20
11
31
33
सघोष/घोष व्यंजन – जिन व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते समय स्वरतंत्री में नाद या कम्पन्न होता है, वे सघोष या घोष व्यंजन कहलाते हैं।
प्रत्येक वर्ग का तीसरा ,चौथा , पाँचवाँ वर्ण सघोष होता है।
अन्त:स्थ व्यंजन (य,र,ल,व) भी सघोष होते हैं।
ऊष्म व्यंजनों में से ‘ह’ सघोष होता है।
सभी स्वर भी सघोष होते हैं।
कवर्ग : ग घ ड़ (कण्ठ से)
चवर्ग : ज झ ञ (तालु से)
टवर्ग : ड ढ ण (मूर्द्धा से)
तवर्ग : द ध न (दन्त से)
पवर्ग : ब भ म (ओष्ठ से)
(सघोष व्यंजन (20) + सघोष स्वर (11) = 31 सघोष वर्ण)
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