व्याजनिंदा अलंकार
व्याजस्तुति अलंकार
विभावना अलंकार
विशेषोक्ति अलंकार
गंगा क्यो टेढ़ी चलती हो, दुष्टों को शिव पर देती हो।" यहाँ पर 'व्याजस्तुति अलंकार' है। यहाँ देखने, सुनने में गंगा की निंदा प्रतीत हो रही है, किंतु वास्तव में यहाँ गंगा की प्रशंसा की जा रही है। काव्य में जहाँ देखने, सुनने में निंदा प्रतीत हो, किंतु वह वास्तव में प्रशंसा हो, वहाँ व्याजस्तुति अलंकार होता है।
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