जहाँगीर और शाहजहाँ
ईस्ट इंडिया कंपनी ने जहाँगीर के दरबार में पहले किसे भेजा था - विलियम हॉकिंस U.P.P.C.S. (Pre) 1993
- विलियम हॉकिंस (1608 - 1611 ई.) जहाँगीर के दरबार में भेजा जाने वाला ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम का अंग्रेज राजदूत तथा मुगल दरबार में उपस्थित होने वाला पहला अंग्रेज था।
- यह शाही दरबार में तीन वर्ष तक रहा।
- सम्राट जहाँगीर ने उसे 400 का मनसब प्रदान किया।
- जहाँगीर के दरबार में आने वाले दूसरे शिष्टमंडल का नेतृत्वकर्ता सर थॉमस रो थे।
मुगल सम्राट जहाँगीर ने किसे इंग्लिश खान की उपाधि दी थी - विलियम हॉकिंस U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015
- 1608 ई. में हॉकिंस को अंग्रेज कंपनी के लिए व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने हेतु मुगल सम्राट जहाँगीर के पास राजदूत बनाकर भेजा गया।
- सम्राट जहाँगीर हॉकिंस से काफी प्रसन्न हुआ।
- उसने हॉकिंस को इंग्लिश खान की उपाधि देकर आर्मीनिया की एक स्त्री से उसका विवाह कर दिया।
ब्रिटिश राजदूत के रुप में सर थॉमस रो भारत आया था शासनकाल में - जहाँगीर U.P.P.C.S. (Mains) 2008
- ब्रिटिश राजदूत के रुप में सर थॉमस रो जहाँगीर के शासनकाल में आया था।
- इंग्लैंड के सम्राट जेम्स प्रथम के दो प्रतिनिधियों कैप्टन हॉकिंस (1608 - 11) तथा सर थॉमस रो (1615 - 19) ने जहाँगीर के शासन का सुस्पष्ट चित्रण किया है।
- इन दोनों को भारत के साथ अंग्रेजों के व्यापार के लिए अनुकूल रियासतें प्राप्त करने के लिए मुगल दरबार में भेजा गया था।
इंग्लैंड के जेम्स प्रथम के राजदूत सर थॉमस रो किस वर्ष भारत आए थे - 1615 R.A.S./R.T.S. (Pre) 1997
- सर थॉमस रो (1615 - 1619) ब्रिटेन के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रुप में 18 सितंबर, 1615 को सूरत पहुँचा।
- जनवरी, 1616 में वह अजमेर में जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ।
- उसे बादशाह के साथ मांडू, अहमदाबाद तथा अजमेर जैसे अनेक स्थानों पर जाने का अवसर मिला।
- वह बादशाह के साथ शिकार खेलने भी गया।
- वह आगरा में एक वर्ष तक रहा था।
जहाँगीर ने थॉमस रो को कहां मिलने का अवसर दिया था - अजमेर U.P.P.C.S. (Mains) 2007
- थॉमस रो जनवरी, 1616 में अजमेर में जहाँगीर से पहली बार मिला।
- वह भारत में 1615 से 1619 तक रहा।
- 1619 में वह जहांगीर का फरमान लेकर इंग्लैंड लौटा कि मुगल दरबार में अंग्रेजों का इसी प्रकार स्वागत होता रहेगा।
एक डच पर्यटक, जिसने जहाँगीर के शासनकाल का मूल्यवान विवरण दिया है, वह था - फ्रांसिस्को पेलसर्ट U.P.U.D.A./L.D.A.(Mains) 2010
- फ्रांसिस्को पेलसर्ट डच पर्यटक था जो जहाँगीर के समय भारत आया, इसने पुस्तक रिमान्स्ट्री में जहाँगीर के समय का अद्भुत विवरण छोड़ा है।
गोविंद महल, जो हिंदू वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है, स्थित है - दतिया में U.P.P.C.S. (Pre) 2005
- गोविंद महल मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित 17 मंजिला महल है।
- इसका निर्माण 1614 ई. में राजा वीरसिंह देव द्वारा पत्थरों से करवाया गया था।
- यह बुंदेल काल के उत्तम वास्तुशिल्प का उदाहरण है।
- गोविंद महल में दीवारों पर की गई पेंटिग एवं अन्य वास्तुशिल्प पर्यटकों को आकर्षित करते है।
मुगल चित्रकला किसके राज्यकाल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची - जहाँगीर I.A.S. (Pre) 1996
- मुगल चित्रकला जहाँगीर के शासनकाल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गई।
- पहले चित्रकारी हस्तलिखित ग्रंथ की विषयवस्तु से संबद्ध होती थी।
- जहाँगीर ने उसे इस बंधन से मुक्त कर दिया।
- फारुख बेग, दौलत, मनोहर, मंसूर, अबुल हसन आदि उसके काल के ऐसे चित्रकार के इतिहास कलात्मक प्रतिभा की बदौलत मुगल चित्रकला के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवा लिया।
- जहाँगीर के समय के सर्वोत्कृष्ट चित्रकार उस्ताद मंसूर और अबुल हसन थे।
- सम्राट जहाँगीर ने उन दोनों को क्रमशः नादिर - उल - अस्त्र (उस्ताद मंसूर) तथा नादिर - उद् - जमा (अबुल हसन) की उपाधि प्रदान की थी।
- उस्ताद मंसूर प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ चित्रकार था जब कि अबुल हसन को व्यक्ति चित्र में महारत हासिल थी।
मुमताज महल का असली नाम था - अर्जुमंद बानो बेगम P.C.S. (Pre) 2003
- आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम का विवाह मुगल बादशाह जहाँगीर के पुत्र शहजादे खुर्रम (शाहजहाँ) के साथ हुआ।
- भविष्य में अर्जुमंद बानो बेगम मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई।
हिंदू तथा ईरानी वास्तुकला का सर्वप्रथम समन्वय हमें देखने को मिलता है - ताजमहल R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992
- ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने भारत, ईरान एवं मध्य एशिया से डिजाइनरों, इंजीनियरों एवं वास्तुकारों को एकत्र किया था।
- ताजमहल की वास्तुकला में भारतीय, ईरानी एवं मध्य एशियाई वास्तुकला का संतुलित समन्वय दिखायी पड़ता है।
किस मुगल बादशाह ने दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण करवाया - शाहजहाँ U.P. Lower Sub.(Pre) 2004
- दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था।
- मुगल सम्राटों में शाहजहाँ सबसे महान भवन निर्माणकर्ता था।
- उसके काल में चित्रकार और स्वर्णकार की कला का कलात्मक संयोग हुआ।
- जामा मस्जिद दिल्ली के लाल किले के बाहर ऊँचे चबूतरे पर स्थित है।
- इसके तीन प्रवेश द्वार है जिनमें पूर्वी प्रवेश द्वार से बादशाह नमाज पढ़ने आया करता था तथा अन्य दो प्रवेश द्वारों (उत्तरी तथा दक्षिणी) से सामान्य प्रजा आया करती थी।
- शाहजहाँ द्वारा निर्मित इमारतों में - दीवाने - आम, दीवाने - खास, शीश महल, मोती मस्जिद, खास महल, मुसम्मन बुर्ज, नगीना मस्जिद, जामा मस्जिद, ताजमहल, लाल किला प्रमुख है।
हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम था - दारा शिकोह U.P.P.C.S. (Mains) 2003
- हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम दारा शिकोह था।
- शाहजहाँ के चारों पुत्रों में ज्येष्ठ दारा शिकोह सर्वाधिक सुशिक्षित, अध्येता तथा लेखक था।
- उसने अनेक हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन किया एवं उपनिषदों, योग वशिष्ठ, भगवदगीता आदि हिंदू धर्म ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया।
किसने साम्राज्य की राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की - शाहजहाँ ने U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2008
- 5 फरवरी, 1592 को लाहौर में शाहजहाँ खुर्रम का जन्म हुआ था।
- उसकी माता मारवाड़ के शासक उदयसिंह की पुत्री जगतगोसाई थी।
- 1612 ई. में आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम से उसका विवाह हुआ जो बाद में इतिहास में मुमताज महल के नाम से विख्यात हुई।
- 24 फरवरी, 1628 को शाहजहाँ अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन - ए - सानी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा।
- आगरा में उसका राज्यभिषेक हुआ।
- इसी ने राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की।
उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किस मुगल सम्राट के शासनकाल में हुआ - शाहजहाँ U.P.P.C.S. (Pre) 1992/ U.P.P.C.S. (Mains) 2006/ U.P.P.C.S. (Pre) 2009
- उपनिषदों का फारसी अनुवाद शाहजहाँ के शासनकाल में शहजादे दारा शिकोह ने सिर्र - ए - अकबर शीर्षक के तहत किया।
- इसमें 52 उपनिषदों का अनुवाद किया गया है।
- दारा को उसकी सहिष्णुता एवं उदारता के लिए लेनपूल ने लघु अकबर की संज्ञा दी है।
- यहीं नहीं शाहजहाँ ने भी दारा को शाह बुलंद इकबाल की उपाधि प्रदान की थी। मज्म - उल - बहरीन दाराकी मूल रचना है।
दिल्ली के लाल किले का निर्माण करवाया था - शाहजहाँ B.P.S.C. (Pre) 1997
- अकबार के फतेहपुर सीकरी की भांति शाहजहाँ ने दिल्ली में अपने नाम पर शाहजहांनाबाद नामक एक नगर की स्थापना 1648 ई. में की तथा वहाँ अनेक सुंदर एवं वैभवपूर्ण भवनों में लाल किला प्रमुख है।
- यह चतुर्भुज आकार का किला लाल बलुआं पत्थर से निर्मित होने के कारण लाल किले के नाम से प्रसिद्ध है।
- इसका निर्माण कार्य 1648 ई. में पूर्ण हुआ।
- इस किले के पश्चिमी द्वार का नाम - लाहौरी दरवाजा एवं दक्षिणी द्वार का नाम दिल्ली दरवाजा है।
- यह सुंदरता तथा शोभा में अनोखा है।
सुप्रसिद्ध कोहिनूर हीरा शाहजहाँ को किसने उपहार में दिया था - मीर जुमला U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- मीर जुमला का वास्तविक नाम मोहम्मद सईद था।
- यह मूल रुप से आर्दिस्तान का रहने वाला था।
- वह व्यापार - व्यवसाय करने के उद्देश्य से गोलकुंडा चला आया और प्रारंभ में यह हीरे का व्यापार करता था।
- बाद में वह गोलकुंडा के सुल्तान अब्दुल्ला कुतुबशाह (1626 - 1672) की सेवा में जाकर वजीर का पद प्राप्त किया।
- बादशाह शाहजहाँ ने मीर जमुला को पाँच हजार का मनसब तथा उसके पुत्र मोहम्मद अमीन को दो हजार का मनसब प्रदान किया।
- इससे खिन्न होकर गोलकुंडा के सुल्तान अब्दुला कुतुबशाह ने मीर जमुला के परिवार तथा संपत्ति को जब्त कर लिया इससे क्रोधित होकर शाहजहाँ ने औरंगजेब को गोलकुंडा से युद्ध करने के लिए भेजा पर दोनों में संधि हो गई।
- यहां मीर जमुला भी औरंगजेब से आ मिला।
- शाहजहाँ ने मीर जमुला को आगरा वापस बुलाया और उसे मुअज्जम खां की पदवी से सम्मानित किया।
- इस अवसर पर मीर जमुला अपने साथ बादशाह के लिए अमूल्य भेंट लेकर आया।
- इसी अवसर पर उसने शाहजहाँ को कोहिनूर हीरे की भेंट दी जो मूल्य तथा सौंदर्य में संसार में अद्वितीय समझा जाता है।
किस इतिहासकार ने शाहजहाँ के शासनकाल को मुगलकाल का स्वर्ण युग कहा है - ए.एल. श्रीवास्तव B.P.S.C. (Pre) 1996
- डॉ.ए.एल. श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक मुगलकालीन भारत में लिखा है कि शाहजहाँ का शासनकाल भारत के मध्ययुगीन इतिहास में स्वर्ण युग के नाम से प्रसिद्ध है।
- आर.एस. शर्मा ने शाहजहाँ के काल को स्पष्ट रुप से मुगल काल का स्वर्णकाल माना है।
किस मुगल बादशाह ने बलबन द्वारा प्रारंभ किया गया दरबारी रिवाज सिजदा समाप्त कर दिया था - शाहजहाँ U.P.P.C.S. (Mains) 2010/U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010
- मुगल बादशाह शाहजहाँ ने बलबन द्वारा प्रारंभ ईरानी दरबारी रिवाज सिजदा समाप्त कर दिया था।
- 1636 - 37 में सिजदा प्रथा का अंत कर दिया गया।
- जमीनबोस की प्रथा भी खत्म कर दी गई और पगड़ी में बादशाह की तस्वीर पहनने की मनाही कर दी गई।
- ये बातें शाहजहाँ के धार्मिक दृष्टिकोण के उदाहरण के रुप में प्रस्तुत की जाती है।
- सिजदा षाष्टांग दंडवत प्रणाम जैसा होता था जो इस्लामी परंपराओं के अनुसार केवल खुदा के लिए ही किया जा सकता था।
- इन बातों के स्थान पर चहार तस्लीम की प्रथा लागू की गई, किंतु मनूची बताता है कि बाद में चहार तस्लीम और सिजदा में भेद कर पाना कठिन हो गया।
कौन शाहजहाँ के शासनकाल में अधिकांश समय तक दक्कन का गर्वनर रहा था - औरंगजेब U.P. Lower Sub. (Pre) 2009
- शाहजहाँ के शासनकाल में औरंगजेब पहले 1636 - 44 तक दक्कन का गर्वनर रहा था तथा 1652 में उसे पुनः इस पद पर नियुक्त किया गया था जिस पर वह उत्तराधिकार के युद्ध में विजय और मुगल बादशाह बनने तक रहा।
बनारस एवं इलाहाबाद तीर्थयात्रा कर की समाप्ति के लिए किसने मुगल बादशाह के सामने बनारस के पंडितों का नेतृत्व किया था - कवींद्राचार्य U.P.P.C.S. (Pre) 2000
- कवींद्राचार्य शाहजहाँ के आश्रित कवि थे, इनकी भाषा में ब्रज एवं अवधी का अनुपम समन्वय है।
- कवींद्र कल्पलता उन्होंने शाहजहाँ की प्रशस्ति में प्रणीत की थी।
- सरस्वती उपाधि धारक यह विद्वान संस्कृत का मर्माज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर तीर्थयात्रा कर समाप्त करवा दिया था, जिसके निमित्त अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए नैयायिक महामहोपाध्याय विश्वनाथ न्याय पंचानन सहित एक सौ एक विद्वानों ने इसे संग्रह समर्पित किया था।
ईरान के शाह और मुगल शासकों के बीच झगड़े की जड़ क्या थी - कंधार B.P.S.C. (Pre) 1994
- कंधार राज्य ईरान के शाह और मुगलों के बीच संघर्ष की जड़ था क्योंकि कंधार को अपने हाथों में रखना मुगल शासक तथा ईरान के शाह के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था।
- दोनों शासकों की साम्राज्यवादी योजनाओं को कार्यान्वित किया जाना बहुत कुछ कंधार को अपने हाथों में रखने पर ही निर्भर करता था।
शाहजहाँ
पत्नी –
कन्दाहरी बेगम
|
अकबराबादी महल
|
मुमताज महल
|
हसीना बेगम
|
मुति बेगम
|
कुदसियाँ बेगम
|
फतेहपुरी महल
|
सरहिंदी बेगम
|
श्री मती मनभाविथी
|
बच्चे –
पुरहुनार बेगम
|
जहांआरा बेगम
|
दारा शिकोह
|
शाह शुजा
|
रोशनारा बेगम
|
औरंगजेब
|
मुराद बख्श
|
गौहरा बेगम
|
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