श्लेष
अतिशयोक्ति
परिसंख्या
प्रतीप
'उस तपस्वी से लम्बे थे देवदार दो-चार खड़े' में 'प्रतीप अलंकार' है। प्रतीप का अर्थ होताहै उलटा अर्थात् जहाँ पर प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बिना दिया जाए वहाँ 'प्रतीप अलंकार' होता है। वाक्य में स्पष्ट है कि प्रसिद्ध उपमान (देवदार) को उपमेय तथा उपमेय (तपस्वी) को उपमान मानकर वर्णन किया गया है।
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