मौर्योत्तर काल

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मौर्योत्तर काल

हिंद - यवन शासको में से किसने सीसे के सिक्के जारी किए थे - स्ट्रैटो द्वितीय        U.P.P.S.C (R.I.) 2014

  • स्ट्रैटो द्वितीय ने सीसे के सिक्के जारी किए थे।
  • हिंद यवन शासकों का शासन 25 ई.पू. से 10 ईस्वी तक माना जता है।

काव्य शैली का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है - कठियावाड़ के रुद्रदामन        U.P.P.S.C (Pre) 1997       

  • रुद्रदामन (130-150) ई. का जूनागढ़ अभिलेख गुजरात जिले में गिरनार पर्वत पर प्राप्त हुआ।
  • बाह्मी लिपि में उत्कीर्ण संस्कृत भाषा का यह अभिलेख अब तक प्राप्त संस्कृत अभिलेखों में सर्वाधिक प्राचीन है।
  • इस अभिलेख में संस्कृत काव्य शैली का प्राचीनतम नमूना प्राप्त होता है।

बुद्ध का किसके सिक्कों पर अंकन हुआ है - कनिष्क        U.P.P.S.C. (Pre) 2010

  • कुषाण शासक कनिष्क के सिक्कों पर बुद्ध का अंकन मिलता है।

बिना बेगार के किसने सुदर्शन झील का जीर्णोद्वार कराया - रुद्रदामन प्रथम        U.P.P.S.C. (Mains) 2000

  • शक वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक रुद्रदामन प्रथम था।
  • जिसने गुजरात, मालवा, कच्छ, सिंध तथा कोंकण पर शासन दिया।
  • जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि 170 ई. में रुद्रदामन ने गिरनार के निकट सुदर्शन झील की मरम्मत बिना बेगार लिए ही करवाई थी जो कि मौर्य वंश के शासक चंद्रगुप्त मौर्य के आदेश पर बनवाई गई थी।
  • अशोक ने इसी सुदर्शन झील से नहरें निकाली थी।

प्राचीन भारत में किसने नियमित रुप से सोने के सिक्के चलवाए - कुषाणों ने        U.P. Lower Sub. (Pre) 2004

  • उत्तर - पश्चिम भारत में स्वर्ण सिक्को का प्रचलन इंडो - ग्रीक (हिंद-यवन) राजाओं ने करवाया था।
  • जब कि इन्हें नियमित एवं पूर्णरुप से प्रचलित करवाने का श्रेय कुषाण शासकों को जाता है।
  • कुषाण शासको ने स्वर्ण एवं ताम्र दोनों ही प्रकार के सिक्कों को व्यापक पैमाने पर प्रचलित किया था।

किस शासक को सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय जाता है - विम कडफिसेस        U.P.P.S.C (Mains) 2009

  • भारत में स्वर्ण सिक्कों को सर्वप्रथम हिंद - यवन शासकों ने प्रचलित कराया था।
  • और कुषाण शासकों में विम कडफिसेस ने सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी किए थे।
  • भारतीय इतिहास में सबसे शुद्ध सोने के सिक्के विम कडफिसेस ने चलवाए।

कुजुल कडफिसेस ने किस धातु के सिक्के जारी किए - तांबे केतांबे के        U.P.P.S.C (Pre) 2014

  • कुषाण वंश की स्थापना कुजुल कडफिसेस ने की है।
  • लेकिन अगर हम कुषाण वंश के वास्तविक संस्थापक की बात करे तो - विम कडफिसेस को माना जाता है।
  • यह चीनी तुर्की यू-ची कबीला था।
  • यू-ची कबीला ने सर्वप्रथम प्याला (मास्क) का प्रयोग किया।

यौधेय सिक्कों पर किस देवता का अंकन मिलता है - कार्तिकेय          U.P. Lower Sub. (Pre) 2002        

  • यौधेय का प्रमाण पुराण, अष्टाध्यायी तथा वृहत्संहिता इत्यादि ग्रंथो से प्राप्त होता है।
  • इनका साम्राज्य दक्षिण - पूर्वी पंजाब तथा राजस्थान के बीच था।
  • इनके सिक्कों पर कार्तिकेय अंकन मिलता है।

कनिष्क के सारनाथ बौद्ध प्रतिमा अभिलेख की तिथि क्या है - 81 ई. सन          U.P.P.S.C (Pre) 2014

  • कनिष्क के सारनाथ बौद्ध अभिलेख की तिथि 81 ई. सन् है।
  • यह प्रतिमा मथुरा से लाकर कनिष्क के राज्यारोहण (78 ई. सन्) के तीसरे वर्ष सारनाथ में स्थापित की गई थी।

कुषाण शासक कनिष्क का राज्यभिषेक किस सन् में हुआ - 78 AD        U.P.P.S.C (Pre) 1991

अश्वघोष किसके समकालीन था - कनिष्क के        U.P.P.S.C (Mains) 2014/P.C.s. (Pre) 2010 

  • अश्वघोष कनिष्क के राजकवि थे।
  • सौदंरानंद, बुद्धचरित तथा सारिपुत्रप्रकरण उनकी प्रमुख रचनाएँ है।
  • वसुमित्र भी कनिष्क के आश्रित विद्वान थे।
  • इन्होंने चतुर्थ बौद्ध संगीति की अध्यक्षता भी की थी। और उपाध्यक्ष अश्वघोष रहते है।

मौर्यो के बाद दक्षिण भारत में सबसे प्रभावशाली राज्य था - सातवाहन        U.P.P.S.C (Pre) 1993

  • मौर्यो के बाद दक्षिण भारत में सबसे प्रभावशाली राज्य सातवाहनों का था।
  • पुराणों में इस वंश के संस्थापक का नाम सिंधुक, सिमुक या शिप्रक दिया गया है, जिसने कण्व वंश के राजा सुशर्मा का वध करके अपना शासन स्थापित किया था।
  • इसी वंश ने सीसे के सिक्के सर्वप्रथम चलवाये थे।

किस वंश के साम्राज्य की सीमाएँ भारत के बाहर तक फैली थी - कुषाण वंश        U.P.P.S.C (Pre) 2000

  • कुषाण वंश के साम्राज्य की सीमाएँ भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर तक फैली थी।
  • कुषाण वंश का महान शासक कनिष्क था।
  • जिसकी सीमाएँ--- उत्तर - चीन के तुरफान तक, पूरब - उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक, दक्षिण - कश्मीर से विंध्य पर्वत तक, पश्चिम - अफगानिस्तान

अफगानिस्तान का बामियान प्रसिद्ध था - बुद्ध प्रतिमा के लिए        U.P.P.S.C (Spl) (Mains)2008

  • अफगानिस्तान का बामियान पहाड़ियों को काटकर बनवाई गई बुद्ध प्रतिमाओं के लिए प्रसिद्ध था लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने इन बुद्ध प्रतिमाओं को नष्ट करवा दिया।

बाल विवाह की प्रथा आरंभ हुई - कुषाणकाल में        R.A.S./R.T.S. (Pre) (Re-exam.) 2008

  • कुषाणकाल में बाल विवाह की प्रथा प्रारंभ हुई थी।
  • स्त्रियों में उपनयन की समाप्ति तथा बाल विवाह के प्रचलन ने उसे समाज में अत्यंत निम्न स्थिति में ला दिया।
  • इस युग में विवाह की आयु और कम करके आठ से लेकर दस वर्ष की आयु की कन्या को विवाह के लिए उपयुक्त माना गया।

आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची किस पुराण में मिलती है - मत्स्य पुराण        U.D.A./L.D.A. (Mains) 2006

  • पुराणों में कुल 30 सातवाहन राजाओं के नाम मिलते है जिनमें से सबसे लंबी सूची मत्स्य पुराण में 19 राजाओं की मिलती है -
  • (1) पूर्णोत्संग    (2) स्कंधस्तंभि    (3) शातकर्णि द्वितीय    (4) लंबोदर    (5) अपीलक    (6) मेघ स्वाति    (7) स्वाति    (8) स्कंध स्वाति    (9) मृगेंदु    (10) कुतंलस्वाति    (11) स्वातिकर्ण    (12) पुलुमावि प्रथम    (13) गौर कृष्ण    (14) हाल    (15) मंदूलक    (16) पुरींद्रसेन    (17) सुंदर स्वातिकीर्ति    (18) चकोर स्वातिकीर्ति    (19) शिव स्वाति

सातवाहनो की राजधानी अवस्थित थी - अमरावती में        U.P.P.S.C (Mains) 2005

  • सातवाहनों की आरंभिक राजधानी अमरावती मानी जाती है।
  • इस वंश की स्थापना सिमुक नामक व्यक्ति ने लगभग 60 ई.पू. में कण्व वंशीय शासक सुशर्मा की हत्या करके की थी।
  • इसके शासन के बारे में हमें नागनिका के नानाघाट अभिलेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
  • सातवाहनों की वास्तविक राजधानी प्रतिष्ठान या पैठन में अवस्थित थी।

शासकों में किसके लिए एका ब्राह्मण प्रयुक्त हुआ है - गौतमीपुत्र शातकर्णि        U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016

  • सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णि को नासिक अभिलेख में एका ब्राह्मण कहा गया है।
  • जिसका तात्पर्य है - अद्वितीय ब्राह्मण अथवा ब्राह्मणों का एकमात्र रक्षक।

राजा खारवेल का नाम किससे जुड़ा है - हाथी गुम्फा लेख के साथ        B.P.S.C.(Pre) 1999

  • कलिंग का चेदिवंशीय शासक खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक था।
  • उड़ीसा प्रांत के भुवनेश्वर से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाड़ी की हाथीगुम्फा से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है।
  • इसमें खारवेल के बचपन, शिक्षा, राज्यभिषेक तथा राजा होने के बाद से तेरह वर्षो तक के शासनकाल की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण दिया हुआ है।
  • यह अभिलेख खारवेल का इतिहास जानने का एकमात्र स्त्रोत है।
  • इसका जैन धर्म के प्रति झुकाव था।
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Exam List

मौर्योत्तर काल - 01
  • Question 20
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 20
  • language Hin & Eng.
मौर्योत्तर काल - 02
  • Question 20
  • Min. marks(Percent) 50
  • Time 20
  • language Hin & Eng.
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