वह मराठों द्वारा लाहौर से अपने वाइसराय तैमूर शाह के निष्कासन का बदला लेना चाहता था।
उसे जालन्धर के कुंठाग्रस्त राज्यपाल आदीन बेग खान ने पंजाब पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया।
वह मुगल प्रशासन को चहारमहल (गुजरात, औरंगाबाद, सियालकोट तथा पसरूर) के राजस्व का भुगतान करने के लिए दण्डित करना चाहता था।
वह दिल्ली की सीमाओं तक के पंजाब के सभी उपजाऊ मैदानों को हड़पकर अपने राज्य में विलय करना चाहता था।
पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. को मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच लड़ा गया था। अहमद शाह अब्दाली के भारत पर आक्रण करने और पानीपत के तृतीय लड़ाई करने का तत्कालीक कारण मराठों द्वारा लाहौर से अपने वायसराय तैमूर शाह के निष्कासन का बदला लेना था। पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय हुई । इस पराजय पर मराठा इतिहासकार ज.एन. सरकार ने लिखा है कि "महाराष्ट्र में सम्भवत: ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसने कोई न कोई सम्बन्धी न खोया हो तथा परिवारों का तो सर्वनाश ही हो गया।" मराठों के पराजय का प्रमुख कारण सदाशिव राव की कूटनीतिक असफलता और अब्दाली की तुलना में दुर्बल सेनापतित्व था।
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