नगरीय 'ई' प्रत्यय से निर्मित शब्द नहीं है, बल्कि इसमें ईय प्रत्यय है। जबकि मंडली, टोकरी, नाली में ई प्रत्यय है।
ईय - पाणिनि, पाणिनीय, नारद - नारदीय, मत् - मदीय।
धातु के अंत में जोड़े जाने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं, कृत व्याख्या से बने शब्द कृदन्त (कृत+अंत) शब्द कहलाते हैं जैसे-लिख्+अक = लेखक। यहाँ 'अक' कृत प्रत्यय है तथा 'लेखक' कृदन्त प्रत्यय शब्द है।
तद्धित प्रत्यय - वे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर अन्य शब्दों संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण में जुड़ते हैं। तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं जैसे - सेठ+आनी = सेठानी।
यहाँ 'आनी' तद्धित प्रत्यय है तथा 'सेठानी' तद्धितांत शब्द है।
'नौकरानी' शहब्द में 'नी' प्रत्यय नहीं लगा है ब्लकि इसमें 'आनी' प्रत्यय लगा है जैसे - नौकर (मूलशब्द)+ आनी (प्रत्यय) = नौकरानी जबकि शेष विकल्प 'नी' प्रत्यय का प्रयोग हुआ है जैसे - शेर (मूल शब्द) + नी (प्रत्यय) = शेरनी, मोर (मूलशब्द) + नी (प्रत्यय) = मोरनी, कूट (मूल शब्द) + नी (प्रत्यय) = कुटनी।