5 2 1 3
3 5 2 4
2 3 4 1
1 5 2 3
पंक्ति | अलंकार | परिभाषा |
1. मुख नहीं चंद्रमा है | अपहनुति | जहाँ प्रस्तुत या उपमेय का प्रतिरोध करके अप्रस्तुत या उपमान की स्थापना की जाय। |
2. मुख तो चंद्र ही है | रूपक | जहाँ उपमेय में उपमान का आरोपण किया जाये। |
3. मुख देखर चाँद का आभास हुआ | संदेह | साम्य के कारण संशय या अनिश्चित का होना |
4. मुख मानो चाँद है | उत्प्रेक्षा | जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाय। |
Post your Comments