डॉ.राजेंद्र प्रसाद
एम.ए.जिन्ना
मौलाना अबुल कलाम आजाद
जवाहरलाल नेहरु
1935 के अधिनियम को पं. जवाहर लाल नेहरू ने 'दासता का आज्ञापत्र' तथा एक कार जिसमें ब्रेक तो है पर इंजन नहीं है। 1935 के अधिनियम के विषय में हिन्दू महासभा में कहा है कि राष्ट्रीयता और प्रजातंत्र में बाधक है। 1935 के अधिनियम के विषय में मुस्लिम लीग ने कहा है कि यह जबरदस्ती थोपा हुआ संविधान है। 1935 के अधिनियम के आलोचना करते हुए 1936 के लखनऊ अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कहा कि यह अधिनियम अलोकतांत्रिक जनता के प्रभुत्व को नकारने वाला और संस्थागत रूप से अव्यावहारिक है।
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