व, फ
ड़, ढ़
य, व
ह तथा विसर्ग
अन्त:स्थ व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण न तो स्वरों की भांति होता है और न ही व्यजनों की भांति अर्थात जिनके उच्चारण में जीभ, तालु, दांत और ओठ् को परस्पर सटाने से होता है परन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता है। इनकी संख्या 4 होती है।
उदा. – य,र,ल,व
नोट – य एवं व को अर्द्धस्वर भी कहा जाता है।
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