ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं पहले भाव शब्द बिना उपसर्ग के उसका मतलब था भावनालेकिन जब उपसर्ग लगाया गया तो उसका मतलब हो गया कमी। उपसर्ग लगने के बाद उसका मतलब बदल गया है।
उपसर्ग के मुख्यतः पांच भेद होते हैं :
संस्कृत के कुल 21 उपसर्ग होते हैं। ये नीचे दिए गए हैं:
1. अति उपसर्ग : अति का अर्थ होता है ज़्यादा या अधिक।
उदाहरण : अतीन्द्रिय , अत्युक्ति , अत्युत्तम , अत्यावश्यक , अतीव , अतिकाल , अतिरेक, अत्यधिक, अत्यल्प, अतिक्रमण, अतिवृष्टि, अतिशीघ्र, अत्याचार आदि।
2. अनु उपसर्ग : अनु का अर्थ होता है बाद में या क्रम में।
उदाहरण : अनुरूप , अनुपात , अनुचर , अनुकरण , अनुसार , अनुशासन, अनुक्रमांक , अनुकंपा , अनुज,अनुशंसा , अन्वय , अन्वीक्षण , अन्वेषण , अनुच्छेद , अनूदित, अनुवाद , अनुस्वार , अनुशीलन , अनुकूल , अनुक्रम , अनुभव आदि।
3. अ उपसर्ग : अ का अर्थ होता है अभाव , अन , निषेध , नहीं , विपरीत।
उदाहरण : अथाह , अनाचार , अलौकिक , अस्वीकार , अन्याय , अशोक , अहिंसा , अवगुण , अर्जित, अधर , अपलक , अटल , अमर , अचल , अनाथ , अविश्वास , अधर्म, अचेतन , अज्ञान , अलग , अनजान , अनमोल , अनेक , अनिष्ट , आदि।
4. अप उपसर्ग : अप का अर्थ होता है बुरा , अभाव , विपरीत , हीनता या छोटा।
उदाहरण : अपव्यय , अपवाद , अपकर्ष , अपहरण , अपप्रयोग , अपशकुन , अपेक्षा, अपयश , अपमान , अपशब्द , अपराध , अपकार , अपकीर्ति , अपभ्रश आदि।
5. अभि उपसर्ग : अभि का अर्थ होता है सामने , पास , ओर , इच्छा प्रकट करना , चारों ओर।
उदाहरण: अभिनन्दन , अभिलाप , अभीमुख , अभ्युत्थान ,अभियान , अभिसार , अभ्यागत , अभ्यास , अभिशाप ,अभिज्ञान , अभ्यास , अभ्युदय , अभिमान , अभिषेक ,अभिनय , अभिनव , अभिवादन , अभिभाषण , अभियोग , अभिभूत , अभिभावक , अभ्यर्थी , अभीष्ट , अभ्यंतर आदि।
6. उप उपसर्ग : उप का अर्थ होता है निकट , छोटा , सहायक , सद्र्श , गौण , हीनता।
उदाहरण : उपाध्यक्ष ,उपकूल , उपनिवेश , उपस्थिति , उपासना , उपदिशा , उपवेद , उपनेत्र , उपरांत , उपसंहार , उपकरण , उपकार, उपकार , उपग्रह , उपमंत्री , उपहार , उपदेश , उपवन , उपनाम , उपचार , उपसर्ग , उपयोग , उपभोग , उपभेद , उपयुक्त , उपेक्षा , उपाधि आदि।
7. अधि उपसर्ग : अधि का अर्थ होता है श्रेष्ठ , प्रधान , ऊपर , सामीप्य।
उदाहरण : अधिराज , अध्यात्म , अध्यक्ष , अधिनियम , अधिमास , अधिकृत , अधिक्षण , अध्यादेश , अधीन , अधीक्षक, अधिकार , अधिसूचना , अधिपति , अधिकरण , अधिनायक , अधिमान , अधिपाठक , अधिग्रहण , अधिवक्ता , आधिक्य , अध्धयन , अध्यापन आदि।
8. आ उपसर्ग : आ का अर्थ होता है ओर , सीमा , तक , से , समेत।
उदाहरण : आकाश , आरम्भ , आमुख , आरोहण , आजन्म , आयात, आगमन , आजीवन , आमरण , आचरण ,आलेख , आहार , आकर्षण , आकर , आकार , आभार , आशंका , आवेश , आरक्त , आदान , आक्रमण , आकलन आदि।
9. प्रति उपसर्ग : प्रति का अर्थ होता है विरुद्ध , प्रत्येक , सामने , बराबरी , उल्टा , हर एक।
उदाहरण: प्रतिवर्ष , प्रत्यपर्ण , प्रतिद्वंदी , प्रतिशोध , प्रतिरोधक , प्रतिघात , प्रतिध्वनी, प्रत्याशा , प्रतिकूल , प्रतिकार , प्रतिष्ठा , प्रत्येक , प्रतिहिंसा , प्रतिरूप , प्रतिध्वनी , प्रतिनिधि , प्रतीक्षा , प्रत्युत्तर , प्रतीत , प्रतिक्षण , प्रतिदान , प्रत्यक्ष आदि।
10. उत उपसर्ग : उत का अर्थ होता है श्रेष्ठ , ऊपर , ऊँचा।
उदाहरण: उन्नति , उदघाटन , उत्तम , उत्पन्न , उत्पत्ति , उत्पीडन , उत्कंडा, उत्तम , उत्कृष्ट , उदय , उद्गम , उत्कर्ष , उत्पल , उल्लेख , उत्साह , उत्पात , उतीर्ण , उभ्दिज्ज, उल्लास , उज्ज्वल , उत्थान आदि।
11. प्र उपसर्ग : प्र का अर्थ होता है आगे , अधिक , ऊपर , यश।
उदाहरण: र्थी , प्रक्रिया , प्रवाह , प्रख्यात , प्रकाश , प्रकट , प्रगति , प्रपंच , प्रलाप , प्रभुता , प्रपिता , प्रकोप , प्रभु , प्रयास, प्रकृति , प्रमुख ,प्रदान , प्रचार , प्रसार , प्रहार , प्रयत्न , प्रभंजन , प्रपौत्र , प्रारम्भ , प्रोज्जवल , प्रेत , प्राचार्य , प्रयोजक, प्रमाण , प्रयोग , प्रताप , प्रबल आदि।
12. वि उपसर्ग : वि का अर्थ होता है विशिष्ट , भिन्न , हीनता ,असमानता , अभाव।
उदाहरण: विकास , विधवा , विवाद , विशेष , विस्मरण , विभाग , विकार , विमुख , विनय , विनंती , विफल , विसंगति , विवाह , विभिन्न ,विश्राम, विरोध , विपक्ष , विदेश , विकल , वियोग , विनाश , विराम ,विजय , विज्ञान , विलय , विहार , विख्यात , विधान , व्यवहार , व्यर्थ , व्यायाम , व्यंजन , व्याधि , व्यसन , व्यूह अदि।
13. सह उपसर्ग : सह का अर्थ होता है साथ।
उदाहरण: सहोदर , सहपाठी , सहगान , सहचर , सहमती , सहयोग , सहमत आदि।
14. पर उपसर्ग : पर का अर्थ होता है अन्य।
उदाहरण: परदेश , परलोक , पराधीन आदि।
15. सु उपसर्ग : परदेश , परलोक , पराधीन।
उदाहरण : सुबोध , सुपुत्र ,सुधार , सुगंध , सुगति , सुगन्ध, सुगति, सुबोध, सुयश, सुमन , सुलभ , सुअवसर, सूक्ति ,सुदूर , सुजन , सुशिक्षित , सुपात्र , सुगठित , सुहाग , सुकर्म , सुकृत , सुभाषित , सुकवि , सुरभि आदि।
16. सम उपसर्ग : सम का अर्थ होता है अच्छा , पूर्णता , संयोग , उत्तम , साथ।
उदाहरण: सम्मान , सम्मेलन ,संकल्प, संचय, सन्तोष, संगठन, संचार , संलग्न , संहार, संशय, संरक्षा ,संकल्प, संग्रह, संन्यास, संस्कार, संरक्षण, संहार , सम्मुख, संग्राम , संभव , संतुष्ट , संचालन , संजय, संताप , संभावना , संयोग , संशोधन आदि।
17. अव उपसर्ग : अव का अर्थ है हीन , बुरा ,अनादर , पतन।
उदाहरण: अवनति , अवज्ञा , अवधारण, अवगति, अवतार, अवलोकन, अवतरण , अवगत , अवस्था , अवनत , अवसान , अवरोहन , अवगणना , अवकृपा, अवशेष , अवगुण , अवकाश , अवसर आदि।
18. परि उपसर्ग : परि का अर्थ होता है चारों ओर , पास , आसपास।
उदाहरण: परिमार्जन,परिहार, परिक्रमण, परिभ्रमण, परिधान,परिहास, परिश्रम, परिवर्तन, परीक्षा,पर्याप्त, पर्यटन , पर्यन्त ,परिमित , परिपूर्ण , परिपाक, परिधि, परिवार , परिणाम , पर्यावरण , परिजन , परिक्रम , परिक्रमा , परिपूर्ण आदि।
19. निर उपसर्ग : निर का अर्थ होता है निषेध ,रहित , बिना , बाहर।
उदाहरण: निराहार, निरक्षर, निरादर, निरहंकार, निरामिष, निर्जर, निर्धन, निर्यात, निर्दोष, निरवलम्ब, नीरोग, नीरस, निरीह, निरीक्षण , निरंजन , निराषा , निर्गुण , निर्भय , निर्वास , निराकरण , निर्वाह , निदोष , निर्जीव , निर्मूल, निर्बल , निर्मल , निर्माण , निर्जन , निरकार , निरपराध आदि।
20. कु उपसर्ग : कु का अर्थ होता है बुरा, हीनता।
उदाहरण: कुपुत्र , कुरूम , कुकर्म , कुमति ,कुयोग , कुकृत्य ,कुख्यात , कुखेत , कुपात्र , कुकाठ , कपूत , कुढंग आदि।
21. दुर उपसर्ग : दुर का अर्थ होता है कठिन , बुरा , विपरीत ,दुष्ट , हीन।
उदारहण: दुरभिसंधि, दुर्गुण, दुर्दशा , दुर्घटना, दुर्भावना, दुरुह ,दुरुक्ति , दुर्जन , दुर्गम , दुर्बल , दुर्लभ , दुखद , दुरावस्था , दुर्दमनीय , दुर्भाग्य, दुराशा, दुराग्रह, दुराचार, दुरवस्था, दुरुपयोग आदि।
हिंदी के कुल 12 उपसर्ग होते हैं। वे इस प्रकार हैं:
उदाहरण: दुबला , दुर्जन , दुर्बल , दुलारा , दुधारू , दुसाध्य , दुरंगा , दुलत्ती , दुनाली , दुराहा , दुपहरी , दुगुना , दुकाल आदि।
2. अध् उपसर्ग : अध् का अर्थ होता है आधा।
उदाहरण: अधपका , अधमरा , अधक्च्चा , अधकचरा , अधजला , अधखिला , अधगला , अधनंगा आदि।
3. अन उपसर्ग : अन का अर्थ होता है अभाव , निषेध , नहीं।
उदाहरण: अनजान , अनकहा , अनदेखा , अनमोल , अनबन , अनपढ़ , अनहोनी , अछूत , अचेत , अनचाहा , अनसुना , अलग , अनदेखी आदि।
4. उन उपसर्ग : उन का अर्थ होता है एक कम।
उदाहरण: उनतीस , उनचास , उनसठ , उनहत्तर , उनतालीस , उन्नीस , उन्नासी आदि।
5. कु उपसर्ग : कु का अर्थ होता है बुरा , हिन्।
उदाहरण: कुचाल , कुचैला , कुचक्र , कपूत , कुढंग , कुसंगति , कुकर्म , कुरूप , कुपुत्र , कुमार्ग , कुरीति , कुख्यात , कुमति आदि।
6. औ उपसर्ग : औ का अर्थ होता है हीन , अब , निषेध।
उदाहरण: औगुन , औघर , औसर ,औसान , औघट , औतार , औगढ़ , औढर आदि।
7. अ उपसर्ग : अ का अर्थ होता है अभाव , निषेध।
उदाहरण: अछुता , अथाह , अटल , अचेत आदि।
8. नि उपसर्ग : नि का अर्थ होता है रहित , अभाव , विशेष , कमी।
उदाहरण: निडर , निक्कमा , निगोड़ा , निहत्था , निहाल आदि।
9. चौ उपसर्ग : चौ का अर्थ होता है चार।
उदाहरण: चौपाई , चौपाया , चौराहा , चौकन्ना , चौमासा , चौरंगा , चौमुखा , चौपाल आदि।
10. उ उपसर्ग : उ का अर्थ होता है अभाव , हीनता।
उदाहरण: उचक्का , उजड़ना , उछलना , उखाड़ना , उतावला , उदर , उजड़ा , उधर आदि।
11. पच उपसर्ग : पच का अर्थ होता है पांच।
उदाहरण: पचरंगा , पचमेल , पचकूटा , पचमढ़ी आदि।
12. ति उपसर्ग : ति का अर्थ होता है तीन।
तिरंगा , तिराहा , तिपाई , तिकोन , तिमाही आदि।
उर्दू एवं फ़ारसी के 14 उपसर्ग होते है :
1.दर उपसर्ग : दर का अर्थ होता है में , मध्य में।
उदाहरण: दरकिनार , दरमियान , दरअसल , दरकार , दरगुजर , दरहकीकत आदि।
2. कम उपसर्ग : कम का अर्थ होता है थोडा , हीन , अल्प।
उदाहरण: कमजोर , कमबख्त , कमउम्र , कमअक्ल , कमसमझ , कमसिन आदि।
3. ला उपसर्ग : ला का अर्थ होता है नहीं , रहित।
उदाहरण: लाइलाज , लाजवाब, लापरवाह , लापता ,लावारिस , लाचार , लामानी , लाजवाल आदि।
4. ब उपसर्ग : ब का अर्थ होता है के साथ , और , अनुसार।
उदारहण: बखूबी , बदौलत , बदस्तूर , बगैर , बनाम , बमुश्किल आदि।
5. बे उपसर्ग :बे का अर्थ होता है बिना।
उदाहरण: बेनाम , बेपरवाह , बेईमान , बेरहम , बेहोश , बैचैन , बेइज्जत , बेचारा , बेवकूफ , बेबुनियाद ,बेवक्त , बेतरह , बेअक्ल , बेकसूर , बेनामी , बेशक आदि।
6. बा उपसर्ग : बा का अर्थ होता है साथ से , सहित।
उदाहरण: बाकायदा , बादत , बावजूद , बाहरो , बाइज्जत , बाअदब , बामौका , बाकलम , बाइंसाफ , बामुलाहिजा आदि।
7. बद उपसर्ग :बद का अर्थ होता है बुरा , हीनता।
उदाहरण: बदनाम , बदमाश , बदतमीज , बदबू , बदसूरत , बदकिस्मत , बदहजमी , बददिमाग , बदमजा , बदहवास , बददुआ , बदनीयत , बदकार आदि।
8. ना उपसर्ग : ना का अर्थ होता है अभाव।
उदाहरण: नालायक , नाकारा , नाराज , नासमझ , नाबालिक , नाचीज , नापसंद , नामुमकिन , नामुराद , नाकामयाब , नाकाम , नापाक आदि।
9. गैर उपसर्ग : गैर का अर्थ होता है भिन्न , निषेध।
उदाहरण: गैरहाजिर , गैरकानूनी , गैरसरकारी , गैरजिम्मेदार , गैरमुल्क , गैरवाजिब , गैरमुमकिन , गैरमुनासिब आदि।
10. हम उपसर्ग : दर का अर्थ होता है आपस में , समान , साथ वाला।
उदाहरण: हमराज , हमदर्द , हमजोली , हमनाम , हमउम्र , हमदम , हमदर्दी , हमराह , हमसफर आदि।
11. हर उपसर्ग : दर का अर्थ होता है सब , प्रत्येक।
उदाहरण: हरलाल , हरसाल , हरवक्त ,हररोज , हरघडी , हरएक , हरदिन , हरबार आदि।
12. खुश उपसर्ग : दर का अर्थ होता है अच्छा।
उदाहरण: खुसबू , खुशनसीब , खुशमिजाज , खुशदिल , खुशहाल , खुशखबरी , खुशकिस्मत आदि।
13. सर उपसर्ग : सर का अर्थ होता है मुख्य।
उदाहरण: सरताज , सरदार , सरपंच , सरकार , सरहद , सरगना आदि।
14. अल उपसर्ग : अल का अर्थ होता है अलमस्त , निश्चित , अंतिम।
उदाहरण: अलबत्ता , अलबेला , अलविदा आदि।
1. हाफ उपसर्ग : हाफ का अर्थ होता है आधा।
उदाहरण: हाफ पेंट , हाफ बाड़ी , हाफटिकट , हाफरेट , हाफकमीज आदि।
2. सब उपसर्ग : सब का अर्थ होता है अधीन , नीचे
उदाहरण: सब पोस्टर , सब इंस्पेक्टर , सबजज , सबकमेटी , सबरजिस्टर आदि।
3. चीफ उपसर्ग : चीफ का अर्थ होता है प्रमुख
उदाहरण: चीफ मिनिस्टर , चीफ इंजीनियर , चीफ सेक्रेटरी आदि।
4. जनरल उपसर्ग : जनरल का अर्थ होता है प्रधान , सामान्य
उदाहरण: जनरल मैनेजर , जनरल सेक्रेटरी , जनरल इंश्योरेंस आदि।
5. हैड उपसर्ग : हैड का अर्थ होता है मुख्य
उदाहरण: हैड मुंशी , हैड पंडित , हेडमास्टर , हेड क्लर्क , हेड ऑफिस , हेड कांस्टेबल आदि।
6. डिप्टी उपसर्ग : डिप्टी का अर्थ होता है सहायक
उदाहरण: डिप्टी कलेक्टर , डिप्टी रजिस्टर , डिप्टी मिनिस्टर आदि।
7. वाइस उपसर्ग : वाइस का अर्थ होता है सहायक
उदाहरण: उप वाइसराय , वाइस चांसलर , वाइस प्रेजिडेंट , वाइस प्रिंसिपल आदि।
8. एक्स उपसर्ग : एक्स का अर्थ होता है मुक्त
उदाहरण: एक्सप्रेस , एक्स कमिश्नर , एक्स स्टूडेंट , एक्स प्रिंसिपल आदि।
1. का उपसर्ग : एक्स का अर्थ होता है निषेध
उदाहरण: कापुरुष आदि।
2. कु उपसर्ग : कु का अर्थ होता है हीन – कुपुत्र आदि।
3. चिर उपसर्ग : चिर का अर्थ होता है बहुत देर
उदाहरण: चिरकाल , चिरायु , चिरंतन , चिरंजीवी , चिरकुमार आदि।
4. अ उपसर्ग : अ का अर्थ होता है निषेध , अभाव
उदाहरण: अधर्म , अनीति , अनन्त , अज्ञान , अभाव , अचेत , अशोक , अकाल आदि।
5. अन उपसर्ग : अन का अर्थ होता है निषेध
उदाहरण: अनीति , अनन्त , अनागत , अनर्थ , अनादि आदि।
6. अंतर उपसर्ग : अंतर का अर्थ होता है भीतर
उदाहरण: अन्तर्नाद , अन्तर्ध्यान , अंतरात्मा , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर्जातीय आदि।
7. स उपसर्ग : स का अर्थ होता है सहित
उदाहरण: सजल , सकल , सहर्ष आदि।
8. अध् उपसर्ग : अध् का अर्थ होता है नीचे
उदाहरण: अध्:पतन , अधोगति , अधोमुख , अधोलिखित आदि।
9. पुरस उपसर्ग : पुरस का अर्थ होता है आगे
उदाहरण: पुरस्कार , पुरस्कृत आदि।
10. पुनः उपसर्ग : पुनः का अर्थ होता है फिर
पुनर्गमन , पुनर्जन्म , पुनर्मिलन , पुनर्लेखन , पुनर्जीवन आदि।
11. पुरा उपसर्ग : पुरा का अर्थ होता है पुराना
उदाहरण: पुरातत्व , पुरातन , पुरावृत आदि।
12. तिरस उपसर्ग : तिरस का अर्थ होता है बुरा , हीन
उदाहरण: तिरस्कार , तिरोभाव आदि।
13. सत उपसर्ग : सत का अर्थ होता है श्रेष्ठ , सच्चा
उदारहण: सत्कार , सज्जन , सत्कार्य , सदाचार , सत्कर्म आदि।
14. अंत: उपसर्ग : अन्तः का अर्थ होता है भीतरी
उदाहरण: अंत:करण , अंत:पुर , अंतर्मन , अंतर्देशीय आदि।
15. बहिर उपसर्ग : बहिर का अर्थ होता है बाहर
उदाहरण: बहिर्गमन , बहिष्कार आदि।
16. सम उपसर्ग : सम का अर्थ होता है समान
उदाहरण: समकालीन , समदर्शी , समकोण ,समकालिक आदि।
17. सह उपसर्ग : सह का अर्थ होता है साथ
उदाहरण: सहकार , सहपाठी , सहयोग , सहचर आदि।
ऊपर दिए जैसा की आप देख सकते हैं पहले शब्द था भूल जिसका मतलब था भूलनालेकिन अक्कड़ प्रत्यय लगने के बाद शब्द बन गया भुलक्कड़ जिसका मतलब हुआ वह व्यक्ति जो भूल करता है।
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं:
ऊपर उदाहरण में आओ देख सकते हैं कि तैर मुख्या शब्द है। आक एक प्रत्यय है। जब मुख्या शब्द एवं प्रत्यय को एक साथ मिलाया जाता है तब यह शब्द तैरक बन जाता है। इससे यह शब्द परिवर्तित हो रहा है।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ भाग मुख्या शब्द था। ओडा एक प्रत्यय है जो शब्दों के बाद लगाया जाता है। जब हमने भाग बद के साथ ओड़ा प्रत्यय को लगाया तो फिर शब्द बदलकर भगोड़ा हो गया जिसका मतलब मुख्या शब्द से भिन्न होता है। यह शब्द एवं अर्थ दोनों को परिवर्तित कर देता है।
कृत प्रत्यय के पांच भेद होते हैं:
ऐसा शब्द जो प्रत्यय से बना हुआ हो एवं उससे कर्ता का पता चले, ऐसे प्रत्यय कर्तृवाचक कृदंत कहलाते हैं। जैसे:
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं की यहाँ पहले शब्द था लेख लेकिन जब इस शब्द में अक प्रत्यय मिलाया गया तो यह बन गया लेखक। इस शब्द से हमें कर्ता का पता चल रहा है। अतः यह कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गात्त आयेगा।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि यहाँ पहले शब्द भिन्न होते हैं। जैसे ही इनमें ये प्रत्यय लगाए जाते हिं तो फिर इनके शब्द में एवं अर्थ में दोनों में परिवर्तन आ जाता है। अतः ये उदाहरण कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गत आयेंगे।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आपने देखा पहले प्रत्यय नहीं लगाए जाते तब तो इन शब्दों का अर्थ भिन्न होता है। जैसे पढ़ना शब्द हमें एक क्रिया के बारे में बता रहा है। हमें इससे एक क्रिया का बोध हो रहा है। लेकिन जब इस क्रिया शब्द में वाला प्रत्यय लगाया जाता है तो इसका अर्थ बिलकुल भिन्न हो जाता है। अब यह शब्द हमें पढ़ाई करने वाले के बारे में बता रहा है। इस शब्द से हमें करता के बारे में पता चल रहा है। अतः यह उदाहरण कर्त्तुवाचक कृदंत के अंतर्गत आएगा।
जिन शब्दों में प्रत्यय लगने के बाद वह शब्द कर्म का बोध कराये, वह प्रत्यय कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे:
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं, यहाँ पहले जो मुख्या शब्द थे वे किसी क्रिया का बोध करा रहे थे जैसे खेलना बिछाना आदि। जब उन शब्दों में प्रत्यय लगाए गए जैसे औना प्रत्यय लगाए गए तो इन प्रत्यय कि वजह से वे शब्द परिवर्तित हो गए। प्रत्यय कि वजह से उन शब्द का अर्थ भी भिन्न हो गया। अब ये शब्द कर्म का बोध करा रहे है क्रिया का नहीं। अतः यह उदाहरण कर्मवाचक कृदंत के अंतर्गत आएगा।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं कि यहाँ पहले जो शब्द थे वे हमें किसी ना किसी क्रिया का बोध करा रहे थे जैसे सूंघ आदि। इनसे हमें क्रिया का पता चल रहा था। लेकिन जैसे ही हमने उन शब्दों में प्रत्यय लगाए वैसे ही उनका अर्थ बदल गया। अब ये शब्द क्रिया का बोध कराने की बजाये ये अब हमें कर्म का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण कर्मवाचक कृदंत के अंतर्गत आयेंगे।
जब प्रत्यय शब्द के साथ लग जाते हैं एवं उन शब्दों से क्रिया के साधन अर्थात करण का बोध होता है तो ये प्रत्यय करणवाचक कृदंत प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:
ऊपर दिए गए उदारण में जैसा कि आप देख सकते हैं यहाँ पहले जो मुख्या शब्द थे वे हमें क्रिया का बोध करा रहे थे। जैसे: भटक, भूल, झूल आदि। लेकिन जैसे ही इन शब्दों में प्रत्यय मिलाये गए जैसे आ तो इन शब्दों का अर्थ भिन्न हो गया। जैसे अब भटक का भटका हो गया जो हमें किसी साधान अर्थात करण का बोध करा रहा है। प्रत्यय लगते शब्द परिवर्तित हो गए। अतः ये उदाहरण करणवाचक कृदंत प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरणों में देखा यहाँ पहले शब्द हमें क्रिया का बोध करा रहे थे लेकिन जब इनमे प्रत्यय लगाया गया तो फिर ये परिवर्तित हो गए एवं अब ये करण का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण करणवाचक कृदंत प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
ऐसे प्रत्यय जो शब्दों में जुड़ने के बाद उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा में बदल देते हैं वे भाववाचक कृदंत प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते है कि पहले जो मुख्या शब्द थे उनसे हमें किसी क्रिया का बोध हो रहा था। जैसे कमान, लड़ना, सिलना आदि। ये शब्द हमें क्रिया का बोध करा रहे थे। फिर हमने इनमे प्रत्यय को जोड़ा। जैसे ही इनमें प्रत्यय को जोड़ा गया तो फिर ये शब्द परिवर्तित हो गए। अब ये भाववाचक संज्ञा बन गए हैं। जैसे लेख का लेखन, घबराना का घबराहट आदि। ये भाववाचक संज्ञा का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण भाववाचक कृदंत प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
इन शब्दों में जैसा कि आप देख सकते हैं की यहाँ पहले हमें क्रिया का बोध हो रहा था। लेकिन जब इन शब्दों में प्रत्यय जोड़े गए तो इनका शब्द एवं अर्थ भिन्न हो गए। अब ये शब्द हमें भाववाचक संज्ञा का बोध करा रहे हैं।
ऐसे प्रत्यय से बने हुए शब्द जिनसे क्रिया के होने का पता चले तो वह क्रियावाचक कृदंत प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, पहले शब्द हमें क्रिया का बोध नहीं करा रहे थे। मुख्या शब्द हमें पहले क्रिया के बारे में नहीं बता रहे थे। लेकिन जब उन शब्दों में प्रत्यय जोड़े गए तब ये शब्द परिवर्तित हो गए एवं अब ये हमें क्रिया का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण क्रियावाचक कृदंत प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं, पहले मुख शब्द विशेषण शब्द था लेकिन फिर हमने विशेषण में आई प्रत्यय मिलाया गया जिससे वह शब्द परिवर्तित हो गया। अतः यह उदाहरण तद्धित्त प्रत्यय के अंतर्गत आयेगा।
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय
3. संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय
4. गणनावाचक तद्धित प्रत्यय
5. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
6. स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
7. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
8. ऊनवाचक तद्धति प्रत्यय
ऐसे प्रत्यय जो शब्द में उड़ने के बाद शब्द को इस तरह परिवर्तित कर दे कि शब्द से कार्य करने वाले का बोध हो, तब यह कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है। जैसे:
ऊपर सभी उदाहरणों में जैसा कि आपने देखा पहले मुख्या शब्द का अर्थ अलग था। लेकिन जब मुख्या शब्द में हमने प्रत्यय लगाए तब ही इन शब्दों का अर्थ बिलकुल भीं हो गया। पहले ये सभी शब्द संज्ञा या सर्वनाम या विशेषण थे प्रत्यय जोड़ गए तब ये शब्द हमें कार्य करने वालों का बोध होने लग गया। अतः
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरणों में देखा पहले सभी मुख्या शब्द विशेषण या दूसरी संज्ञाएँ थी। उनका अर्थ कुछ और था। फिर हमने इन शब्दों में आई, ता, पन जैसे प्रत्ययों को जोड़ा। जैसे ही ये प्रत्यय शब्द के साथ जुड़े तभी उन शब्दों में परिवर्तन आ गया। अब ये शब्द भाववाचक संज्ञा आदि बनगए हैं। अब इन शब्दों से हमें भावों का बोध हो रहा है जैसे लड़कपन, बुढापा, सुदरता आदि। अतः ये उदाहरण भाववाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
ऐसे प्रत्यय जिनसे हमें किसी के बीच के संबंध का पता चले, वे संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
ऐसे प्रत्यय जो शब्द में लगने के बाद शब्द को संख्यावाची बना दे, वे प्रत्यय गणनावाचक प्रत्यय कहलाए हैं। जैसे:
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं पहले शब्द का अर्थ भिन्न था लेकिन जैसे ही हमने प्रत्यय लगाया वैसे ही अर्थ भी परिवर्तित हो गया।
ऐसे प्रत्यय जो शब्द में लगने के बाद शब्द को गुणवाचक बना दे, वे प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसा कि हम उप दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं की यहाँ पहले शब्द भिन्न थे वे संज्ञा के अंतर्गत थे। फिर हमने इत, मान आदि प्रत्ययो को उन शब्दों के साथ जोड़ा। जैसे ही वे प्रत्यय शब्द के साथ जुड़े वैसे ही वे शब्द भी बदल गए एवं उनके अर्थ भी बदल गए। अतः ये उदाहरण गुणवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आएंगे।
ऐसे प्रत्यय जिनसे हमें किसी स्थान का बोध हो वे प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:
जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं ।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हिं ये जो मुख्या शब्द थे वे हमें पहले किनहीं रगों का बोध करा रहे थे लेकिन जब हमने उन शब्दों में प्रत्यय मिलाये तब उन शब्दों में परिवर्तन आ गया। ये शब्द अब हमें समानता का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगे।
ऐसे प्रत्यय जिनसे हमें किसी वास्तु व्यक्ति आदि कि लघुता, प्रियता, हीनता आदि का बोध हो वह प्रत्यय ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे:
जैस कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं, पहले जो मुख्या शब्द थे वे भिन्न थे एवं उनका कुछ और अर्थ निकल रहा था। फिर हमने उन शब्दों में प्रत्यय जोड़े, फिर वे शब्द परिवर्तित हो गए।
उन शब्दों का अर्थ भिन्न हो गया। अब ये शब्द हमें लघुता, प्रियता, हीनता आदि का बोध करा रहे हैं। अतः ये उदाहरण ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय के अंतर्गत आयेंगें।
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