'..............', यह पंक्ति यमक अलंकार का भेद नहीं है-

  • 1

    सूरज है जग का बुझा-बुझा

  • 2

    तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है

  • 3

    कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर

  • 4

    खगकुल कुल-कुल -सा बोल रहा

Answer:- 1
Explanation:-

सूरज है जग का बुझा-बुझा इस में यमक अलंकार नहीं है बल्कि इस पंक्ति में 'पुनरक्ति' प्रकाश अलंकार है। काव्य में जहाँ  एक शब्द की क्रमश: आवृत्ति है। पर अर्थ भिन्नता न हो, वहाँ 'पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार' होता है। शेष सभी विकल्पों में यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।

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