रामधारी सिंह दिनकर
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
श्याम नारायण पाण्डेय
मैथिली शरण गुप्त
यद्यपि खड़ी बोली को कोमल रूप सुमित्रानन्दन पन्त ने दिया, किन्तु हिन्दी भाषा के सांस्कृतिक प्रसंगों में सर्वाधिक अंशदान मैथिलीशरण गुप्त का है। मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि / लोककवि कहा जाता है।
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