विश्व की कोई भी ऐसी सभ्यता नहीं है, जिसने वनों के मूल्य को न आँका हो। वन विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों तथा प्रजातियों के लिए एकमात्र आश्रय स्थल थे और आज भी हैं। वनों के निरंतर घटने से इनके संरक्षण की आवश्यकता पड़ी। आज भी वन संरक्षण की आवश्यकता पहले जैसे ही बनी हुई है। वनों में उगे पेड़ पौधे हमारी ईंधन की समस्या का समाधान करते हैं। इनसे हमें इमारतें, फर्नीचर आदि बनाने के लिए कई प्रकार की लकड़ियाँ प्राप्त होती ही है। साथ ही कागज बनाने के लिए कच्ची सामग्री भी उपलब्ध होती है, परंतु इन्हें काटने के साथ साथ इनका संरक्षण भी आवश्यक है। पेड़ पौधे वर्षा कराने में सहायक बनकर पर्यावरण की रक्षा करते हैं, वहीं इनमें कार्बन डाइऑक्साइड जैसी विषैली गैस को सोखने की क्षमता भी होती है, जिससे हवा में गैसों का संतुलन बना रहता है। ऐसा करके वे हमारी पृथ्वी को सुरक्षित रखते हैं। 
        पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ हमारी सिंचाई और पेयजल की समस्या का समाधान भी वनों के संरक्षण से ही संभव हो सकता है। वनों के कारण ही नदियाँ अपने भीतर जल की अमृतधार संजोकर प्रवाहित हो रही हैं। आश्रय स्थल से अभिप्राय है -

  • 1

    भोजन का स्थान

  • 2

    घूमने का स्थान

  • 3

    रहने का स्थान

  • 4

    आश्रम का स्थान

Answer:- 3
Explanation:-

आश्रय स्थल से अभिप्राय है 'रहने का स्थान।' वन भिन्न-भिन्न प्रजातियों के रहने का स्थान है।

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