुद्री मार्ग की खोज की।
  • कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया।
  • वास्कोडिगामा के भारत आगमन से पुर्तगालियों एवं भारत के मध्य व्यापार के क्षेत्र में एक नए युग का शुभारंभ हुआ।
  • वास्कोडिगामा ने भारत में काली मिर्च के व्यापार से 60 गुना अधिक मुनाफा कमाया, जिससे अन्य पुर्तगाली व्यापारियों को भी प्रोत्साहन मिला।
  • पुर्तगाली व्यापारियों ने भारत में कालीक, गोवा, दमन, दीव और हुगली के बंदरगाहों में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की।
  • 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मीडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया।
  • अल्मीडा के बाद अलफांसो द अल्बुकर्क 1509 ई. में वायसराय बनकर आया।
  • उसने 1510 ई. में बीजापुरी शासक यूसुफ आदिलशाह से गोवा छीनकर अपने अधिकार में कर लिया।
  • गोवा को पुर्तगालियों ने अपनी सत्ता और संस्कृति के महत्वपूर्ण केंन्द्र के रुप में स्थापित किया।


वास्कोडिगामाकैप्टन कुकतस्मानक्रिस्टोफर कोलम्बस
पुर्तगालग्रेट ब्रिटेनहालैंडस्पेन


भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक कौन था - अल्बुकर्क        U.P. Lower Sub. (Pre) 2002

  • भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक अल्बुकर्क (1509 - 15 ई.) था।
  • इसने भारत में प्रादेशिक शक्ति के रुप में पुर्तगाली राज्य की स्थापना की।
  • फरवरी, 1510 में बीजापुर के आदिलशाही सुल्तान से गोवा को जीतना अल्बुकर्क की पहली उपलब्धि थी।
  • गोवा की विजय ने दक्षिण - पश्चिमी समुद्र तट पर पुर्तगाली नौसैनिक प्रभुत्व पर मुहर लगा दी और इसके साथ ही भारत में क्षेत्रीय पुर्तगाली राज्य की स्थापना हुई।
  • अल्बुकर्क ने भारत में पुर्तगालियों की संख्या में वृृद्धि करने एवं उनकी स्थायी बस्तियां बसाने के उद्देश्य से पुर्तगालियों को भारतीय महिलाओं के साथ विवाह करने के लिए प्रोत्साहहित किया।

पुर्तगालियों ने भारत में किस स्थान पर प्रथम  दुर्ग का निर्माण किया था - कोचीन में        U.P.P.C.S. (Mains) 2010

  • पुर्तगालियों के भारत में प्रथम दुर्ग (भारत में प्रथम  यूरोपीय दुर्ग भी) का निर्माण अल्फांसो द अल्बुकर्क (इस समय वह वायसराय नहीं था) द्वारा 1503 ई. में कोचीन में कराया गया था।
  • अञ्जीदीव एवं कन्नानोर में पुर्तगाली दुर्गो का निर्माण फ्रांसिस्को द अल्मीडा द्वारा 1505 ई. में कराया गया था।

मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से व्यापार संबंध स्थापित करने वाले थे - पुर्तगाली        U.P.P.C.S. (pre) 1990/U.P.P.C.S. (Pre) 1993/U.P.P.C.S. (Pre) 2000/U.P.P.C.S. (Mains) 2007/U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2014        

  • मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से व्यापार संबंध स्थापित करने वाले पुर्तगाली थे।
  • प्रथम पुर्तगीज तथा प्रथम यूरोपीय यात्री वास्कोडिगामा कई दिनों की समुद्री यात्रा के बाद अब्दुल मजीद नामक गुजराती पथ - प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. में कालीकट (भारत) के समुद्र तट पर पहुँचा।
  • भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के आगमन का क्रम है - पुर्तगीज, डच, अंग्रेज, डेन, फ्रांसीसी।
  • भारत में पुर्तगाली सबसे पहले 1498 ई. में आए और सबसे अंत में 1961 ई. में वापस गए।

बंगाल की फैक्ट्रियों में से एक जो पुर्तगालियों द्वारा स्थापित की गई, वह थी - हुगली        U.P.P.C.S. (Pre) 2004

  • 1534 में पुर्तगालियों ने बंगाल के शासक गियासुद्दीन महमूदशाह से सतगांव और चटगांव में अपनी फैक्ट्रियां स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली।
  • इसके बाद संपूर्ण बंगाल में अनेक पुर्तगाली बस्तियों की स्थापना की गई।
  • चटगांव, जिसे पुर्तगाली महान बंदरगाह के रुप में अभिहित करते थे, उनके द्वारा प्रयुक्त किया जाता रहा, लेकिन 16 वीं सदी में सतगांव का पतन हो गया और उसका स्थान हुगली ने ले लिया।
  • चिनसुरा में डचों ने गुस्त्रावुस किले का निर्माण कराया था।
  • श्री रामपुर डेनिशों का प्रमुख केंन्द्र था।

हुगली को बंगाल की खाड़ी में समुद्री लूटपाट के लिए किसने अड्डा बनाया था - पुर्तगालियों ने        I.A.S. (Pre) 1995

  • पुर्तगालियों द्वारा हुगली को बंगाल की खाड़ी में समुद्री लूटपाट के लिए अड्डे के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
  • 1632 ई. में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने हुगली में पुर्तगाली बस्तियों को पूरी तरह नष्ट कर दिया और एक हजार से अधिक पुर्तगाली निवासियों को बंदी बना लिया।

कौन कलकत्ता का संस्थापक था - जॉब चारनॉक        U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004        

  • कासिम बाजार की फैक्ट्री के प्रमुख जॉब चारनॉक ने अंग्रेज व्यापार केंन्द्र के लिए हुगली के स्थान पर सुतानूती या सुतनौती (कलकत्ता का स्थल) को चुना और इस तरह 1690 ई. में उसने अंग्रेज बस्ती के रुप में कलकत्ता की स्थापना की।

ब्रिटिश कंपनियों में से किसे भारत में व्यापार करने का पहला अधिकार पत्र प्राप्त हुआ था - लीवेंट कंपनी         U.P.P.C.S. (R.I.) 2014       

  • लीवेंट कंपनी को स्थल मार्ग से 1593 में व्यापार करने का अधिकार पत्र प्राप्त हुआ था।
  • 31 दिसंबर, 1600 को महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने दी गर्वनर एंड कंपनी ऑफ मर्चेट्स ऑफ लंदन ट्रडिंग इन टू दी ईस्ट इंडिज को समुद्र मार्ग से ईस्ट इंडिज के साथ व्यापार करने का पहला अधिकार पत्र प्रदान किया था।
  • 1702 में न्यू कंपनी के साथ मिलकर यह नए नाम यूनाइटेड कंपनी ऑफ मर्चेट्स ऑफ इंग्लैंड ट्रेडिंग टू दी ईस्ट इंडिज (1709) के रुप में अपने व्यापार को बढ़ाया जो सामान्यतः ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

लंदन में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के गठन के समय भारत का कौन बादशाह था - अकबर         U.P.P.C.S. (Pre) 2012/U.P. Lower Sub. (Pre) 2004

  • सितंबर, 1599 ई. में लंदन में कुछ व्यापारियों ने लार्ड मेयर की अध्यक्षता में एक सभा का आयोजन किया।
  • इसमें पूर्वी द्वीपसमूह के साथ व्यापार करने की योजनाएं तैयार की गई।
  • इन व्यापारियों ने पूर्व के देशों के साथ व्यापार करने के आशय से 1599 ई.में एक कंपनी का गठन किया।
  • इसका नाम गर्वनर एंड कंपनी ऑफ मर्चेण्ट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडिज रखा गया।
  • इस दौरान भारत का बादशाह अकबर (1556 - 1605) था।

किस मुगल सम्राट के काल में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में सर्वप्रथम कारखाना स्थापित किया - जहांगीर        I.A.S. (Pre) 2008/I.A.S. (Pre) 2009

  • जहांगीर के शासनकाल में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सर्वप्रथम 1611 में मसूलीपट्टनम अथवा मछलीपट्टनम में एक अस्थायी कारखाना स्थापित किया था।
  • वर्ष 1613 में सूरत में स्थापित कारखाना अंग्रेजों का प्रथम स्थायी कारखाना था।

भारत में 1613 ई. में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री कहां स्थापित की थी - सूरत        B.P.S.C. (Pre) 1994

  • कैप्टन विलियम हॉकिन्स सूरत से मुगल दरबार 1608 ई. में पहुँचा, लेकिन सूरत में फैक्ट्री की स्थापना की अनुमति पाने में सफल नहीं हो सका।
  • 1611 में पुर्तगालियों के विरोध के बावजूद कैप्टन मिडल्टन सूरत के समीप स्वाल्ली पहुँचा और मुगल गर्वनर से वहां व्यापार करने की अनुमति पाने में सफल हो गया।
  • कैप्टन बेस्ट द्वारा सूरत के बंदरगाह की विजय ने पुर्तगाली एकाधिकार की निरंतरता को भंग किया और फिर अंग्रेजों ने सूरत में 1613 में स्थायी रुप से एक फैक्ट्री स्थापित की।
  • यहां से अंग्रेजों ने अपने व्यापार को देश के दूसरे भागों मे फैलाया तथा शीघ्र ही अहमदाबाद, बुरहानपुर, अजमेर और आगरा में सहयोगी फैक्ट्रीयां स्थापित की।

किसे भारत में फ्रांसीसी कंपनी का संस्थापक माना जाता है - कॉल्बर्ट         U.P.P.C.S. (Mains) 2003

  • कॉल्बर्ट के अनुरोध पर 1664 में कंपनी देस इंदेस ओरियंटलेस की स्थापना हुई।
  • उसे ही भारत में फ्रांसीसी कंपनी का संस्थापक माना जाता है।

यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों में से किसने सूरत में सर्वप्रथम अपना कारखाना स्थापित किया - अंग्रेजो ने         U.P.P.C.S. (Mains) 2011        

  • यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों में से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सर्वप्रथम सूरत में फैक्ट्री स्थापित की थी।
  • 1613 ई. में जहांगीर ने अंग्रेजों को सूरत में स्थायी कारखाना स्थापित करने की अनुमति दी थी।
  • सूरत में डचों द्वारा फैक्ट्री 1616 ई. में जब कि फ्रासीसियों द्वारा 1668 ई. में स्थापित की गई थी।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई किससे लिया था - पुर्तगालियों से         P.C.S. (Pre) 2010

  • 1661 ई. में इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन से होने पर चार्ल्स को बंबई उपहार के रुप में प्राप्त हुआ था जिसे उन्होंने 1668 ई. में 10 पौंड वार्षिक किराए पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया था।

ईस्ट इंडिया कंपनी के किस अंग्रेज गर्वनर को औरंगजेब द्वारा भारत से निष्कासित किया गया - सर जॉन चाइल्ड         M.P.P.C.S. (Pre) 2008

  • बंबई के अंग्रेज गर्वनर जॉन चाइल्ड ने 1668 में बंबई और पश्चिमी समुद्री तट के मुगल बंदरगाहों का घेरा डाला तथा मक्का जाने वाले हज यात्रियों को बंदी बनाने का प्रयास किया।
  • उसके बाद उसे औरंगजेब ने भारत से निष्कासित करने का आदेश दिया था।
  • मुगल शासक औरंगजेब के सामने उसे विवश होना पड़ा और अंततः उसे माफी मांगनी पड़ी।

यूरोपियों में से कौन - सा एक स्वतंत्रता - पूर्व भारत में व्यापारी के रुप में सबसे अंत में आए - फ्रांसिसी        I.A.S. (Pre) 2007

  • सोलहवीं - सत्रहवीं शताब्दी में यूरोप के अनेक राष्ट्रों के व्यापारी समय - समय पर व्यापार के उद्देश्य से भारत में आए।
  • इन यूरोपियों में सबसे पहले 1498 ई. में पुर्तगाली, 1605 ई. में डच, 1608 ई. में अंग्रेज तथा 1664 ई. में फ्रांसीसियों का आगमन हुआ।
  • इस प्रकार भारत आने वाले व्यापारियों में सबसे अंत में फ्रासीसियों का आगमन हुआ।
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Exam List

यूरोपीय कंपनियों का आगमन - 01
  • Question 20
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  • language Hin & Eng.
यूरोपीय कंपनियों का आगमन - 02
  • Question 20
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  • language Hin & Eng.
यूरोपीय कंपनियों का आगमन - 03
  • Question 20
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  • Time 20
  • language Hin & Eng.
यूरोपीय कंपनियों का आगमन - 04
  • Question 20
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  • Time 20
  • language Hin & Eng.
यूरोपीय कंपनियों का आगमन - 05
  • Question 20
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  • Time 20
  • language Hin & Eng.
यूरोपीय कंपनियों का आगमन
  • Question 34
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 35
  • language Hin & Eng.
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