तीन वर्ष
पांच वर्ष
दो वर्ष
एक वर्ष
धारा 444 आईपीसी - रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार –
(1). धारा 444 सरल शब्दों में, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर में बिना उसकी परमिशन के प्रवेश करता है ओर उसके घर में अतिचार या अनियमितताएं फैलाएगा तो वह व्यक्ति जो ऐसा कार्य करेगा। इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
(2). धारा 446 की परिभाषा सरल शब्दों में, अगर किसी व्यक्ति द्वारा रात्रि के समय में दीवार, खिड़की, या गेट का ताला तोड़कर घर में प्रवेश करता है, तब वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी पाया जाएगा।
नोट:- दोनों धारा में व्यक्ति को रात्रि के समय घर में घुसने मात्र से दोषी माना जाएगा एवं उनका उद्देश्य घर में जाकर अनियमितता फैलाना हो।
सजा:- दोनो अपराध के लिए तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
वाद:- सम्राट बनाम कैलाशचंद्र चक्रवर्ती - आरोपी जो एक अजनबी था, बिना किसी निमंत्रण या अधिकार के आधी रात को एक महिला के शयन-कक्ष में प्रवेश किया।
न्यायालय ने विनिश्चित किया कि उक्त परिस्थिति में यह उपधारणा की जा सकती हैं कि आरोपी ने धारा 456 में उपबंधित अपराध के लिए रात्रि में चोरी से आकर गृह अतिचार या अनुचित कार्य किया।
रिट यानि की आदेश किसी भी प्रकार का आदेश न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है उसे रिट कहा जाता है भारतीय संविधान में अनुच्छेद 32 के अंतर्गत 5 प्रकार की रिट सुप्रीम कोर्ट जारी करता है।
लेकिन हम आज के लेख में किसी भी न्यायालय या मजिस्ट्रेट द्वारा किसी भी कैदी को छोड़ने को आदेश दे दिया गया है और कोई पुलिस अधिकारी या जेलर आदेश जारी होने के बाद भी उस कैदी या आरोपी को रोककर रखता है।
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