रूपक
उत्प्रेक्षा
उपमा
श्लेष
ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है। जिस वाक्य में जनु, जानो, मनु, मानो, मनहुँ, ज्यों आदि वाचक शब्द आये उत्प्रेक्षा अलंकार होता है जबकि जिस वाक्य में सा, सी, से, सरिस, समान आदि वाचक शब्द आये उपमा अलंकार होता है और श्लेष का अर्थ है 'चिपका हुआ' जिस वाक्य में एक शब्द के अनेक अर्थ निकले, श्लेष अलंकार होता है। जैसे- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून।। जहाँ उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप हो रूपक अलंकार होता है। जैसे- उदित उदय गिरि मंच पर रघुवीर-बाल पतंग।
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