1.विवरण चिह्न | A. (.) |
2.लोपसूचक चिह्न | B.(‘ ’, “ ”) |
3.लाघव चिह्न | C. (:-) |
4. प्रश्नवाचक चिह्न | D. (?) |
केवल 2
1 & 3
केवल 1
केवल 3
लोपसूचक चिह्न (....××××) (Omitted Sign) → जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़कर लिखना हो तो लोपसूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
उदाहरण → आचार्य हाजारीप्रसाद द्विवेदी ने कहा है – लोकनायक वही हो सकता है जो......उनका सारा काव्य समन्वय ही विराट चेष्टा है।
प्रश्नवाचक चिह्न (?) (Question Mark) → प्रश्नात्मक वाक्यों के अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे – वहाँ आप क्या कर रहे थे ? क्या वे घर पर नहीं हैं ?
इस चिह्न का प्रयोग संदेह प्रकट करने के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण → क्या कहा, वे चोर हैं ?
विवरण चिह्न (:-) (Description Mark) → किसी विषय का विवरण देने के लिए या उसकी व्याख्या करने हेतु विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
लाघव चिह्न/संक्षेप चिह्न (.) (Abbreviation) → संक्षिप्त रुप में लिखने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
उदाहरण → ज.न.नि. = जयपुर नगर निगम
कृ.पृ.उ. = कृपया पृष्ठ उलटिए
डॉ. आर. के मिश्रा = डॉक्टर रमाकांत मिश्रा
उद्धरण चिह्न / अवतरण चिह्न (‘ ’, “ ”) (Quotation Mark) → उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं – इकहरा एवं दुहरा।
(क) इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग निम्न स्थितियों में होता है –
(i) कवि के उपनाम में –
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(ii) किसी लेखक की रचना में –
जयशंकर प्रसाद ने ‘कामायनी’ की रचना की।
(iii) वाक्य में जब किसी शब्द पर विशेष बल दिया जाता है।
योग दर्शन के प्रवर्तक ‘पतंजलि’ थे।
(ख) दुहरे अवतरण चिह्न का प्रयोग निम्न स्थिति में होता है –
किसी कवि, लेखक या विचारक के कथन को जब ज्यों-का-त्यों उद्घृत किया जाता है तो उसे दुहरे उद्धरण चिह्न में बंद कर दिया जाता है।
उदाहरण → महात्मा गांधी ने कहा –
“करो या मरो।”
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